महाराष्ट्र सरकार का बड़ा ऐलान! कपास, हल्दी और मक्का किसानों को मिलेगा सीधा फायदा, जानिए कैसे

महाराष्ट्र सरकार ने पुणे में बालासाहेब ठाकरे कृषि व्यवसाय और ग्रामीण परिवर्तन (SMART) परियोजना के तहत एक खास हेजिंग डेस्क शुरू किया है। ये डेस्क कपास, हल्दी और मक्का की खेती करने वाले किसानों को बाज़ार में कीमतों के उतार-चढ़ाव से बचाएगा। शुरुआत में ये तीन फसलों पर काम करेगा, लेकिन जल्द ही और फसलों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इसका मकसद है कि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिले और बाज़ार की अनिश्चितता से होने वाला नुकसान टल जाए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे खेती के लिए एक बड़ा कदम बताया है।

हेजिंग डेस्क क्या है, कैसे करेगा मदद?

हेजिंग का मतलब है अपने खेत की फसल को बाज़ार की कीमतों के जोखिम से बचाना, जैसे खेत के चारों तरफ़ मजबूत बाड़ लगाना। मान लीजिए, आपने कपास बोया, लेकिन बिक्री के समय कीमत गिर जाए, तो हेजिंग आपको उस नुकसान से बचा सकता है। इस डेस्क के ज़रिए किसान ऑप्शन ट्रेडिंग का इस्तेमाल करके अपनी फसल की कीमत पहले से तय कर सकते हैं। इससे अगर बाज़ार में दाम गिरे, तो भी किसानों को तय कीमत मिलेगी। ये काम नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) और इसके शोध विंग NCDEX इंस्टीट्यूट ऑफ कमोडिटी मार्केट्स एंड रिसर्च (NICR) के सहयोग से हो रहा है।

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किसानों को मिलेगी ट्रेनिंग और जानकारी

इस हेजिंग डेस्क का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये किसानों को बाज़ार की समझ देगा। 3,000 से ज्यादा किसानों को हेजिंग और ऑप्शन ट्रेडिंग की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें किसान उत्पादक संगठन (FPO) और क्लस्टर-आधारित व्यवसाय संगठन (CBBO) भी शामिल होंगे। ये डेस्क किसानों को बाज़ार के रुझान, फसलों की माँग-आपूर्ति, और वैश्विक कीमतों की ताज़ा जानकारी देगा। साथ ही, हर साल कपास, हल्दी और मक्का की कीमतों के जोखिम पर एक रिपोर्ट भी जारी होगी, जिसमें भविष्य के अनुमान और सलाह होंगी। इससे किसान अपनी फसल की बिक्री की बेहतर योजना बना सकेंगे।

FPO के ज़रिए भंडारण और बिक्री में आसानी

हेजिंग डेस्क के ज़रिए खेतों के पास भंडारण केंद्र बनाने की योजना है, ताकि किसानों को फसल रखने और बेचने में आसानी हो। कम से कम 50 FPO को इस योजना में शामिल किया जाएगा, जो कपास, हल्दी और मक्का की खेती और बिक्री में काम करते हैं। इन FPO को वायदा बाज़ार में व्यापार करने की सुविधा मिलेगी। 8 अप्रैल, 2025 को NCDEX और SMART प्रोजेक्ट के बीच इस डेस्क के लिए एक औपचारिक समझौता हुआ था। ये सुविधा खास तौर पर सांगली, यवतमाल, अकोला, नांदेड़, अमरावती, छत्रपति संभाजीनगर, बीड, हिंगोली और वाशिम जैसे इलाकों के किसानों के लिए होगी।

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किसानों की आय होगी दोगुनी

किसानों को अक्सर बाज़ार की कीमतों पर कंट्रोल नहीं होता, जिससे उनकी मेहनत का पूरा फायदा नहीं मिल पाता। लेकिन अब इस हेजिंग डेस्क के ज़रिए किसान अपनी फसल की कीमत पहले से तय कर सकेंगे। उदाहरण के लिए, अगर कोई किसान हल्दी बो रहा है और उसे डर है कि बिक्री के समय दाम गिर सकता है, तो वो ऑप्शन ट्रेडिंग के ज़रिए एक न्यूनतम कीमत लॉक कर सकता है। इससे बाज़ार में कीमत गिरने पर भी उसे नुकसान नहीं होगा। ये योजना किसानों को वित्तीय तौर पर मज़बूत बनाएगी और खेती में निवेश का भरोसा बढ़ाएगी।

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  • Shashikant

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