रोग प्रतिरोधी मक्का की नई किस्म Maize COH(M) 12 किसानों के लिए वरदान!

मक्का भारत की प्रमुख फसलों में से एक है, जो अनाज, चारा और औद्योगिक उपयोग के लिए उगाई जाती है। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) ने मक्का की एक नई हाइब्रिड किस्म Maize COH(M) 12 विकसित की है, जो कम समय में ज्यादा पैदावार देती है और रोगों व कीटों से लड़ने में माहिर है। ये किस्म यूएमआई 1220 और यूएमआई 1210 के संकर से बनी है। इसकी पीले-नारंगी दाने, उच्च पैदावार और आसान बीज उत्पादन इसे किसानों के लिए खास बनाते हैं। आइए, सीओएच(एम) 12 की खासियतें, खेती का तरीका, लागत, मुनाफा और बीज की उपलब्धता के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Maize COH(M) 12 की खासियतें

Maize COH(M) 12 एक कम अवधि की हाइब्रिड किस्म है, जो सिर्फ 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। ये बारिश पर निर्भर (रेनफेड) खेती के लिए पुरट्टासी (सितंबर-अक्टूबर) और सिंचित खेती के लिए आदि (जून-जुलाई), कार्तिगाई (नवंबर-दिसंबर), मार्गझी (दिसंबर-जनवरी) और थाई (जनवरी-फरवरी) मौसम में बोने के लिए उपयुक्त है। इसकी पैदावार रेनफेड खेती में 6511 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर और सिंचित खेती में 8128 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। रेनफेड में ये सीओ 6 से 11.3% और एनके 6240 से 14.7% ज्यादा पैदावार देती है, जबकि सिंचित खेती में सीओ 6 से 9.3% और एनके 6240 से 13.7% अधिक।

इसके दाने पीले-नारंगी रंग के और सेमी-डेंट (आधे दबे) होते हैं, जो बाजार में पसंद किए जाते हैं। फूलों का एक साथ खिलना (सिंक्रोनी) हाइब्रिड बीज उत्पादन को आसान बनाता है। ये किस्म फॉल आर्मी वर्म और चारकोल रोट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है, जिससे कीटनाशक और रोग प्रबंधन का खर्च कम होता है।

खेती के लिए सही मौसम और क्षेत्र

Maize COH(M) 12 तमिलनाडु के सभी मक्का उत्पादक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, खासकर कोयंबटूर, इरोड, सलेम, नमक्कल, तिरुपुर, डिंडीगुल और थेनी जैसे जिलों में। रेनफेड खेती के लिए सितंबर-अक्टूबर (पुरट्टासी) और सिंचित खेती के लिए जून-जुलाई (आदि), नवंबर-फरवरी (कार्तिगाई, मार्गझी, थाई) सबसे अच्छे मौसम हैं। दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो, इसके लिए सबसे अच्छी है। मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए। ये किस्म बारिश पर निर्भर और सिंचित दोनों तरह की खेती के लिए शानदार है, जिससे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के किसानों को फायदा होता है।

खेती का तरीका

सीओएच(एम) 12 की खेती शुरू करने के लिए खेत को अच्छे से तैयार करें। खेत को 2-3 बार जुताई करके भुरभुरा बनाएं। 10-12 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें, ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़े। प्रति हेक्टेयर 8-10 किलोग्राम हाइब्रिड बीज पर्याप्त हैं। बीज को बोने से पहले थीरम या कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) से उपचारित करें। बीज को 60×20 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइन में बोएं। रेनफेड खेती में बुवाई सितंबर-अक्टूबर और सिंचित खेती में जून-जुलाई या नवंबर-फरवरी में करें। नाइट्रोजन (250 किलोग्राम), फास्फोरस (75 किलोग्राम) और पोटाश (75 किलोग्राम) प्रति हेक्टेयर डालें।

नाइट्रोजन को तीन बार (बुवाई, 25 दिन बाद और फूल बनने के समय) बराबर मात्रा में डालें। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 2-3 दिन बाद एट्राजीन (500 ग्राम प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करें और 20-25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें। रेनफेड खेती में बारिश पर निर्भर रहें, जबकि सिंचित खेती में 8-10 दिन के अंतर पर सिंचाई करें।

कीट और रोग प्रबंधन

Maize COH(M) 12 फॉल आर्मी वर्म और चारकोल रोट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। फिर भी, कुछ सावधानियां जरूरी हैं। फॉल आर्मी वर्म के लिए खेत की नियमित निगरानी करें और शुरुआती लक्षण दिखने पर क्लोरपायरीफॉस या स्पिनोसैड का छिडकाव करें। चारकोल रोट से बचने के लिए बीज उपचार और फसल चक्र अपनाएं। अन्य कीट जैसे स्टेम बोरर या कटवर्म के लिए कार्बारिल या मैलाथियान का इस्तेमाल करें। अगर खेत में नमी ज्यादा हो, तो डाउनी मिल्ड्यू का खतरा रहता है, इसके लिए मेटालैक्सिल का छिड़काव करें। नियमित खेत की निगरानी करें और जरूरत पड़ने पर नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या मक्का रिसर्च स्टेशन, वागराई से सलाह लें।

लागत और मुनाफा

सीओएच(एम) 12 की खेती में प्रति एकड़ लागत करीब 20,000-25,000 रुपये आती है। इसमें बीज, खाद, उर्वरक, जुताई, बुवाई, सिंचाई और मजदूरी का खर्च शामिल है। एक एकड़ से रेनफेड खेती में औसतन 26-28 क्विंटल और सिंचित खेती में 32-35 क्विंटल मक्का मिलता है। अगर बाजार में मक्का का भाव 2,000-2,500 रुपये प्रति क्विंटल हो, तो रेनफेड खेती में 52,000-70,000 रुपये और सिंचित खेती में 64,000-87,500 रुपये की कमाई हो सकती है। लागत निकालने के बाद रेनफेड में 30,000-45,000 रुपये और सिंचित खेती में 40,000-60,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा मिलता है। इसके पीले-नारंगी दाने और उच्च पैदावार की वजह से बाजार में अच्छा दाम मिलता है।

बीज की उपलब्धता और खरीद

सीओएच(एम) 12 के प्रमाणित हाइब्रिड बीज तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU), कोयंबटूर और मक्का रिसर्च स्टेशन, वागराई से मिलते हैं। राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) और निजी बीज कंपनियां जैसे बायर, सिनजेंटा या मॉन्सेंटो भी इस किस्म के बीज बेच सकती हैं। बीज की कीमत 300-400 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकती है। हमेशा प्रमाणित बीज खरीदें और पैकेट पर TNAU का लोगो चेक करें। नजदीकी KVK, मक्का रिसर्च स्टेशन, वागराई या TNAU से संपर्क करें, जहाँ बीज के साथ खेती की तकनीकी सलाह भी मिलेगी।

आखिरी बात

सीओएच(एम) 12 मक्का की एक ऐसी हाइब्रिड किस्म है, जो कम समय और कम मेहनत में ज्यादा पैदावार देती है। तमिलनाडु के रेनफेड और सिंचित क्षेत्रों में इसे उगाकर किसान प्रति एकड़ 30,000-60,000 रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं। इसके पीले-नारंगी दाने और उच्च पैदावार बाजार में अच्छा दाम दिलाते हैं। बीज के लिए TNAU, मक्का रिसर्च स्टेशन, वागराई या KVK से संपर्क करें। अगर आप मक्का की खेती से अच्छी कमाई चाहते हैं, तो सीओएच(एम) 12 आपके खेत को मुनाफे का खजाना बना सकती है।

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  • Shashikant

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