मक्का-नेपियर घास की खेती: पशुओं को मिलेगा ताकतवर आहार, दूध उत्पादन होगा डबल

Maize cross Napier grass: वर्तमान में, भारत में पशुपालन लाखों किसानों और पशुपालकों की आजीविका का आधार है। दूध उत्पादन पशुपालकों की आय का प्रमुख स्रोत है। इस व्यवसाय की सफलता में पौष्टिक और सस्ते चारे की उपलब्धता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मक्का क्रॉस नेपियर घास एक ऐसी हाइब्रिड चारा फसल है, जो अपनी तेज वृद्धि, उच्च पोषण, और दूध उत्पादन बढ़ाने की क्षमता के लिए जानी जाती है। यह मक्का और नेपियर घास का संकर है, जो पशुओं के लिए स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक है। यह लेख मक्का क्रॉस नेपियर घास की खेती की प्रक्रिया, विशेषताएँ, पोषण, लागत-लाभ, सरकारी सहायता, और चुनौतियों पर विस्तृत जानकारी देगा।

मक्का क्रॉस नेपियर घास क्या है

मक्का क्रॉस नेपियर एक उन्नत हाइब्रिड चारा घास है, जिसे मक्का और नेपियर घास के संकरण से विकसित किया गया है। यह सामान्य नेपियर घास की तुलना में अधिक पौष्टिक, नरम, और रसदार होती है। दूधारू पशु जैसे गाय और भैंस इसे रुचि से खाते हैं, जिससे दूध की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार होता है। इसकी प्रमुख किस्में CO-3, CO-4, और CO(FS)-29 हैं, जो भारत के विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में उगाई जाती हैं। यह घास सालभर हरी रहती है और एक बार रोपाई के बाद 4-5 साल तक उत्पादन देती है। इसकी 6-7 कटाइयाँ प्रति वर्ष ली जा सकती हैं, जो इसे लागत प्रभावी बनाता है।

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खेती के लिए जलवायु और मिट्टी

मक्का क्रॉस नेपियर घास की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त है। यह 20-35 डिग्री सेल्सियस तापमान और 800-1200 मिमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह बढ़ती है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, बिहार के पटना, भागलपुर, मध्य प्रदेश के भोपाल, और उत्तराखंड के देहरादून जैसे क्षेत्र इसके लिए आदर्श हैं। दोमट, रेतीली दोमट, या हल्की काली मिट्टी, जिसका pH 6.5-7.5 हो, इस घास के लिए सर्वोत्तम है। अच्छे जल निकास वाली मिट्टी चुनें, क्योंकि जलभराव जड़ों को नुकसान पहुँचाता है।

खेत की तैयारी शुरू करने से पहले मिट्टी का परीक्षण कराएँ। खेत की गहरी जुताई (20-25 सेमी) करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो और खरपतवार नष्ट हो जाएँ। प्रति एकड़ 10-15 टन सड़ी गोबर खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। खेत को समतल करें और जल निकास की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

रोपण और सिंचाई प्रबंधन

मक्का क्रॉस नेपियर घास (Maize cross Napier grass) बीजों से नहीं, बल्कि तनों की कटिंग (स्लिप्स) या जड़युक्त पौधों से उगाई जाती है। प्रत्येक स्लिप में 2-3 गाँठें होनी चाहिए। एक एकड़ में 35,000-40,000 स्लिप्स की जरूरत पड़ती है। रोपण के लिए कतार से कतार की दूरी 2.5 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 1.5 फीट रखें। स्लिप्स को 3-4 इंच गहराई पर रोपें और हल्की मिट्टी से ढक दें। रोपाई के लिए फरवरी-मार्च या जून-जुलाई का समय उपयुक्त है।

पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें। इसके बाद 7-10 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें। वर्षा ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। ड्रिप सिस्टम का उपयोग पानी की बचत करता है और प्रत्येक पौधे तक पानी पहुँचाता है। जलभराव से बचें, क्योंकि यह जड़ सड़न का कारण बनता है।

उर्वरक और पोषक तत्व

रोपाई के समय प्रति एकड़ 10-15 टन गोबर खाद डालें। रासायनिक उर्वरकों में NPK (60:40:20 किलो) का बेसल डोज उपयोग करें। पहली कटाई के बाद हर बार 30-40 किलो नाइट्रोजन (यूरिया) प्रति एकड़ डालें, ताकि घास तेजी से बढ़े। जैविक खेती के लिए नीम खली (50 किलो/एकड़) और अज़ोटोबैक्टर (1 किलो/50 किलो खाद) का उपयोग करें। मिट्टी में पोटाश और फॉस्फोरस की कमी होने पर मृदा परीक्षण के आधार पर अतिरिक्त खाद डालें। IGFRI सलाह देता है कि उर्वरकों का संतुलित उपयोग घास की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाता है।

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कटाई और उत्पादन

मक्का क्रॉस नेपियर की पहली कटाई रोपाई के 60-75 दिन बाद करें, जब घास 3-4 फीट ऊँची हो। इसके बाद हर 30-35 दिन में कटाई की जा सकती है। साल में 6-7 कटाइयाँ संभव हैं। प्रति एकड़ 400-500 क्विंटल हरा चारा सालाना प्राप्त होता है। कटाई के समय घास को जमीन से 6-8 इंच ऊपर काटें, ताकि पुनर्जनन तेज हो। घास नरम, रसदार, और स्वादिष्ट होती है, जिसे पशु बड़े चाव से खाते हैं।

पोषण और पशुओं के लिए लाभ

मक्का क्रॉस नेपियर घास पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें 8-10% प्रोटीन, 20% सूखा पदार्थ, और 30-35% फाइबर होता है। यह कैल्सियम, फॉस्फोरस, और अन्य खनिजों का अच्छा स्रोत है। इस चारे को खिलाने से दूध की मात्रा में 15-25% की वृद्धि देखी गई है। यह पशुओं की पाचन शक्ति को बेहतर करता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। यह चारा गाय, भैंस, और बकरी के लिए आदर्श है।

पौधों की उपलब्धता

मक्का क्रॉस नेपियर की प्रमाणित स्लिप्स या जड़युक्त पौधे KVK, ICAR-IVRI, IGFRI, या सरकारी नर्सरियों से प्राप्त किए जा सकते हैं। CO-4 और CO(FS)-29 किस्में विशेष रूप से अनुशंसित हैं। निजी नर्सरियों से खरीदते समय सत्यापन करें। आप ऑनलाइन भी ऑर्डर कर सकतें हैं।

लागत और आय का लेखा जोखा

मक्का क्रॉस नेपियर की खेती की लागत प्रति एकड़ 8,000-12,000 रुपये है, जिसमें स्लिप्स (4,000-5,000 रुपये), खाद और उर्वरक (2,000-3,000 रुपये), सिंचाई (1,000-2,000), और मजदूरी (2,000-3,000 रुपये) शामिल हैं। प्रति एकड़ 400-500 क्विंटल हरा चारा प्रति वर्ष प्राप्त होता है। यदि चारा 1-2 रुपये/किलो के हिसाब से बेचा जाए, तो 40,000-80,000 रुपये की आय संभव है।। अपने पशुओं को खिलाने से भूसा और महंगे चारे पर होने वाला खर्च बचता है, जो दूध उत्पादन से अतिरिक्त मुनाफा देता है।

मक्का क्रॉस नेपियर घास की खेती पशुपालकों के लिए एक लाभकारी विकल्प है।। यह सालभर पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराती है, दूध उत्पादन बढ़ती है, और पशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।। कम लागत और उच्च आय के साथ यह उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, और उत्तराखंड के पशुपालकों के लिए वरदान है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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