साठा धान को करे गुडबॉय, फ़रवरी-मार्च में आलू के खाली खेत में उगाये ये फसल कम पानी में होगा बम्पर उत्पादन

किसान भाइयों, अगर आप भी साठा धान की खेती से परेशान हैं और पानी की कमी या सरकारी पाबंदियों की वजह से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, तो जवाहर मक्का 216 आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। यह मक्के की नई किस्म न सिर्फ कम पानी में उगाई जा सकती है, बल्कि यह मिट्टी की सेहत भी बनाए रखती है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि कैसे यह किस्म आपकी आमदनी बढ़ा सकती है।

जवाहर मक्का 216 क्यों है खास?

जवाहर मक्का 216 भारतीय कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत का नतीजा है। इसे खासतौर पर हमारे देश के मौसम और मिट्टी के हिसाब से तैयार किया गया है। यह किस्म 80-90 दिन में पककर तैयार हो जाती है और एक हेक्टेयर में 55-60 क्विंटल तक उपज देती है। साथ ही, इसकी जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे पौधे गिरते नहीं और कीटों से लड़ने की ताकत भी इसमें ज्यादा है।

साठा धान vs जवाहर मक्का 216: किसमें है ज्यादा फायदा?

साठा धान की खेती में पानी की खपत बहुत ज्यादा होती है, जबकि जवाहर मक्का 216 कम सिंचाई में भी अच्छी पैदावार देता है। धान की तुलना में मक्के की खेती में लागत 30% तक कम आती है और मुनाफा दोगुना हो सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि धान मिट्टी के पोषक तत्वों को खत्म कर देता है, लेकिन मक्का मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखता है।

कैसी जमीन और मौसम चाहिए?

इसकी खेती के लिए गर्म या नॉर्मल मौसम सबसे अच्छा रहता है। दोमट मिट्टी जहां पानी जमा नहीं होता, वहां इसकी पैदावार शानदार होती है। मिट्टी का pH 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अगर आपके खेत में पहले धान उगाया जाता था, तो मक्का लगाकर आप मिट्टी को दोबारा ताकतवर बना सकते हैं।

बुवाई का सही तरीका और समय

  • खरीफ सीजन: जून-जुलाई में बोएं।
  • रबी सीजन: अक्टूबर-नवंबर सही समय है।
    बीज को बोने से पहले थायरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित कर लें। कतारों के बीच 60-75 सेमी और पौधों के बीच 20-25 सेमी की दूरी रखें। एक हेक्टेयर के लिए 20-25 किलो बीज काफी होता है।

सिंचाई और खाद का ध्यान कैसे रखें?

पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करें। इसके बाद खेत में नमी के हिसाब से 3-4 बार पानी दें। खाद के लिए 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें। नाइट्रोजन को तीन हिस्सों में बांटकर डालें: बुवाई के वक्त, 30 दिन बाद और 50 दिन बाद।

कीट और बीमारियों से बचाव के घरेलू उपाय

जवाहर मक्का 216 में कीटरोधी क्षमता ज्यादा होती है, लेकिन फिर भी तना छेदक या दीमक दिखे तो नीम का तेल (2%) छिड़कें। ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल फफूंद से बचाव के लिए कर सकते हैं। रासायनिक दवाइयों का प्रयोग सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही करें।

कटाई और भंडारण के टिप्स

जब मक्का के दाने चमकदार और सख्त हो जाएं, तब फसल काट लें। दानों को अच्छी तरह सुखाकर ही भंडारण करें, नहीं तो फफूंद लगने का डर रहता है। ध्यान रखें कि भंडारण वाली जगह सूखी और हवादार हो।

क्यों अपनाएं जवाहर मक्का 216?

सरकार द्वारा धान पर पाबंदी और पानी की किल्लत के इस दौर में जवाहर मक्का 216 किसानों के लिए रोटी, कपास और मक्का वाली कहावत को सच कर दिखाता है। यह न सिर्फ आपकी आमदनी बढ़ाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जमीन की उर्वरा शक्ति भी बचाएगा। अगर आपके पास छोटा खेत है या पानी की कमी है, तो यह किस्म आपके लिए सोने पर सुहागा साबित होगी।

किसान भाइयों, अगर आपको मक्के की खेती से जुड़ा कोई सवाल है, तो नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं। हमारे विशेषज्ञ आपकी मदद करेंगे। साथ ही, अगर आपने जवाहर मक्का 216 की खेती की है, तो अपने अनुभव भी जरूर शेयर करें!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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