मखाना की खेती में पर्नीय छिड़काव से होगी जबरदस्त पैदावार, जानें पूरा तरीका

Makhana cultivation Tips: किसान भाइयों, मखाना की खेती आज बिहार के गाँवों में सोने की खेती बन चुकी है। ये सुपरफूड न सिर्फ सेहत के लिए कमाल है, बल्कि किसानों की जेब भी भरता है। लेकिन मखाना की खेती में सही तरीके न अपनाए जाएं, तो मेहनत बेकार हो सकती है।

पूर्णिया के भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के मखाना अनुसंधानकर्ता डॉ. अनिल कुमार के टिप्स इस खेती को आसान और मुनाफेदार बना रहे हैं। खास तौर पर उनका पर्णीय छिड़काव का तरीका, जिसमें नैनो यूरिया, डीएपी, शैंपू और नीम तेल का घोल इस्तेमाल होता है, मखाना के दानों को बड़ा और पौधों को फूलों से लदने वाला बना देता है। तो चलिए, जानते हैं कि मखाना की खेती कैसे चमकाएं।

मखाना की खेती

मखाना एक जलीय फसल है, जो तालाबों, चौरों या कम गहरे पानी वाले खेतों में उगती है। डॉ. अनिल कुमार बताते हैं कि मखाना के खेत में हर वक्त कम से कम एक फीट पानी होना चाहिए। लेकिन इस पानी में सीधे खाद या रासायनिक उर्वरक डालना बेकार है, क्योंकि पौधे तक पोषक तत्व नहीं पहुँच पाते। इसके बजाय, पर्णीय छिड़काव यानी पत्तों की ऊपरी सतह पर घोल का छिड़काव करना चाहिए। ये तरीका पौधों को सीधे ताकत देता है, जिससे फूल ज्यादा खिलते हैं और मखाना के दाने बड़े और पुष्ट बनते हैं।

पर्णीय छिड़काव

पर्णीय छिड़काव मखाना की खेती में गेम-चेंजर है। डॉ. अनिल कुमार कहते हैं कि मखाना के पत्ते कांटेदार होते हैं, जिसके चलते खेत में जाकर स्प्रे करना मुश्किल है। ऐसे में पर्णीय छिड़काव सबसे आसान और असरदार तरीका है। इसके लिए एक खास घोल तैयार करें: प्रति लीटर पानी में 3 मिलीलीटर नैनो यूरिया, 5 मिलीलीटर डीएपी, 5 मिलीलीटर सगारिका और 15 ग्राम 0:52:34 (पोटाश और फॉस्फोरस युक्त उर्वरक) मिलाएं।

इस घोल में चिपकने के लिए 1-2 पुड़िया बाल धोने वाला शैंपू डालें। शैंपू घोल को पत्तों पर लंबे समय तक टिकने में मदद करता है, जिससे पौधे को पोषक तत्व मिलते रहते हैं। ये छिड़काव हर 10-15 दिन में करें, और देखें कि कैसे पौधे फूलों और फलों से लद जाते हैं।

नीम तेल से पत्तों की सुरक्षा

मखाना की खेती में रोपाई के 15-20 दिन बाद पत्तों के गलने की समस्या आ सकती है। ये पौधों की सेहत को बिगाड़ देता है और पैदावार कम करता है। डॉ. अनिल कुमार सलाह देते हैं कि इस समस्या से बचने के लिए नीम तेल का पर्णीय छिड़काव करें। इसके लिए 5 मिलीलीटर नीम तेल को प्रति लीटर पानी में मिलाएं और पत्तों की ऊपरी सतह पर छिड़कें। नीम तेल न सिर्फ पत्तों को बीमारियों से बचाता है, बल्कि कीटों को भी दूर रखता है। इस घोल में भी एक पुड़िया शैंपू डालना न भूलें, ताकि ये पत्तों पर अच्छे से चिपके और लंबे समय तक असर करे।

ड्रोन से छिड़काव

मखाना के खेत में कांटेदार पत्तों के बीच जाकर छिड़काव करना हर किसान के बस की बात नहीं। डॉ. अनिल कुमार सुझाव देते हैं कि बिहार सरकार के कृषि विभाग से संपर्क करके ड्रोन की मदद से पर्णीय छिड़काव करवाएं। ड्रोन से छिड़काव तेज, सुरक्षित और एकसमान होता है। ये खास तौर पर बड़े खेतों के लिए कमाल का है। ड्रोन से नैनो यूरिया, डीएपी और नीम तेल का घोल छिड़कवाएं, और शैंपू मिलाना न भूलें। इससे मेहनत बचेगी और पौधों को पूरी ताकत मिलेगी। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से ड्रोन सुविधा की जानकारी लें।

सही समय और देखभाल

मखाना की खेती में समय का खास ख्याल रखें। डॉ. अनिल कुमार बताते हैं कि पर्णीय छिड़काव रोपाई के 15-20 दिन बाद शुरू करें, जब पौधे मजबूत होने लगते हैं। हर 10-15 दिन में छिड़काव करते रहें, खासकर फूल आने और फल बनने के समय। ध्यान रखें कि खेत में 3-4 फीट पानी बना रहे, क्योंकि मखाना को गहरा पानी पसंद है। अगर पत्ते पीले पड़ने लगें या फूल कम हों, तो तुरंत नीम तेल या नैनो यूरिया का छिड़काव करें। खेत में खरपतवार न उगने दें, और समय-समय पर पानी की गहराई चेक करते रहें।

सबौर मखाना-1: बंपर पैदावार की किस्म

डॉ. अनिल कुमार और भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय ने सबौर मखाना-1 नाम की उन्नत किस्म विकसित की है, जो 32-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है। ये किस्म बड़े दाने और ज्यादा पॉप रिकवरी (50-55%) के लिए जानी जाती है। इसकी बीज भोला पासवान शास्त्री कॉलेज से 75% सब्सिडी पर मिलते हैं, जिसके लिए आपको अपने जिला कृषि कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इस किस्म को अपनाकर और पर्णीय छिड़काव के टिप्स फॉलो करके आप पैदावार को दोगुना कर सकते हैं।

किसानों के लिए सलाह

किसान भाइयों, मखाना की खेती में कुछ देसी नुस्खे भी आजमाएं। छिड़काव के लिए हमेशा साफ पानी इस्तेमाल करें, ताकि घोल में कोई गंदगी न रहे। शैंपू वही लें, जो सस्ता और बिना खुशबू वाला हो, क्योंकि इसका काम सिर्फ चिपकाना है। नीम तेल के साथ थोड़ा गौमूत्र मिलाने से और फायदा होता है। अगर ड्रोन नहीं मिले, तो लंबी स्टिक वाले स्प्रेयर से किनारे से छिड़काव करें। खेत में मछली पालन के साथ मखाना उगाने से दोहरा मुनाफा हो सकता है। अपने खेत की मिट्टी और पानी की जाँच कृषि केंद्र से करवाएं, ताकि सही घोल की मात्रा पता चले।

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  • Shashikant

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