मखाने की मिठास अब उत्तर प्रदेश के खेतों तक पहुंचने वाली है, जहां बिहार की तर्ज पर यह फसल किसान भाइयों की जेबें भरने का नया जरिया बनेगी। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की मदद से 18 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की है, जिसकी रिपोर्ट नई दिल्ली भेज दी गई है। उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अपर मुख्य सचिव बीएल मीणा ने इसकी पुष्टि की है।
योजना के तहत किसानों को मखाना की खेती के लिए व्यावहारिक और तकनीकी ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वे इस उच्च मूल्य वाली फसल से अच्छी कमाई कर सकें। मखाना, जो कंगनी के बीज से उगता है, पानी भरे तालाबों या खेतों में उगाया जाता है और बाजार में 500-800 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। इससे छोटे किसान भी सालाना लाखों कमा सकेंगे।
योजना का खाका
उत्तर प्रदेश को मखाना विकास योजना में सब एजेंसी का दर्जा मिला है, जहां उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मुख्य भूमिका निभाएगा। निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण को नोडल अधिकारी और संयुक्त निदेशक शाकभाजी को सहायक नोडल अधिकारी बनाया गया है। बिहार में सफल मखाना खेती की तर्ज पर यहां भी तालाबों और जल स्रोतों का इस्तेमाल होगा। केंद्र सरकार की मदद से फंडिंग मिलने पर योजना तेजी से जमीन पर उतरेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि मखाना की खेती कम पानी और कम रखरखाव वाली है, जो जलवायु परिवर्तन के दौर में आदर्श फसल साबित होगी। शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट चलाकर किसानों को जोड़ा जाएगा।
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ट्रेनिंग से नई स्किल, बाजार में ऊंचे दाम
इस योजना से किसान भाई न सिर्फ नई फसल सीखेंगे, बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत भी होंगे। मखाना की खेती से प्रति हेक्टेयर 10-15 क्विंटल पैदावार संभव है, जो बाजार मूल्य पर 5-10 लाख की कमाई दे सकती है। ट्रेनिंग में बीज चयन, रोपाई, कटाई और प्रोसेसिंग की पूरी जानकारी दी जाएगी। ग्रामीण इलाकों में तालाबों का इस्तेमाल बढ़ेगा, जो जल संरक्षण को भी बढ़ावा देगा। छोटे-मझोले किसान खासतौर पर फायदा उठाएंगे, क्योंकि मखाना निर्यात योग्य फसल है। विभाग ने कहा है कि योजना से ग्रामीण रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
नोडल अधिकारी की अगुवाई में जल्द शुरूआत
योजना का क्रियान्वयन नोडल अधिकारी की देखरेख में होगा, जहां जिला स्तर पर कैंप लगाकर किसानों को जोड़ा जाएगा। राष्ट्रीय मखाना बोर्ड से मंजूरी मिलते ही फंड रिलीज होगा। किसान भाई स्थानीय उद्यान कार्यालय से संपर्क करें, ताकि ट्रेनिंग का मौका न छूटे। यह कदम उत्तर प्रदेश को मखाना उत्पादन में अग्रणी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।
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