नवजात आम के फल में सिकुड़न रोग होने का कारण, और इलाज, फल को सुरक्षित करें अच्छा दाम कमाए

किसान भाइयों, आम की खेती में मेहनत बहुत लगती है, लेकिन जब नवजात फल सिकुड़कर गिरने लगते हैं, तो सारा सपना टूट जाता है, ये सिकुड़न छोटे फलों को झुर्रीदार, कमजोर बनाती है, और पैदावार को भारी नुकसान पहुँचाती है, मार्च-अप्रैल में जब फल बनना शुरू होते हैं, तब ये समस्या बढ़ती है, ग्रोक भाई आपके लिए इसे आसान करेगा, सही कारण समझें, इलाज करें, तो आपकी फसल फिर से लहलहा सकती है, ये न सिर्फ फल बचाता है, बल्कि आपकी कमाई को भी सुरक्षित करता है, तो चलिए, इस परेशानी को जड़ से खत्म करें।

सिकुड़न का पहला कारण : कीटों का हमला

नवजात आम में सिकुड़न का बड़ा कारण कीट हैं, फल मक्खी (Fruit Fly) और थ्रिप्स सबसे खतरनाक हैं, फल मक्खी फलों में अंडे देती है, जिससे लार्वा अंदर से फल को खाता है, और सिकुड़न शुरू हो जाती है, वहीं थ्रिप्स रस चूसते हैं, जिससे फल कमजोर, झुर्रीदार हो जाता है, मार्च-अप्रैल में इनका प्रकोप बढ़ता है, खासकर गर्म, नम मौसम में, अगर समय पर इनका इलाज न करें, तो आधे से ज्यादा फल बर्बाद हो सकते हैं, इन कीटों को रोकना जरूरी है, ताकि फसल सुरक्षित रहे, और बाजार में अच्छा दाम मिले।

बीमारी का खेल, फफूंद और एन्थ्रेक्नोज

एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose) और फफूंदी नवजात आम में सिकुड़न के बड़े कारण हैं, ये बीमारियाँ फलों पर काले धब्बे बनाती हैं, और उन्हें सिकुड़ने के लिए मजबूर करती हैं, ज्यादा नमी, बारिश, या खराब हवा का बहाव इनका कारण बनता है, फूल आने के बाद अगर मौसम नम रहता है, तो फफूंद तेजी से फैलती है, और फल सिकुड़कर गिर जाते हैं, इससे पैदावार में भारी कमी आती है, सही दवा, देखभाल से इसे रोका जा सकता है, ये बीमारियाँ फसल को कमजोर करती हैं, लेकिन इलाज से सब ठीक हो सकता है।

पानी और पोषण, सिकुड़न की जड़

पानी की कमी या ज्यादा पानी दोनों नवजात आम को नुकसान पहुँचाते हैं, अगर जड़ों को पर्याप्त पानी न मिले, तो फल सिकुड़कर सूख जाते हैं, और ज्यादा पानी से जड़ें सड़ती हैं, जिससे फल कमजोर हो जाते हैं, कैल्शियम, पोटाश, बोरॉन जैसे पोषक तत्वों की कमी भी सिकुड़न बढ़ाती है, गर्मियों में जब तापमान 35-40 डिग्री से ऊपर जाता है, तो ये समस्या और गंभीर हो जाती है, सही सिंचाई, खाद का इंतजाम करें, तो फल मजबूत रहेंगे, और सिकुड़न से बच जाएंगे, ये छोटी सावधानी बड़ा फायदा देती है।

मौसम का असर

तेज हवाएँ, अचानक तापमान का बढ़ना, या ठंडी हवा नवजात फलों को सिकुड़ने के लिए मजबूर करती हैं, अप्रैल-मई में जब गर्मी चरम पर होती है, और हवा सूखी चलती है, तो फल पानी खो देते हैं, और झुर्रीदार हो जाते हैं, इसके अलावा बारिश के बाद अचानक धूप भी फलों को नुकसान पहुँचाती है, मौसम का ये खेल फसल को कमजोर करता है, लेकिन सही तैयारी से इसे रोका जा सकता है, फल छोटे हों, तो उनकी देखभाल बढ़ाएँ, ताकि पैदावार बरकरार रहे, और नुकसान कम हो।

सिकुड़न का इलाज

कीटों के लिए फल मक्खी ट्रैप लगाएँ, मिथाइल यूजेनॉल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) छिड़कें, थ्रिप्स के लिए नीम का तेल (5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी) या इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर) इस्तेमाल करें, एन्थ्रेक्नोज, फफूंद के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें, हर 10-15 दिन में दवा डालें, पानी हर 7-10 दिन में हल्का दें, प्रति पेड़ 10-15 किलो गोबर की खाद, 100 ग्राम बोरॉन डालें, तेज हवा से बचाने के लिए विंडब्रेकर लगाएँ, पेड़ों की छँटाई करें, ताकि हवा, धूप अंदर तक पहुँचे, ये इलाज फल को सिकुड़न से बचाएगा, और पैदावार बढ़ाएगा।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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