उत्तर प्रदेश में बारिश से आम की फसलों पर कीटों का खतरा, CISH ने दी बागवानों को सलाह

Mango Farming: उत्तर प्रदेश के बागवान जून से आम की तुड़ाई शुरू करने की तैयारी में हैं, लेकिन हाल की बारिश, ओलावृष्टि, और तेज हवाओं ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। इन मौसमी घटनाओं ने आम के बगीचों में फल मक्खी और थ्रिप्स जैसे कीटों के प्रकोप की आशंका को बढ़ाया है। ICAR-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (CISH), लखनऊ के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन ने बागवानों को समय रहते कीट नियंत्रण के उपाय अपनाने की सलाह दी है। उत्तर प्रदेश देश के 2.4 करोड़ टन आम उत्पादन का एक तिहाई हिस्सा देता है, जिसमें दशहरी, लंगड़ा, चौसा, और आम्रपाली जैसी किस्में शामिल हैं। इस खबर में कीटों के खतरे, नियंत्रण के उपाय, और बागवानों के लिए विशेषज्ञ सलाह पर चर्चा की गई है।

बारिश ने बढ़ाई बागवानों की चिंता

उत्तर प्रदेश के लखनऊ, सहारनपुर, बिजनौर, और बागपत जैसे प्रमुख आम उत्पादक क्षेत्रों में हाल की बारिश और ओलावृष्टि ने बागवानों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। तेज हवाओं ने पेड़ों की शाखाएँ तोड़ीं और छोटे फल गिरा दिए। बारिश के बाद बनी नमी कीटों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर रही है। CISH के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन ने बताया कि आर्द्र मौसम फल मक्खी और थ्रिप्स जैसे कीटों की गतिविधियों को बढ़ाता है। यदि इनका समय पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो तुड़ाई के समय फलों की गुणवत्ता और मात्रा पर बुरा असर पड़ सकता है।

सहारनपुर और बिजनौर में दशहरी और लंगड़ा आम की खेती बड़े पैमाने पर होती है। यहाँ बारिश ने फूलों के परागण को प्रभावित किया है, जिससे फल कम बने हैं। बागपत में ओलावृष्टि ने कई बगीचों में छोटे फलों को नुकसान पहुँचाया। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना उचित प्रबंधन के कीट 30-40% फसल को नष्ट कर सकते हैं।

कीटों का खतरा: फल मक्खी और थ्रिप्स पर नजर

CISH के अनुसार, फल मक्खी और थ्रिप्स आम की फसलों के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। फल मक्खी मादा फल के छिलके में अंडे देती है, और इसके लार्वा गूदे को खाकर फल को खराब कर देते हैं। ऐसे फल या तो समय से पहले गिर जाते हैं या बाजार में बिक्री योग्य नहीं रहते। थ्रिप्स कोमल पत्तियों और फूलों का रस चूसते हैं, जिससे फल बनने की प्रक्रिया बाधित होती है। डॉ. दामोदरन ने चेतावनी दी कि फल मक्खी की पहली पीढ़ी को नियंत्रित न करने पर इसकी आबादी तेजी से बढ़ेगी, जिससे जून में तुड़ाई के समय भारी नुकसान हो सकता है।

CISH की सलाह: कीट नियंत्रण के प्रभावी उपाय

CISH ने बागवानों को पर्यावरण-अनुकूल और किफायती उपाय सुझाए हैं। मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप नर फल मक्खियों को फँसाने का प्रभावी तरीका है। ये ट्रैप बाजार में 50-100 रुपये में मिलते हैं और इन्हें पेड़ की छतरी में 1.5-2 मीटर ऊँचाई पर, आधे-छायादार हिस्से में लगाएँ। प्रति एकड़ 8-10 ट्रैप पर्याप्त हैं। इन्हें हर 15-20 दिन में जाँचें और जरूरत पड़ने पर बदलें।

गुड़-आधारित जहरीला चारा भी वयस्क फल मक्खियों को नियंत्रित करता है। इसे बनाने के लिए 20 ग्राम गुड़ को 100 मिलीलीटर पानी में घोलें और 1 मिलीलीटर प्रति लीटर मैलाथियान 50 ईसी मिलाएँ। इस मिश्रण का छिड़काव पेड़ के तने, निचली शाखाओं, और पत्तियों पर करें। छिड़काव सुबह या देर दोपहर करें, क्योंकि बारिश या तेज धूप में यह कम प्रभावी होता है। इस प्रक्रिया को हर 7-10 दिन में दोहराएँ। थ्रिप्स के लिए डायनोकेप (1 मिली/लीटर) या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL (0.3 मिली/लीटर) का छिड़काव करें। बौर खिलने के दौरान रासायनिक कीटनाशकों से बचें, क्योंकि यह परागण करने वाली मक्खियों को नुकसान पहुँचाता है।

फल बैगिंग से बढ़ाएँ फल की गुणवत्ता

CISH ने फल बैगिंग को कीटों से बचाव और फल की गुणवत्ता बढ़ाने का अतिरिक्त उपाय बताया है। सहारनपुर में बागवान बैगिंग से दशहरी और लंगड़ा आम की चमक और स्वाद को बरकरार रख रहे हैं। फल को पतले कागज या कपड़े के बैग में लपेटने से फल मक्खी और थ्रिप्स से बचाव होता है। यह बारिश और धूप से भी फलों की रक्षा करता है। प्रति फल बैगिंग की लागत 1-2 रुपये है, और प्रति एकड़ 5000-7000 रुपये खर्च होते हैं। इससे फल की गुणवत्ता 20-30% बेहतर होती है और बाजार मूल्य 10-15% बढ़ता है।

लागत और नुकसान का अनुमान

कीट नियंत्रण की लागत बागवानों के लिए किफायती है। मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप के लिए प्रति एकड़ 500-1000 रुपये और गुड़-चारे के लिए 1000-1500 रुपये खर्च होते हैं। कुल लागत 2000-3000 रुपये प्रति एकड़ है। यदि कीट नियंत्रण न हो, तो 30-40% फसल नष्ट हो सकती है। उत्तर प्रदेश में आम की औसत उपज 8-10 टन प्रति हेक्टेयर है, और बाजार मूल्य 40-60 रुपये प्रति किलो है। 2-3 टन का नुकसान होने पर 80,000-1,20,000 रुपये का घाटा हो सकता है। समय पर उपाय से नुकसान 5-10% तक सीमित हो सकता है।

उत्तर प्रदेश के बागवानों के लिए बारिश के बाद कीट प्रकोप एक चुनौती है, लेकिन CISH के सुझाए उपायों से फसलों को बचाया जा सकता है। मिथाइल यूजेनॉल ट्रैप, गुड़-चारा, और फल बैगिंग से फल की गुणवत्ता और आय बढ़ेगी। सरकारी सहायता और प्रशिक्षण का लाभ उठाकर बागवान इस चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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