भारत में आम की खेती और खपत का रुझान दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। गाँव हो या शहर, लोग आम के लिए अच्छी-खासी कीमत चुकाने को तैयार हैं। इस बीच, महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में केसर आम की खेती ने किसानों के बीच धूम मचा दी है। जिला कृषि अधिकारी प्रकाश देशमुख बताते हैं कि 2022-23 में जहां सिर्फ 729 हेक्टेयर में केसर आम की खेती हो रही थी, वहीं 2024-25 में यह क्षेत्रफल बढ़कर 3470 हेक्टेयर हो गया है। यानी दो साल में यह पांच गुना बढ़ गया है। यह न सिर्फ किसानों की मेहनत, बल्कि नई तकनीकों और बाजार की मांग का कमाल है।
क्यों खास है केसर आम?
केसर आम की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह चार से पांच साल में फल देना शुरू कर देता है। इससे किसानों को जल्दी कमाई शुरू हो जाती है। इसका स्वाद और सुगंध न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी लोगों को दीवाना बना रहा है। पिछले साल छत्रपति संभाजीनगर से करीब 1500 मीट्रिक टन केसर आम का निर्यात हुआ, जो इसकी गुणवत्ता और मांग को दिखाता है। यही वजह है कि अब जलना और बीड जैसे पड़ोसी जिलों में भी किसान इसकी खेती की ओर बढ़ रहे हैं। केसर आम की मांग देश-विदेश में बढ़ने से किसानों की जेब में सीधा मुनाफा आ रहा है।
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हाई डेंसिटी प्लांटेशन का जादू
आम विशेषज्ञ भगवानराव कापसे बताते हैं कि केसर आम की खेती में अब हाई डेंसिटी प्लांटेशन (UHDP) तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। पहले पेड़ों को 33×33 फीट की दूरी पर लगाया जाता था, लेकिन अब यह दूरी घटाकर 14×5 फीट कर दी गई है। इस तकनीक से प्रति हेक्टेयर 580 से 622 पेड़ लगाए जा रहे हैं। इससे खेत में ज्यादा पेड़ लगते हैं और पैदावार भी बढ़ती है। परंपरागत खेती में जहां प्रति एकड़ 3-4 टन आम की उपज होती थी, वहीं इस नई तकनीक से यह 6-14 टन तक पहुंच गई है। यह तकनीक न सिर्फ पैदावार बढ़ाती है, बल्कि समय और पैसे की भी बचत करती है।
किसानों की कमाई में इजाफा
हाई डेंसिटी प्लांटेशन ने किसानों की कमाई को कई गुना बढ़ा दिया है। पहले जहां आम की खेती से सीमित मुनाफा होता था, वहीं अब यह तकनीक किसानों के लिए सोने की खान साबित हो रही है। छत्रपति संभाजीनगर के किसान अब न सिर्फ स्थानीय बाजारों में, बल्कि विदेशी बाजारों में भी अपनी उपज बेच रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन और जैविक खाद का इस्तेमाल करके किसान बेहतर गुणवत्ता वाले आम पैदा कर रहे हैं। इससे उनकी फसल की कीमत भी बढ़ रही है। इस तकनीक से खेती का खर्च कम होता है और मुनाफा ज्यादा, जिससे गाँव के किसानों का जीवन स्तर भी सुधर रहा है।
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निर्यात से बढ़ी रौनक
केसर आम की बढ़ती मांग का असर इसके निर्यात पर भी दिख रहा है। पिछले साल 1500 मीट्रिक टन केसर आम विदेश भेजे गए, जो यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों में खूब पसंद किए गए। इसकी मिठास और रंग ने विदेशी खरीदारों का दिल जीत लिया है। छत्रपति संभाजीनगर के किसान अब अपनी फसल को ‘मैंग्रो’ जैसे सहकारी संगठनों के जरिए निर्यात कर रहे हैं। यह संगठन प्री-कूलिंग, कोल्ड स्टोरेज और पैकिंग जैसी सुविधाएं देता है, जिससे आम की गुणवत्ता बनी रहती है। इससे न सिर्फ किसानों को अच्छी कीमत मिल रही है, बल्कि जिले की पहचान भी बढ़ रही है।
केसर आम की खेती और हाई डेंसिटी प्लांटेशन तकनीक ने छत्रपति संभाजीनगर के किसानों के लिए नई राहें खोल दी हैं। यह तकनीक न सिर्फ पैदावार बढ़ा रही है, बल्कि खेती को आसान और किफायती भी बना रही है। अगर आप भी इस खेती को शुरू करना चाहते हैं, तो अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें। वहां आपको बीज, तकनीक और सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी मिलेगी।
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