क्या आपके आम के पेड़ में दीमक लग रहें हैं? करे इस 2ml लिक्विड का उपयोग देखें चमत्कार

Mango farming tips: आम का पेड़ भारत के गाँवों में न सिर्फ स्वादिष्ट फल देता है, बल्कि पर्यावरण को हरा-भरा रखने में भी मदद करता है। लेकिन दीमक का प्रकोप इस पेड़ के लिए बड़ी चुनौती है। दीमक जड़ों, तने और शाखाओं को खोखला कर देते हैं, जिससे पेड़ की बढ़त रुक जाती है और फल उत्पादन कम हो जाता है। सही समय पर सावधानी बरतने से इस नुकसान को रोका जा सकता है। इस लेख में आम के पेड़ में दीमक के लक्षण और बचाव के सरल व प्रभावी उपाय बताए जा रहे हैं, ताकि गाँव के किसान अपने बगीचे को स्वस्थ और फलदायी रख सकें।

दीमक के प्रकोप को कैसे पहचानें

दीमक का प्रकोप शुरू होने पर कुछ संकेत साफ दिखाई देते हैं। पेड़ की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं, बढ़त रुक जाती है, और तने के पास जमीन पर मिट्टी के टीले जैसी संरचनाएँ बनने लगती हैं। दीमक पेड़ की जड़ों और तने को अंदर से खोखला कर देते हैं, जिससे पेड़ कमजोर होकर गिर भी सकता है। किसानों को समय-समय पर अपने पेड़ों की जाँच करनी चाहिए, ताकि दीमक के इन लक्षणों को शुरुआत में ही पकड़ा जा सके। जल्दी पहचान से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

मिट्टी की जाँच और प्राकृतिक उपचार

आम का पेड़ लगाने से पहले खेत की मिट्टी की अच्छी तरह जाँच कर लेनी चाहिए। अगर मिट्टी में दीमक के लक्षण दिखें, तो उसे उपचारित करना जरूरी है। नीम की खली या नीम का तेल मिट्टी में मिलाने से दीमक को रोका जा सकता है। नीम एक प्राकृतिक कीटनाशक है, जो दीमक को पेड़ के पास आने से रोकता है। यह तरीका किसानों के लिए सस्ता और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। मिट्टी में नीम की खली डालने से न सिर्फ दीमक, बल्कि अन्य हानिकारक कीट भी दूर रहते हैं। नजदीकी कृषि केंद्र से नीम की खली की उपलब्धता की जानकारी ली जा सकती है।

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जैविक तरीकों से दीमक नियंत्रण

जैविक उपाय दीमक को नियंत्रित करने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। नीम का तेल, लहसुन का अर्क, या गोमूत्र को पेड़ के आसपास की मिट्टी में डालने से दीमक का प्रकोप कम होता है। ये जैविक उत्पाद गाँव में आसानी से उपलब्ध होते हैं और इन्हें तैयार करना भी सरल है। गोमूत्र को पानी में मिलाकर पेड़ की जड़ों के पास छिड़कने से दीमक भाग जाते हैं। यह तरीका पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता के लिए हानिकारक नहीं है। गाँव के किसानों को रासायनिक कीटनाशकों की बजाय इन जैविक उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

रासायनिक कीटनाशकों का सावधानीपूर्वक उपयोग

अगर दीमक का प्रकोप ज्यादा हो, तो रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। क्लोरपायरीफॉस या इमिडाक्लोप्रिड जैसे कीटनाशकों को 2-4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर पेड़ के आसपास की मिट्टी में डाला जा सकता है। लेकिन इनका उपयोग बहुत सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि ये मिट्टी और पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकते हैं। गाँव के किसानों को नजदीकी कृषि सलाहकार से सही मात्रा और उपयोग की विधि की जानकारी लेनी चाहिए। रासायनिक कीटनाशकों का कम से कम उपयोग करें और जैविक विकल्पों को प्राथमिकता दें।

पेड़ की नियमित देखभाल और सफाई

आम के पेड़ की नियमित देखभाल दीमक से बचाव का सबसे आसान तरीका है। पेड़ के आसपास की मिट्टी को साफ और सूखा रखें, क्योंकि गीली और नम मिट्टी दीमक को आकर्षित करती है। पेड़ के तने के पास की मिट्टी को समय-समय पर खोदकर जाँच करें, ताकि दीमक के टीले या अन्य लक्षण दिखें तो तुरंत उपाय किए जा सकें। पेड़ के आसपास सूखी पत्तियाँ, टहनियाँ, या कचरा जमा न होने दें, क्योंकि ये दीमक के लिए प्रजनन स्थल बन सकते हैं। नियमित सफाई से दीमक का खतरा काफी कम हो जाता है।

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तने और जड़ों की सुरक्षा

पेड़ के तने और जड़ों को दीमक से बचाने के लिए कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं। तने के चारों ओर प्लास्टिक या धातु की बाड़ लगाने से दीमक तने तक नहीं पहुँच पाते। तने पर चूने का लेप लगाना भी एक पुराना और कारगर तरीका है। जड़ों की सुरक्षा के लिए जड़ों के आसपास नीम की खली या लकड़ी का कोयला डालें। ये सामग्री दीमक को जड़ों तक पहुँचने से रोकती है। गाँव में ये सामग्री आसानी से मिल जाती है और इनका उपयोग करना भी सरल है।

फेरोमोन ट्रैप का उपयोग

फेरोमोन ट्रैप दीमक को नियंत्रित करने का एक आधुनिक और प्रभावी तरीका है। ये ट्रैप दीमक को आकर्षित करके उन्हें फँसाते हैं, जिससे उनकी संख्या कम होती है। इन्हें पेड़ के आसपास लगाया जा सकता है। गाँव के किसान अपने नजदीकी कृषि केंद्र से फेरोमोन ट्रैप के बारे में जानकारी ले सकते हैं। यह तरीका दीमक के प्रकोप को कम करने में मदद करता है और पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।

किसानों के लिए विशेष सुझाव

आम के पेड़ को दीमक से बचाने के लिए किसानों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। पेड़ लगाने से पहले मिट्टी की जाँच करें और नीम की खली का उपयोग करें। जैविक उपायों को प्राथमिकता दें, क्योंकि ये पर्यावरण और मिट्टी के लिए बेहतर हैं। रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग केवल जरूरत पड़ने पर और सलाह लेकर करें। पेड़ के आसपास नियमित सफाई और जाँच करते रहें। नजदीकी कृषि केंद्र से दीमक नियंत्रण के लिए सही सलाह और सामग्री लें। इन उपायों को अपनाकर आम के पेड़ को स्वस्थ और उत्पादक बनाए रखा जा सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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