Mango Farming Tips: किसान भाइयों, आम हम सबका प्यारा फल है, लेकिन इसके पेड़ को कीट और रोगों से बचाना बड़ी चुनौती है। खासकर बौर के समय मधुआ कीट, दहिया कीट और एन्थ्रेकनोज रोग पेड़ को नुकसान पहुँचाते हैं। इनसे फल कम लगते हैं और गुणवत्ता भी खराब हो सकती है। गाँव में आम के बाग को हरा-भरा और फल से लदा रखने के लिए तीन सही समय पर छिड़काव बहुत जरूरी हैं। सही दवा और तरीके से ये काम करें तो बाग सुरक्षित रहेगा और फल भी बढ़िया आएगा। चलिए, समझते हैं कि ये कैसे करना है।
पहला छिड़काव: बौर आने से पहले
आम के पेड़ पर जब बौर आने की तैयारी हो, उससे पहले पूरा छिड़काव करें। ये कीटों और रोगों से पहली ढाल बनाता है। इस समय मधुआ कीट और फफूंद की शुरुआत हो सकती है। गाँव में इमिडाक्लोप्रिड (1 मिली प्रति 3 लीटर पानी) या डाइमेथोएट (1 मिली प्रति लीटर पानी) लें। साथ में फफूंदनाशक जैसे सल्फर (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) मिलाएँ। सुबह या शाम को पेड़ की हर टहनी और पत्तों पर अच्छे से छिड़कें। ऐसा करने से बौर मजबूत निकलता है और कीट दूर रहते हैं।
दूसरा छिड़काव: दाना सरसों जितना होने पर
जब बौर में सरसों के दाने जितने छोटे फल लग जाएँ, तो दूसरा छिड़काव करें। इस समय मधुआ कीट और दहिया कीट बौर को चूसने लगते हैं। थायोमेथाक्साम (1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) या इमिडाक्लोप्रिड इस्तेमाल करें। फफूंद से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) या हेक्साकोनाजोल (2 मिली प्रति लीटर पानी) मिलाएँ। पंप से अच्छे से छिड़कें ताकि हर दाना और पत्ती तक दवा पहुँचे। ये छिड़काव बौर को कीटों से बचाता है और फल बढ़ने में मदद करता है।
तीसरा छिड़काव: फल मटर जितना होने पर
जब आम के टिकोले मटर के दाने जितने बड़े हो जाएँ, तो तीसरा छिड़काव करें। इस वक्त कीट और रोग बढ़ सकते हैं। डाइमेथोएट या थायोमेथाक्साम दोबारा लें। फफूंदनाशक में सल्फर या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) डालें। साथ में अल्फा नेप्थाईल एसीटिक एसीड (4.5% SL, 2 मिली प्रति 10 लीटर पानी) मिलाएँ ये फल और बौर को झड़ने से बचाता है। छिड़काव सुबह करें और दवा में थोड़ा स्टीकर (1 मिली प्रति लीटर) डालें, ताकि असर लंबा चले। इससे फल बढ़िया पकते हैं।
मधुआ कीट से बचाव
मधुआ कीट छोटा-सा होता है, लेकिन बौर को चूसकर फल कम कर देता है। इसके लिए इमिडाक्लोप्रिड (1 मिली प्रति 3 लीटर पानी) या डाइमेथोएट (1 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) भी बढ़िया काम करता है। दूसरा और तीसरा छिड़काव खास इसके लिए जरूरी है। पेड़ की जड़ों के पास घास न छोड़ें, क्यूँकि ये वहाँ छिपता है। ऐसा करने से मधुआ भाग जाता है और बौर सुरक्षित रहता है।
दहिया कीट से बचाव
दहिया कीट सफेद और चिपचिपा होता है, जो पेड़ की छाल और बौर को नुकसान पहुँचाता है। सल्फर (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) छिड़कें। पहला और दूसरा छिड़काव इसके लिए खास हैं। पेड़ के तने पर मिट्टी चढ़ाएँ या नीमखली डालें, ये कीट को ऊपर चढ़ने से रोकता है। ऐसा करने से दहिया काबू में रहता है और फल की गुणवत्ता बची रहती है।
एन्थ्रेकनोज रोग से राहत
एन्थ्रेकनोज रोग बारिश या ओस से बौर पर काले धब्बे बनाता है। इसके लिए कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) या हेक्साकोनाजोल (2 मिली प्रति लीटर पानी) छिड़कें। तीसरा छिड़काव इस रोग से बचाने में बढ़िया काम करता है। पेड़ के आसपास गिरी पत्तियाँ हटाएँ, क्यूँकि वहाँ फफूंद पनपती है। ऐसा करने से बौर और फल रोगमुक्त रहते हैं।
किसानों के लिए सलाह
किसान भाइयों और बहनों, आम के बाग को कीट और रोगों से बचाने के लिए ये तीन छिड़काव जरूर करें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से दवाएँ लें और सही मात्रा में मिलाएँ। सुबह या शाम को छिड़काव करें, ताकि धूप से दवा खराब न हो। नीम का तेल और गोबर का घोल भी साथ में इस्तेमाल करें। ये तरीके आपके बाग को हरा-भरा रखेंगे और बढ़िया आम की फसल देंगे। अभी से तैयारी करें ताकि मुनाफा आपके हाथ में आए।
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