Masoor Cultivation in Hindi: अब किसान मसूर की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार इस फसल के लिए 50% अनुदान पर बीज दे रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इसे उगाएँ। बाजार में दाल के दाम ऊँचे होने से मसूर की खेती अच्छा मुनाफा दे रही है। ये फसल कम लागत में तैयार होती है और मेहनत का पूरा फल देती है। ठंड की शुरुआत में इसे उगाने से फसल लहलहाती है। चलिए, जानते हैं कि मसूर की खेती कैसे आपके लिए फायदे का सौदा बन सकती है।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
मसूर की खेती में खर्चा कम आता है। किसानों का कहना है कि एक एकड़ फसल तैयार करने में 3 से 5 हजार रुपये लगते हैं। बाजार में मसूर की दाल अच्छे दामों पर बिकती है। ये फसल कम लागत में तैयार हो जाती है और बढ़िया कमाई करवाती है। सरकार भी दाल की खेती को बढ़ावा दे रही है ताकि आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा हो। दाल के ऊँचे रेट का सीधा फायदा किसानों की जेब में जाता है। ये फसल 100-120 दिन में तैयार हो जाती है और मार्च तक कटाई के लिए तैयार होती है।
मसूर की सबसे बढ़िया किस्में
मसूर की खेती में सही बीज चुनना जरूरी है। कुछ बढ़िया किस्में हैं जो अच्छी पैदावार देती हैं। मसूर की ‘आईपीएल 316’ तेजी से बढ़ती है और प्रति हेक्टेयर 15-18 क्विंटल तक देती है। ‘पंत मसूर 5’ रोगों से लड़ने में माहिर है और ठंड में अच्छी पैदावार देती है। ‘एलएसजी 135’ छोटे दानों वाली किस्म है, जो बाजार में खूब पसंद की जाती है। ‘जेएल 3’ भी एक भरोसेमंद किस्म है, जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती है। इन किस्मों को चुनकर किसान अपनी फसल को बेहतर बना सकते हैं और मुनाफा बढ़ा सकते हैं।
मसूर की खेती का सही समय
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि मसूर की बुआई के लिए अक्टूबर और नवंबर का महीना सबसे सही है। ठंड की शुरुआत में बीज बोने से पौधे अच्छे बढ़ते हैं। हल्की ठंड को ये सहन कर लेते हैं, लेकिन देर से बोएँ तो पौधे छोटे रह जाते हैं और फलियाँ कम लगती हैं। इसे हल्की धूप चाहिए। बुआई से पहले खेत की अच्छी जुताई करें ताकि मिट्टी नरम हो और पोषक तत्व पौधों को मिलें। सही देखभाल से पैदावार बढ़ती है।
खेत और मिट्टी की तैयारी
मसूर की खेती के लिए ऐसी जमीन चाहिए, जहाँ पानी की निकासी अच्छी हो। जलभराव वाली जगह फसल को नुकसान पहुँचाती है। उन्नत किस्म के बीज चुनें और गोबर या जैविक खाद डालें ताकि फसल की क्वालिटी बढ़िया रहे। वैज्ञानिकों का कहना है कि मसूर मिट्टी की सेहत के लिए भी अच्छी है। ये नाइट्रोजन को बरकरार रखती है, जिससे अगली फसल भी लहलहाती है। कम मेहनत वाली ये फसल मिट्टी को फायदा पहुँचाती है और जेब को भी भरती है।
खेती का तरीका
मसूर की बुआई के लिए खेत को दो-तीन बार जोतें। अक्टूबर-नवंबर में बीज बोएँ। एक एकड़ में 12-15 किलो बीज काफी है। बीज को 2-3 इंच गहरा और 10-12 इंच की दूरी पर लगाएँ। शुरू में हल्का पानी दें और खरपतवार हटाएँ। 100-120 दिन में फसल तैयार हो जाती है। मार्च में कटाई के बाद इसे बाजार में बेचें। सरकार से सस्ता बीज लेकर खर्च और कम करें।
किसानों के लिए सलाह
किसान भाइयों, मसूर की खेती आपकी जेब मजबूत कर सकती है। सरकार से 50% अनुदान पर बीज लें और ठंड शुरू होते ही बुआई करें। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें और उन्नत बीज चुनें। जलभराव से बचें और जैविक खाद डालें। बाजार में दाल के अच्छे दाम मिलते हैं, तो सही वक्त पर बेचें। ये फसल कम लागत में तैयार होती है और मुनाफा भरपूर देती है। अभी से तैयारी करें ताकि अगले सीजन में आपकी कमाई बढ़े।
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