खेत पड़ा है खाली? मई में छिड़क दें 50 रुपये का ये बीज, 60 दिन में होगी लाखों की कमाई!

May me Dhaniya ki kheti: मई का महीना चल रहा है, और रबी फसलों की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। खेत अब खाली पड़े हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि किसान भाइयों की कमाई रुक जाए। इन खाली खेतों को गर्मियों और बरसात के मौसम में धनिया की खेती के लिए इस्तेमाल करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। धनिया की फसल सिर्फ 40 से 45 दिनों में तैयार हो जाती है, और इसकी पत्तियों की मांग बरसात में आसमान छूती है।

बाजार में हरी धनिया 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक बिकती है। अगर आप कम लागत में तगड़ी कमाई चाहते हैं, तो धनिया की खेती आपके लिए सुनहरा मौका है। आइए जानें कैसे आप इस फसल को उगा सकते हैं।

आरसीआर 728 सबसे फायदेमंद किस्म

धनिया की खेती में सही किस्म का चुनाव मुनाफे की कुंजी है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, आरसीआर 728 किस्म गर्मियों और बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा फायदेमंद है। इस किस्म की पत्तियाँ चौड़ी, सुगंधित, और बाजार में खूब पसंद की जाती हैं। ये 40 से 45 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है, और एक एकड़ में 8 से 10 क्विंटल तक हरी धनिया दे सकती है। इसकी खेती के लिए कम लागत लगती है, और हाइब्रिड बीज होने की वजह से ये 2 से 3 बार कटाई दे सकती है। अगर आप इस किस्म को चुनते हैं, तो बाजार में अच्छा भाव मिलना तय है।

खेत की तैयारी

धनिया की खेती के लिए खेत को सही तरीके से तैयार करना बेहद जरूरी है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश के अनुसार, खेत में पानी का अच्छा निकास होना चाहिए, क्योंकि बरसात में जलभराव फसल को खराब कर सकता है। दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो। खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।

इसके बाद प्रति एकड़ 3 से 4 ट्रॉली सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। अगर गोबर की खाद उपलब्ध न हो, तो 2 बोरी सिंगल सुपर फॉस्फेट का इस्तेमाल करें। रोटावेटर से खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलाएँ। बुवाई से पहले हल्की सिंचाई करें, ताकि बीजों का अंकुरण एकसमान हो।

बीज की बुवाई और देखभाल

धनिया की बुवाई के लिए प्रति एकड़ 7 से 8 किलो आरसीआर 728 किस्म के हाइब्रिड बीज काफी हैं। बीजों को बोने से पहले 12 से 24 घंटे पानी में भिगोएँ, और बाविस्टिन (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचार करें, ताकि फफूंद से बचाव हो। बीजों को 30 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियों में 2-4 सेंटीमीटर गहराई पर बोएँ। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। गर्मियों में हर 2-4 दिन और बरसात में 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। स्प्रिंकलर विधि से हल्की सिंचाई सबसे अच्छी होती है, क्योंकि ज्यादा पानी फसल को नुकसान पहुँचा सकता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के तुरंत बाद पेंडीमेथिलिन (700 मिली प्रति एकड़) का छिड़काव करें।

कीट और रोग से बचाव

बरसात के मौसम में नमी बढ़ने से फफूंद और कीटों का खतरा रहता है। धनिया में चेपा और जड़ों को नुकसान पहुँचाने वाले कीट आम हैं। इन्हें रोकने के लिए क्लोरोपायरीफॉस की उचित मात्रा में छिड़काव करें। फफूंद से बचाव के लिए बीजों को बोने से पहले थायरम 1.5 से 2 ग्राम प्रति किलो बीज का उपयोग करें। अगर पत्तियाँ पीली पड़ने लगें, तो यूरिया (100-150 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) का घोल बनाकर छिड़काव करें। इससे पौधों की ग्रोथ बढ़ती है और पत्तियाँ हरी रहती हैं।

कटाई और मुनाफा

धनिया की फसल 40 से 45 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। जब पत्तियाँ पूरी तरह हरी और सुगंधित हो जाएँ, तो सुबह के समय कटाई करें। एक एकड़ से 8 से 10 क्विंटल हरी धनिया मिल सकती है। बरसात में बाजार में इसकी कीमत 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक जाती है। अगर औसतन 250 रुपये प्रति किलो का भाव मिले, तो एक एकड़ से 2 से 2.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत मात्र 25-30 हजार रुपये आती है, जिसमें बीज, खाद, और सिंचाई शामिल हैं। यानी साफ मुनाफा 1.5 लाख रुपये से ज्यादा हो सकता है।

किसानों के लिए सलाह

अगर आप मई में धनिया की खेती शुरू करते हैं, तो जून-जुलाई में फसल तैयार हो जाएगी। इस समय बाजार में हरी धनिया की मांग बढ़ जाती है, और भाव भी अच्छे मिलते हैं। अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से आरसीआर 728 बीज और जैविक खेती की जानकारी लें। खेत में जलभराव से बचें, और स्प्रिंकलर सिस्टम का इस्तेमाल करें। अगर आप हरी धनिया के साथ बीज भी बेचना चाहते हैं, तो पहली कटाई के बाद पौधों को बीज के लिए छोड़ दें। ये बीज अगले सीजन के लिए काम आएँगे और अतिरिक्त कमाई भी देंगे।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

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