किसान साथियों, मिर्च भारत की सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है, जिसकी मांग साल भर रहती है। मई का महीना गर्मी का समय है, लेकिन सही तरीके और सिंचाई की सुविधा के साथ मिर्च की खेती शुरू की जा सकती है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, और मध्य प्रदेश जैसे गर्म क्षेत्रों में मई में मिर्च की नर्सरी तैयार की जाती है, जिसे बाद में मुख्य खेत में रोप दिया जाता है। ये फसल न सिर्फ कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है, बल्कि गाँव के किसानों के लिए रोजगार का साधन भी है। इस लेख में हम मई में मिर्च की खेती के बारे में बताएँगे ताकि आप इसे अपने खेत में आसानी से शुरू कर सकें।
खेत और मिट्टी की तैयारी
मिर्च की खेती के लिए सही मिट्टी का चुनाव जरूरी है। ये फसल दोमट, रेतीली दोमट, या काली मिट्टी में अच्छी तरह उगती है, जहां जल निकासी अच्छी हो। मिट्टी का पीएच 6 से 7 के बीच होना चाहिए। मई में खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद, प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें। अगर मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी है, तो अपने गाँव के कृषि केंद्र पर मिट्टी की जाँच करवाएं। मिट्टी में नीम की खली डालने से कीटों का खतरा कम होता है। खेत को समतल करें, क्योंकि मई की गर्मी में ज्यादा पानी जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है
नर्सरी प्रबंधन और बीज का चयन
मई में मिर्च की खेती नर्सरी से शुरू होती है, क्योंकि गर्मी में सीधे खेत में बुआई जोखिम भरी हो सकती है। उच्च उपज वाली किस्में, जैसे तेजा, ब्याडगी, गuntur Sannam, या संकर किस्में (जैसे अर्का मेघना, NS 1701), चुनें। ये किस्में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में लोकप्रिय हैं। प्रति हेक्टेयर 1-1.5 किलो बीज काफी है। नर्सरी के लिए छायादार जगह चुनें और 1 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाएं। बीज को बोने से पहले 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज से उपचारित करें, ताकि फफूंद से बचाव हो। बीज को 1 सेंटीमीटर गहराई में बोएं और हल्का पानी दें। नर्सरी में मिट्टी को नम रखें, लेकिन ज्यादा गीला न करें। 25-30 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाएंगे।
रोपण का सही समय और तरीका
मई में नर्सरी तैयार करने के बाद, पौधों को जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में मुख्य खेत में रोपें, जब मॉनसून शुरू हो। रोपण से पहले खेत में 45 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियां बनाएं और पौधों के बीच 30-40 सेंटीमीटर का फासला रखें। प्रत्येक गड्ढे में गोबर की खाद और थोड़ा NPK उर्वरक (10:26:26) डालें। पौधों को सुबह या शाम के समय रोपें, ताकि गर्मी का असर कम हो। रोपण के बाद हल्का पानी दें और मल्चिंग करें, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे। मई की गर्मी में नर्सरी को छाया देने के लिए जाल या पुआल का इस्तेमाल करें।
पानी और उर्वरक का प्रबंधन
मिर्च की फसल को नियमित लेकिन संतुलित पानी की जरूरत होती है। मई में नर्सरी में हर 2-3 दिन में हल्का पानी दें। मुख्य खेत में रोपाई के बाद, सप्ताह में एक बार ड्रिप इरिगेशन से पानी देना सबसे अच्छा है। ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं। उर्वरक के लिए, रोपाई के समय प्रति हेक्टेयर 50 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो फॉस्फोरस, और 25 किलो पोटाश डालें। रोपाई के 30 दिन बाद 25 किलो नाइट्रोजन और डालें। जैविक खेती के लिए गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, और नीम की खली का इस्तेमाल करें। उर्वरक डालने के बाद हल्की गुड़ाई करें, ताकि मिट्टी में हवा रहे।
कीट और रोगों से बचाव
मिर्च की फसल में थ्रिप्स, माइट्स, और फल छेदक कीट परेशानी खड़ी कर सकते हैं। थ्रिप्स और माइट्स से बचने के लिए नीम का तेल 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें। फल छेदक के लिए इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें। रोगों में पाउडरी मिल्ड्यू और फल सड़न आम हैं। पाउडरी मिल्ड्यू से बचने के लिए 1% बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें। फल सड़न के लिए खराब फलों को तुरंत हटाएं और मिट्टी को साफ रखें। अपने गाँव के कृषि सलाहकार से समय-समय पर सलाह लें, ताकि छोटी समस्याएं बड़ी न बनें।
खरपतवार नियंत्रण और देखभाल
मिर्च की फसल को शुरूआती 30-40 दिन खरपतवार से मुक्त रखना जरूरी है। रोपाई के 15 दिन बाद हाथ से निराई-गुड़ाई करें। इसके बाद, 30 दिन पर दूसरी गुड़ाई करें। अगर खरपतवार ज्यादा हों, तो पेंडीमेथालिन 1 किलो प्रति हेक्टेयर छिड़कें, लेकिन जैविक खेती में मल्चिंग और नियमित गुड़ाई करें। पौधों को सहारा देने के लिए बांस की टहनियों का इस्तेमाल करें, ताकि फल जमीन को न छुएं। मई की गर्मी में पौधों को छाया देने के लिए जाल का उपयोग करें।
कटाई और भंडारण की तकनीक
मिर्च की फसल रोपाई के 60-90 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। हरी मिर्च के लिए फल हरे और चमकदार होने पर तोड़ें। सूखी मिर्च के लिए फल लाल होने तक पेड़ पर छोड़ें। कटाई सुबह के समय करें और फलों को सावधानी से तोड़ें। कटे फलों को छायादार जगह पर रखें और साफ बोरियों में पैक करें। हरी मिर्च को 10-12 डिग्री सेल्सियस पर कोल्ड स्टोरेज में 20-25 दिन तक रखा जा सकता है। सूखी मिर्च को धूप में सुखाकर हवादार जगह पर स्टोर करें।
एक एकड़ में मिर्च की खेती से कितनी कमाई
मिर्च की खेती से एक एकड़ में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है, बशर्ते आप सही तरीके अपनाएं। कुल लागत लगभग 50,000-70,000 रुपये हो सकती है, जिसमें बीज (2,000-3,000 रुपये), उर्वरक (10,000-15,000 रुपये), सिंचाई और श्रम (20,000-30,000 रुपये), और कीटनाशक (5,000-10,000 रुपये) शामिल हैं। एक एकड़ में औसतन 8-12 टन हरी मिर्च या 2-3 टन सूखी मिर्च की पैदावार हो सकती है। हरी मिर्च का बाजार मूल्य 30-50 रुपये प्रति किलो और सूखी मिर्च का 100-150 रुपये प्रति किलो हो सकता है। अगर आप 10 टन हरी मिर्च बेचते हैं, तो 40 रुपये प्रति किलो की दर से 4,00,000 रुपये की कमाई हो सकती है। लागत घटाने के बाद, 3,00,000-3,50,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा मिल सकता है।
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