मई में करें इस सब्जी की बंपर खेती, सिर्फ 45 दिन में होगी छप्परफाड़ कमाई!

लोबिया की खेती किसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। ये ऐसी फसल है, जो ना सिर्फ कम समय में तैयार हो जाती है, बल्कि बाजार में इसकी मांग भी सालभर बनी रहती है। गर्मियों और बरसात के मौसम में लोबिया की हरी फलियाँ देखते ही देखते बिक जाती हैं। किसान इसे सब्जी के रूप में बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इतना ही नहीं, इसके पौधे पशुओं के चारे के लिए भी काम आते हैं। यानी एक फसल से दोहरा फायदा। बाराबंकी के किसान इस फसल को बड़े पैमाने पर उगा रहे हैं, और इसकी बिक्री से उनकी जेब भर रही है।

सही समय और किस्म का चयन

लोबिया की खेती में मुनाफा कमाने के लिए सही समय पर बुवाई और अच्छी किस्मों का चयन बहुत जरूरी है। गर्मी और खरीफ सीजन इस फसल के लिए सबसे सही समय है। बाराबंकी के कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पंत लोबिया, पूसा फाल्गुनी, पूसा कोमल, अर्का गरिमा और पूसा ऋतुराज जैसी उन्नत किस्में कम समय में ज्यादा पैदावार देती हैं। ये किस्में कीट और रोगों से भी बची रहती हैं, जिससे किसानों की लागत कम रहती है। सही किस्म चुनकर और समय पर बुवाई करके किसान अपनी फसल की पैदावार को दोगुना कर सकते हैं।

उन्नत किस्मों का कमाल

लोबिया की कई उन्नत किस्में किसानों के बीच मशहूर हैं। मिसाल के तौर पर, पंत लोबिया की फसल 60-65 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ 15-20 क्विंटल की पैदावार देती है। इसकी फलियाँ सफेद दानों वाली और झाड़ीदार होती हैं। वहीं, पूसा कोमल बैक्टीरियल ब्लाइट जैसी बीमारियों से लड़ने में माहिर है। इसकी फसल से एक एकड़ में 28-30 क्विंटल तक पैदावार मिलती है।

अर्का गरिमा को भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान ने तैयार किया है। इसकी फलियाँ लंबी, मोटी और मांसल होती हैं, और 40-45 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल तक पैदावार मिलती है। पूसा ऋतुराज भी कम समय में अच्छी फसल देती है, और इसकी पैदावार 100-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है।

मिट्टी और देखभाल

लोबिया की खेती का एक बड़ा फायदा ये है कि ये लगभग हर तरह की मिट्टी में उग जाती है। हाँ, अगर मिट्टी थोड़ी क्षारीय हो और पानी के निकास का अच्छा इंतजाम हो, तो फसल और बेहतर होती है। बाराबंकी के खेतों में किसान इस बात का खास ध्यान रखते हैं। बुवाई से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना और समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना जरूरी है। लोबिया के पौधे डेढ़ से तीन फीट तक बढ़ते हैं, और इनकी फलियाँ 20-25 सेमी लंबी होती हैं। ये फलियाँ मोटी, गुदेदार और हल्के हरे रंग की होती हैं, जो बाजार में खूब पसंद की जाती हैं।

बाजार में लोबिया की धूम

लोबिया की फलियों की मांग गर्मियों में सबसे ज्यादा रहती है। बाराबंकी के बाजारों में इसकी हरी फलियाँ और दाने खूब बिकते हैं। लोग इसे सब्जी के रूप में कई देसी व्यंजनों में इस्तेमाल करते हैं। इसे चवली भी कहते हैं, और ये हर घर की रसोई में अपनी जगह बना लेती है। किसानों का कहना है कि लोबिया की खेती में लागत कम लगती है, और मुनाफा कई गुना ज्यादा मिलता है। खासकर तब, जब सही किस्म और सही देखभाल हो। कृषि उपनिदेशक श्रवण कुमार बताते हैं कि बाराबंकी में लोबिया की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ रही है, और ये फसल उनकी जिंदगी बदल रही है।

अगर आप भी बाराबंकी या आसपास के इलाकों में लोबिया की खेती करना चाहते हैं, तो स्थानीय कृषि केंद्र से सलाह लें। सही किस्म चुनें, खेत को अच्छे से तैयार करें, और समय पर बुवाई करें। लोबिया की खेती ना सिर्फ आपकी जेब भरेगी, बल्कि आपके खेतों को भी हरा-भरा रखेगी। ये फसल कम मेहनत और कम लागत में बड़ा मुनाफा देती है। तो देर किस बात की, इस खरीफ सीजन में लोबिया की खेती शुरू करें और अपनी किस्मत चमकाएँ।

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  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

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