मई में बोएं मूंगफली की ये अगेती किस्में, सिर्फ 90 दिन में होगी शानदार कमाई

May mein Moongfali Ki Ageti Kheti: गर्मी शुरू होते ही किसान भाई ऐसी फसल ढूंढते हैं, जो कम समय में तैयार हो और जेब में मुनाफा डाले। मूंगफली ऐसी ही फसल है, खासकर इसकी अगेती किस्में। मई 2025 में मूंगफली की खेती करना किसानों के लिए बंपर कमाई का मौका ला सकता है। मई में मिट्टी में नमी रहती है, जो बीज को जल्दी अंकुरित करती है। अगर सही किस्म और तकनीक अपनाएँ, तो जुलाई तक फसल तैयार होकर बाजार में अच्छा दाम दिला सकती है। आइए, जानें मूंगफली की अगेती किस्में, खेती की विधि, और सरकारी सहायता के बारे में।

मई में मूंगफली क्यों बोएँ

मई का महीना मूंगफली की अगेती खेती के लिए शानदार है। इस समय खेत खाली होते हैं, और मानसून से पहले नमी बीज को तेजी से उगाने में मदद करती है। अगेती किस्में 90-110 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं, जिससे जुलाई में फसल बेचकर किसान जल्दी पैसे कमा सकते हैं। इतना ही नहीं, मूंगफली की फसल के बाद उसी खेत में खरीफ सीजन में धान, मक्का, या दूसरी फसल बोई जा सकती है। इससे साल में दो फसलों का फायदा मिलता है। बाजार में मूंगफली का भाव 6,000-7,000 रुपये प्रति क्विंटल तक रहता है, और अगेती फसल से 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल सकता है। यानी 1.5-2 लाख रुपये तक की कमाई आसानी से हो सकती है।

अगेती किस्में जो चमकाएँगी खेत

मूंगफली की कई अगेती किस्में हैं, जो कम समय में अच्छी पैदावार देती हैं।

  • TG-37A: यह किस्म 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है। सूखा सहन करने की क्षमता अच्छी है और दाना भी मोटा होता है।

  • GG-2: गुजरात के किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प। 95 से 105 दिनों में फसल तैयार हो जाती है और उत्पादन भी अच्छा मिलता है।

  • JL-24: महाराष्ट्र और मध्य भारत के लिए उपयुक्त, यह किस्म 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है।

  • Kadiri-6: आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ज्यादा बोई जाती है। यह किस्म भी लगभग 100 दिनों में तैयार हो जाती है और तेल की मात्रा अच्छी होती है।

खेती की सही तकनीक

मूंगफली की खेती के लिए मई में खेत को अच्छे से तैयार करें। बलुई दोमट मिट्टी, जिसका पीएच 6.0-8.0 हो, सबसे अच्छी है। खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से जोतें, फिर 2-3 बार हैरो चलाकर मिट्टी भुरभुरी करें। आखिरी जुताई में 5 टन गोबर की खाद और 2.5 क्विंटल जिप्सम प्रति हेक्टेयर डालें। बीज को ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें ताकि फफूंद न लगे। बुवाई कतारों में करें, कतार से कतार 30 सेमी और पौधे से पौधे 10 सेमी की दूरी रखें। प्रति हेक्टेयर 80-100 किलो बीज काफी है। सिंचाई का खास ध्यान रखें, खासकर फूल और दाना बनने के समय। फूल आने पर पानी ज्यादा गर्म न हो, वरना फसल को नुकसान हो सकता है।

रोग और कीट से बचाव

मूंगफली में सफेद मक्खी, माहू, और तना गलन जैसे रोग परेशान कर सकते हैं। सफेद मक्खी और माहू के लिए नीम आधारित जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें। अगर कीट ज्यादा हों, तो नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर सुरक्षित दवा इस्तेमाल करें। तना गलन से बचने के लिए बीज उपचार जरूरी है। खेत में जलजमाव न होने दें, क्योंकि ये फफूंद को बढ़ावा देता है। समय-समय पर खेत की जाँच करें और पौधों को स्वस्थ रखें।

सरकारी सहायता और बीज कहाँ से लें

कई राज्य सरकारें मूंगफली की अगेती किस्मों के बीज पर सब्सिडी देती हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और गुजरात में कृषि विभाग के तहत बीज निगम और सहकारी समितियाँ सस्ते बीज उपलब्ध कराती हैं। मध्य प्रदेश में आत्मा योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मूंगफली की खेती के लिए अनुदान मिलता है। किसान 1800-180-1551 पर कॉल कर जानकारी ले सकते हैं। गुजरात में ICAR के तहत गिरनार-4 जैसे बीज प्रमाणित केंद्रों पर मिलते हैं। स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।

किसान भाइयों के लिए सलाह

मई  में मूंगफली की अगेती खेती कम समय में अच्छी कमाई का मौका है। सही किस्म चुनें, समय पर बुवाई करें, और सिंचाई-कीट प्रबंधन पर ध्यान दें। प्रमाणित बीज और सरकारी योजनाओं का फायदा उठाएँ। अपने गाँव के किसानों को भी ये जानकारी बाँटें, ताकि सबके खेत लहलहाएँ।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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