मई की ये 3 फसलें हैं सोने का खजाना, जून की बारिश के बाद होगी बंपर कमाई!

May mein Sabjiyon Ki Kheti: मई की गर्मी शुरू हो चुकी है, और उत्तर भारत में सूरज आग उगल रहा है। लेकिन किसान भाइयों, ये मौसम सिर्फ पसीना बहाने का नहीं, बल्कि मुनाफा कमाने का भी है। 15 जून के बाद मानसून की बारिश शुरू होगी, और बाजार में हरी सब्जियों की आवक कम होने से दाम आसमान छूने लगेंगे। शाहजहांपुर के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुनीत कुमार पाठक सलाह देते हैं कि मई के पहले हफ्ते में भिंडी, करेला, और बैंगन की बुआई शुरू कर दें। ये तीनों फसलें गर्मी और बरसात में बढ़िया पैदावार देती हैं और अच्छा मुनाफा दिलाती हैं। आइए, जानें कि मई में इन सब्जियों की खेती कैसे करें और मुनाफा कैसे पाएँ।

मई में हरी सब्जियाँ क्यों बोएँ

गर्मियों में हरी सब्जियों की माँग बढ़ जाती है, लेकिन बाजार में इनकी कमी हो जाती है। नतीजा, भिंडी, करेला, और बैंगन जैसे रोजमर्रा की सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं। मई में इनकी बुआई करने से 45-60 दिनों में फसल तैयार हो जाती है, जो जुलाई में मानसून शुरू होने पर ऊँचे दामों में बिकती है। शाहजहांपुर जैसे इलाकों में मिट्टी और मौसम इन फसलों के लिए बिल्कुल मुफीद है। अगर सही किस्म और तकनीक अपनाएँ, तो किसान भाई एक सीजन में बढ़िया कमाई कर सकते हैं। ये फसलें न सिर्फ मुनाफा देती हैं, बल्कि खेत को अगली फसल के लिए भी तैयार रखती हैं।

भिंडी की खेती और फायदे

भिंडी बाजार की शान है, जिसकी माँग सालभर रहती है। मई में बुआई करने से 45-50 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। शाहजहांपुर में पूसा सावनी, अर्का अनामिका, और परभणी क्रांति जैसी उन्नत किस्में बढ़िया पैदावार देती हैं। डॉ. पाठक सलाह देते हैं कि एक एकड़ के लिए 5-6 किलो प्रमाणित बीज चुनें। खेत को दो बार जोतकर भुरभुरी करें और आखिरी जुताई में 8-10 टन गोबर की सड़ी खाद मिलाएँ।

कतार से कतार 45 सेमी और पौधे से पौधे 15 सेमी की दूरी रखें। बुआई से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा से उपचारित करें ताकि फफूंद न लगे। भिंडी की फसल से एक एकड़ में 50-60 क्विंटल उत्पादन मिल सकता है, और बाजार में 30-50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से 1.5-2 लाख की कमाई हो सकती है।

करेले की खेती का तरीका

करेला गर्मियों में सेहत का खजाना माना जाता है, और इसकी माँग मानसून में और बढ़ जाती है। मई में बुआई करने से 55-60 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। पूसा दो मौसमी, अर्का हरीत, और प्रियंका जैसी उन्नत किस्में शाहजहांपुर के लिए मुफीद हैं। खेत को अच्छे से तैयार करें, 10 टन गोबर की खाद और 50 किलो DAP प्रति एकड़ डालें। कतार से कतार 2 मीटर और पौधे से पौधे 60 सेमी की दूरी रखें।

बीज को 24 घंटे पानी में भिगोकर बोएँ। फूल और फल बनने के समय सिंचाई का खास ध्यान रखें। करेले की फसल से 40-50 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन मिलता है, और 40-60 रुपये प्रति किलो के दाम से 1.5 लाख तक की कमाई हो सकती है।

बैंगन की खेती और मुनाफा

बैंगन की खेती मई में शुरू करने से 50-60 दिनों में फल मिलने लगते हैं। पूसा पर्पल लॉन्ग, पूसा क्रांति, और अर्का नीलकंठ जैसी किस्में रोग प्रतिरोधी और ज्यादा पैदावार देने वाली हैं। खेत में 8-10 टन गोबर की खाद डालकर मिट्टी तैयार करें। कतार से कतार 60 सेमी और पौधे से पौधे 45 सेमी की दूरी रखें। बीज को बविस्टिन से उपचारित करें। बैंगन की फसल से 60-80 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन मिलता है, और 20-40 रुपये प्रति किलो के दाम से 1-1.5 लाख की कमाई हो सकती है।

रोग और कीट प्रबंधन

भिंडी, करेला, और बैंगन में फल छेदक, सफेद मक्खी, और माहू जैसे कीट परेशान कर सकते हैं। नीम आधारित जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें। अगर कीट ज्यादा हों, तो शाहजहांपुर के कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लेकर सुरक्षित दवा इस्तेमाल करें। खेत में जलजमाव न होने दें, वरना फफूंद लग सकती है।

किसान भाइयों के लिए सलाह

मई में भिंडी, करेला, और बैंगन की बुआई से मानसून में बढ़िया मुनाफा कमाएँ। प्रमाणित बीज स्थानीय कृषि केंद्र या सहकारी समितियों से लें। उत्तर प्रदेश सरकार की राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत बीज और खाद पर सब्सिडी मिल सकती है। अपने गाँव के किसानों को भी ये जानकारी बाँटें, ताकि सबके खेत लहलहाएँ।

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  • Shashikant

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