Animal Care Tips: गर्मी का मौसम हमारे लिए तो मुश्किल होता ही है, लेकिन गाय-भैंस जैसे पशुओं के लिए ये और भी चुनौती भरा होता है। मई से सितंबर तक का वक्त पशुपालन करने वाले किसान भाइयों के लिए बहुत अहम है। इस दौरान तेज धूप, गर्मी और बीमारियाँ पशुओं को परेशान करती हैं। गाय-भैंस को हीट स्ट्रेस और हीट स्ट्रोक का खतरा रहता है, जिससे दूध का उत्पादन भी घट जाता है। अगर सही देखभाल न की जाए, तो पशु की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं! कुछ आसान देसी नुस्खे और सावधानियाँ अपनाकर आप अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं और दूध की पैदावार भी बढ़ा सकते हैं। आइए, जानते हैं गर्मियों में पशुपालन के लिए क्या-क्या करना चाहिए।
पशुओं को रखें ठंडा और तरोताजा
गर्मियों में सबसे बड़ी चुनौती है पशुओं को तेज धूप और गर्मी से बचाना। दोपहर के वक्त, जब सूरज सिर पर होता है, पशुओं को छायादार जगह पर रखें। उनके बाड़े को हवादार बनाएँ, ताकि गर्म हवा बाहर निकल सके। बाड़े का फर्श कच्चा और रेत-मिट्टी वाला होना चाहिए, क्योंकि ये ठंडा रहता है। सीलन से बचें, वरना पशुओं को बीमारी हो सकती है। सुबह-शाम पशुओं को ताजे पानी से नहलाएँ, इससे उनका शरीर ठंडा रहेगा और हीट स्ट्रेस कम होगा। लेकिन ध्यान रखें, पानी ज्यादा ठंडा न हो, वरना पशु बीमार पड़ सकते हैं।
पानी की बात करें तो पशुओं को दिन में कई बार साफ और ताजा पानी पिलाएँ। गर्मी में पशु ज्यादा पानी पीते हैं, इसलिए पानी की कमी न होने दें। अगर पशु कम पानी पिएगा, तो उसका दूध भी कम होगा। बाड़े में पानी का इंतजाम ऐसा करें कि पशु जब चाहे पी सके। गर्मी में पशुओं को सुबह जल्दी और शाम को देर से टहलाने ले जाएँ, खासकर गर्भवती या बीमार पशुओं को। इससे उनकी सेहत अच्छी रहती है।
टीके और दवाइयाँ जरूरी
गर्मी का मौसम पशुओं के लिए बीमारियों का मौसम भी है। खुरपका-मुंहपका जैसी खतरनाक बीमारी इस वक्त ज्यादा फैलती है। अपने पशुओं को समय पर इसका टीका जरूर लगवाएँ। पशु चिकित्सक से सलाह लेकर पेट के कीड़ों की दवा भी खिलाएँ, क्योंकि ये कीड़े पशु की सेहत और दूध को नुकसान पहुंचाते हैं। दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डॉक्टर की सलाह लें और जरूरी दवाइयाँ दें।
दूध निकालने के बाद पशु के थनों को कीटाणुनाशक घोल में डुबोकर साफ करें। इससे थनों में इन्फेक्शन का खतरा कम होता है। अगर पशु को अफरा (
पशु की सेहत को सुधारने के लिए 50-60 ग्राम मिनरल मिक्सचर रोजाना दें। ये पशु को जरूरी पोषक तत्व देता है, जिससे दूध उत्पादन बढ़ता है। अगर पशु को अफरा हो जाए, तो 500 ग्राम सरसों के तेल में 50 ग्राम तारपीन तेल मिलाकर पिलाएँ। ये देसी नुस्खा पशु के पेट को ठीक करता है।
चारा और पोषण
गर्मियों में हरा चारा कम हो जाता है, जिससे पशुओं को पूरा पोषण नहीं मिल पाता। इस कमी को पूरा करने के लिए ज्वार, मक्का या लोबिया जैसी फसलों की बुवाई करें। ये हरा चारा पशुओं के लिए बहुत पौष्टिक होता है। अगर आप गेहूं का भूसा खिला रहे हैं, तो उसकी पौष्टिकता बढ़ाने के लिए इसमें यूरिया मिलाएँ। ये तरीका भूसे को ज्यादा पौष्टिक बनाता है।
पशुओं को दिन में कई बार थोड़ा-थोड़ा चारा दें, ताकि वो आसानी से पचा सकें। गर्मी में पशु की भूख कम हो सकती है, इसलिए चारे को ताजा और स्वादिष्ट रखें। अगर चारा गीला या सड़ा हुआ है, तो उसे बिल्कुल न खिलाएँ, वरना पशु बीमार पड़ सकता है। दाना और खल में थोड़ा नमक मिलाएँ, इससे पशु ज्यादा पानी पीएगा और उसकी सेहत बनी रहेगी।
साफ-सफाई जरूरी
पशुओं का बाड़ा साफ और सूखा रखें। गर्मी में गंदगी से मक्खियाँ और बीमारियाँ बढ़ती हैं। बाड़े में गोबर और गीली मिट्टी को रोज हटाएँ। फर्श पर सूखी रेत या भूसा बिछाएँ, ताकि पशु को आराम मिले। बाड़े में पंखे या हवा का इंतजाम करें, ताकि गर्मी कम लगे। अगर बाड़ा पुराना है, तो गर्मियों के हिसाब से उसमें बदलाव करें, जैसे छत को ऊँचा करना या ज्यादा खिड़कियाँ बनाना।
किसान भाइयों के लिए सलाह
गर्मी में पशुपालन थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन सही देखभाल से आप अपने गाय-भैंस को स्वस्थ रख सकते हैं और दूध की पैदावार बढ़ा सकते हैं। अपने पशु चिकित्सक से नियमित संपर्क में रहें और समय-समय पर पशुओं की जाँच करवाएँ। गर्मी में छोटी-छोटी सावधानियाँ, जैसे साफ पानी, ताजा चारा और हवादार बाड़ा, बड़ा फर्क ला सकती हैं। अपने गाँव के दूसरे पशुपालकों को भी ये टिप्स बताएँ, ताकि सबके पशु स्वस्थ रहें। अगर आपको पशुपालन की और जानकारी चाहिए, तो नजदीकी पशु चिकित्सालय या कृषि केंद्र से संपर्क करें। इन देसी नुस्खों से अपने पशुओं की सेहत बनाएँ और पशुपालन को मुनाफे का धंधा बनाएँ।
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