गर्मियों में गर्भवती बकरियों को न दें ज्यादा हरा व रसीला चारा, हो सकता है ये खतरनाक रोग

Goat Farming Tips: गाँवों में बकरी पालन अब एक बड़ा और फायदेमंद कारोबार बन गया है। कई पशुपालक इस व्यवसाय से अच्छी कमाई कर रहे हैं। कुछ लोग बकरी पालन के साथ-साथ दूसरे पशुओं को भी पालकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। लेकिन गर्मी का मौसम, खासकर मई का महीना, बकरी पालन के लिए मुश्किल भरा होता है। इस समय गर्भवती बकरियों की देखभाल में लापरवाही बड़ा नुकसान करा सकती है। सबसे बड़ी गलती है गर्मी में रसीला चारा खिलाना। यह चारा गर्भवती बकरियों के लिए खतरनाक हो सकता है और उन्हें अफारा रोग जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में ला सकता है।

गर्मी में बकरियों का खानपान

गर्मी में बकरियों के खानपान पर खास ध्यान देना जरूरी है। गर्भवती बकरियों को सही और संतुलित आहार देना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के आखिरी 60 दिनों में हर दिन 200 ग्राम अनाज का मिश्रण देना चाहिए। अगर बकरी एक लीटर दूध रोज दे रही है, तो उसे 250 ग्राम अनाज का मिश्रण देना ठीक रहता है। आहार में बदलाव धीरे-धीरे करें। बरसीम, लूसर्न या लोबिया जैसे रसीले चारे को ज्यादा न खिलाएँ।

यह चारा गर्मी में बकरियों के पेट में गैस बनाता है, जिससे अफारा रोग होने का खतरा बढ़ता है। सुबह-सुबह जब घास पर ओस हो या जलजमाव हो, तब बकरियों को चराने न भेजें। इससे एंडोपरैसाइट्स का प्रकोप हो सकता है, जो बकरियों की सेहत को बिगाड़ देता है।

अफारा रोग क्या है

अफारा रोग बकरियों में होने वाली एक खतरनाक बीमारी है। अगर समय पर इलाज न हो, तो बकरी की जान भी जा सकती है। यह रोग तब होता है, जब बकरी ज्यादा गीला या रसीला हरा चारा खा लेती है। इससे उनके पेट में हानिकारक गैसें, जैसे कार्बन-डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन-सल्फाइड और अमोनिया, जमा हो जाती हैं। इन गैसों से बकरी का पेट फूल जाता है, और वह बहुत बेचैन हो जाती है। गर्भवती बकरियों के लिए यह रोग और खतरनाक है, क्योंकि यह उनके और उनके बच्चे की जान को जोखिम में डाल सकता है। गर्मी में रसीला चारा खिलाने से यह समस्या ज्यादा देखी जाती है, इसलिए इस बात का खास ख्याल रखें।

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अफारा रोग से बचाव

अफारा रोग से बचने के लिए रसीला चारा कम से कम खिलाएँ। अगर बकरी को यह रोग हो जाए, तो तुरंत कुछ आसान उपाय करें। बकरी को तेल पिलाएँ, यह पेट की गैस निकालने में मदद करता है। थोड़ी सी हींग खिलाने से भी गैस बाहर निकलती है। अगर गैस ज्यादा हो, तो बकरी की जीभ को बार-बार मुंह से बाहर निकालें या उसके मुंह में लकड़ी की बेड़ी डालकर पट्टी बाँधें। इससे साँस लेने में राहत मिलती है।

बकरी को ऐसी जगह बाँधें, जहाँ उसका अगला हिस्सा थोड़ा ऊँचा रहे। इससे फेफड़ों पर दबाव कम होता है। अगर हालत गंभीर हो, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। ये उपाय अफारा रोग को काबू में करने में मदद करते हैं।

गर्मी में बकरियों की देखभाल

गर्मी में बकरियों को स्वस्थ रखने के लिए खानपान के साथ-साथ पूरी देखभाल जरूरी है। बकरियों को साफ और हवादार जगह पर रखें, ताकि गर्मी का असर कम हो। साफ और ताजा पानी हमेशा उपलब्ध रखें। गर्भवती बकरियों को ज्यादा न चलाएँ, क्योंकि इससे तनाव हो सकता है। ओस वाली घास या गीले चारे से बचें, क्योंकि यह कई बीमारियाँ ला सकता है। सूखा चारा, जैसे भूसा या अच्छे से सुखाया गया हरा चारा, खिलाएँ। इससे पेट की समस्या कम होती है और बकरी स्वस्थ रहती है।

बकरी पालन कम लागत में अच्छी कमाई का रास्ता है। गर्मी में गर्भवती बकरियों की सही देखभाल से उनकी सेहत बनी रहती है और बच्चे स्वस्थ पैदा होते हैं। इससे दूध, मांस और बकरियों की बिक्री से ज्यादा मुनाफा मिलता है। बाजार में बकरी के दूध और मांस की माँग हमेशा रहती है। स्वस्थ बकरियों से अच्छा दाम मिलता है। रसीला चारा कम देना, सही आहार और अफारा रोग से बचाव बकरी पालन को फायदेमंद बनाते हैं।

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  • Shashikant

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