मीठे पानी में मोती की खेती कर किसान बन सकतें करोड़पति, जाने कैसे करें इसकी खेती

Meethe paani me Moti ki kheti : किसान भाइयों, अगर आप खेती में कुछ नया और फायदे का धंधा शुरू करना चाहते हैं, तो मोती की खेती आपके लिए सुनहरा मौका हो सकती है। नरेन्द्र भाई, जो राजस्जथान जयपुर जिले के किशनगढ़ रेनवाल गाँव के रहने वाले हैं  इन्होने , ने अपनी मेहनत और समझ से ये रास्ता दिखाया है। उनकी बातों को अपनाकर गाँव का हर मेहनती इंसान अपने खेत या घर की छत पर भी मोती उगा सकता है। आइए, उनके तरीके को समझें और देखें कि ये कैसे आपकी जिंदगी में चमक ला सकता है।

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अच्छे सीप कहाँ से लें और कैसे रखें

मोती की खेती का पहला कदम है सही और अच्छे सीप यानी मसल्स का इंतजाम। इसके लिए किसी भरोसेमंद बेचने वाले से ही माल लें, जो बढ़िया क्वालिटी दे। अब ये सीप जब आपके पास आएँगे, तो रास्ते में दो-तीन दिन लग सकते हैं। इस दौरान करीब दस प्रतिशत नुकसान हो सकता है, लेकिन घबराने की बात नहीं। बस इतना ध्यान रखें कि सीप को गीले जूट के बोरे में लपेटकर रखें। अगर बोरा सूखने लगे, तो उस पर हल्का पानी छिड़क दें। ऐसा करने से सीप तंदुरुस्त रहेंगे और आपके खेत तक सही सलामत पहुँच जाएँगे।

छोटा तालाब, बड़ी शुरुआत

अब बात करते हैं कि इस काम को शुरू कैसे करें। पहले एक छोटा सा तालाब बना लें, ऐसा जो 10×15 फीट का हो। इतने में करीब एक हज़ार सीप आसानी से रखे जा सकते हैं। जिन भाइयों के पास बड़ी जमीन नहीं है, वो अपने घर की छत पर भी प्लास्टिक की टंकी या छोटा गड्ढा बनाकर काम चला सकते हैं। गाँव में जगह की कमी तो होती ही है, पर मेहनत करने वाले के लिए रास्ते हमेशा निकल आते हैं। शुरू में छोटे से तालाब से काम चलाएँ, फिर फायदा देखकर इसे बढ़ा सकते हैं।

पानी को साफ और ठंडा रखने का जुगाड़

तालाब में मोती तभी पनपेंगे, जब पानी एकदम साफ और सुरक्षित रहे।  पानी में अमोनिया नाम की गंदगी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। इसके लिए एक छोटी सी मोटर, जो वाटर कूलर में लगती है, तालाब में डाल दें। दिन में दो-तीन घंटे इसे चलाएँ, पानी घूमता रहेगा और साफ रहेगा। गाँव में बिजली का इंतजाम थोड़ा मुश्किल हो सकता है, तो सूरज की रोशनी से चलने वाली छोटी मोटर भी आजमा सकते हैं। ये देसी जुगाड़ आपके सीप को तंदुरुस्त रखेगा।

गर्मी-ठंड से बचाव का देसी तरीका

अब राजस्थान जैसे इलाके में गर्मी तो जान लेती है, पर नरेन्द्र भाई ने इसका भी तोड़ निकाला है। वो अपने तालाब को पाँच फीट गहरा खोदते हैं, ताकि पानी का तापमान गर्मियों में भी ठंडा रहे। उनका कहना है कि तापमान 10 से 30 डिग्री के बीच रखना चाहिए। इसके लिए हरे रंग की छाया वाली जाली का इस्तेमाल करें, जो सूरज की तेज़ धूप को रोक देती है। ऐसा करने से अक्टूबर से मार्च तक बढ़िया फसल मिलती है। गाँव में तो हम लोग नीम के पेड़ की छाँव का भी फायदा उठा सकते हैं, ये पुराना नुस्खा भी काम करता है।

कमाई का हिसाब और कचरे से फायदा

अगर सब कुछ ठीक चला, तो सत्तर प्रतिशत सीप जिंदा रहते हैं। यानी एक हज़ार सीप से करीब सात सौ बचेंगे। हर सीप से दो मोती निकलें, तो चौदह सौ मोती तैयार। इससे चार लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। इतना ही नहीं, जो सीप का कचरा बचता है, उसे फेंकें नहीं। उससे गहने, बर्तन या सजावट का सामान बनाकर अलग से पैसे कमा सकते हैं।

मेहनत का फल और थोड़ी हिम्मत

मोती की खेती कोई जादू नहीं, बस मेहनत और समझ का खेल है। नरेन्द्र भाई की राह पर चलकर गाँव का हर किसान अपनी तकदीर चमका सकता है। शुरू में थोड़ा पैसा और वक्त लगेगा, पर एक बार रास्ता बन जाए, तो फायदा सालों तक मिलेगा। तो भाइयों, हिम्मत करें, अपने खेत या छत से शुरुआत करें, और देखें कि कैसे ये छोटा सा काम आपकी जिंदगी में बड़ी खुशहाली लाता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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