आंखों के सामने फसल बर्बाद होते देख किसान ने की खुदकुशी की कोशिश, किसी तरह बची जान

महाराष्ट्र के किसान भाइयों के लिए इस साल का मॉनसून किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। भारी बारिश और बाढ़ ने खेतों को जलमग्न कर दिया, जिससे लाखों रुपये की फसलें बर्बाद हो गईं। खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे क्षेत्रों में कपास, सोयाबीन, अरहर, और मक्के जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ। लातूर जिले के अहमदपुर तहसील के ब्रह्मवाडी गांव से एक दिल दहलाने वाला वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में 70 साल के किसान मोतीराम मारुति घुगे अपनी बर्बाद फसल को देखकर फूट-फूटकर रोते दिखे। उनकी डेढ़ एकड़ जमीन पर लगी पूरी फसल पानी में डूब गई, जिसने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया।

लातूर में किसान की टूटी हिम्मत

लातूर के ब्रह्मवाडी गांव में लगातार बारिश और नदी के उफान ने खेतों को तालाब बना दिया। मोतीराम घुगे जैसे छोटे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। उनकी डेढ़ एकड़ जमीन में खड़ी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। इस नुकसान ने उन्हें इतना हताश कर दिया कि वे पास की नदी में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश करने लगे। लेकिन गाँव के युवकों ने समय रहते उन्हें बचा लिया। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसने न सिर्फ किसानों की पीड़ा को उजागर किया, बल्कि प्रशासन से मुआवजे की मांग को भी तेज कर दिया। मोतीराम ने सरकार से तुरंत पंचनामा और आर्थिक मदद की गुहार लगाई है।

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मॉनसून की मार, लाखों एकड़ फसल बर्बाद

राज्य कृषि विभाग के अनुसार, 9 से 19 अगस्त 2025 के बीच हुई मूसलाधार बारिश ने महाराष्ट्र के 19 जिलों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा खेती की जमीन को प्रभावित किया। नांदेड़ जिला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जहां 2.85 लाख हेक्टेयर खेतों में फसलें डूब गईं। इसके बाद वाशिम में 1.64 लाख हेक्टेयर और यवतमाल में 92,000 हेक्टेयर फसलों को नुकसान हुआ। कपास और सोयाबीन जैसी नकदी फसलों को भारी क्षति पहुंची, जो विदर्भ और मराठवाड़ा के किसानों के लिए मुख्य आय का स्रोत हैं। इन क्षेत्रों में पहले से ही किसानों की आर्थिक तंगी और आत्महत्या की घटनाएं चिंता का विषय रही हैं।

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मुआवजे की प्रक्रिया और सरकारी मदद

महाराष्ट्र सरकार ने फसल नुकसान के लिए मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रभावित किसानों को अपने नुकसान का पंचनामा कराने के लिए तहसील कार्यालय या ग्राम पंचायत से संपर्क करना चाहिए। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत मुआवजा मिल सकता है। उदाहरण के लिए, 2022 में महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ से प्रभावित 40 लाख किसानों को 4700 करोड़ रुपये की सहायता दी थी। अपने नजदीकी कृषि केंद्र से PMFBY में रजिस्ट्रेशन कराएं, ताकि भविष्य में नुकसान की भरपाई आसान हो। साथ ही, मराठवाड़ा और विदर्भ के किसानों के लिए विशेष राहत पैकेज की मांग भी उठ रही है।

किसानों के लिए उम्मीद की किरण

मॉनसून की तबाही ने किसानों को गहरे सदमे में डाल दिया है, लेकिन हार मानना कोई हल नहीं है। गाँव के युवाओं और समुदाय ने मोतीराम जैसे किसानों को हिम्मत दी है। सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि तुरंत पंचनामा कराकर मुआवजा दे और किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करे। इसके अलावा, किसानों को मुफ्त बीज, उर्वरक, और लोन जैसी सुविधाएं दी जानी चाहिए। भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-NRRI) जैसे संस्थान नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं, जो भविष्य में बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम कर सकती हैं।

किसान भाइयों को इस मुश्किल वक्त में एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा। स्थानीय स्वयं सहायता समूहों और किसान उत्पादक संगठनों (FPO) से जुड़कर सामूहिक खेती और संसाधनों का उपयोग करें। सरकार की कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय बागवानी मिशन जैसी योजनाओं का लाभ उठाएं। अपने खेतों में मिश्रित फसलें उगाएं, जैसे मक्का और अरहर, ताकि एक फसल के नुकसान पर दूसरी से कमाई हो सके। यह देसी तरीका न सिर्फ जोखिम कम करता है, बल्कि आय को भी बढ़ाता है। आइए, मिलकर इस संकट से लड़ें और खेती को फिर से हरा-भरा बनाएं।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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