भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल ने 10 जून 2024 को भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात में मूंग की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद शुरू करने की माँग उठाई गई। लेकिन इस साल जायद सीजन में मूंग और उड़द की सरकारी खरीद नहीं हो रही है, और पंजीकरण भी शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर वादा किया कि मंडियों में मूंग का सही दाम दिलाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जाएगी।
मंडियों में मूंग का उचित दाम दिलाने की कोशिश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों की चिंता को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा कि कृषि उपज मंडियों में पारदर्शी व्यवस्था बनाकर मूंग की खरीद होगी। न सिर्फ़ स्थानीय व्यापारी, बल्कि प्रदेश के बाहर से आने वाले व्यापारियों को भी मूंग खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मंडियों में बोली को और ज़ोरदार करने की कोशिश होगी, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिले। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि मूंग की मॉडल दर को बढ़ाकर 7500 रुपये प्रति क्विंटल तक ले जाने का लक्ष्य है। इसके लिए मंडी शुल्क में छूट देने की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है।
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बाहर के व्यापारियों को न्योता, नए मंडी लाइसेंस
मुख्यमंत्री ने साफ़ किया कि मूंग की खरीद को बढ़ावा देने के लिए बाहर से आने वाले व्यापारियों को नए मंडी लाइसेंस दिए जाएँगे। साथ ही, किसान उत्पादक संगठन (FPO) और ITC जैसी बड़ी कंपनियों को मूंग की नीलामी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इससे मंडियों में मूंग की माँग बढ़ेगी और दाम भी बेहतर मिलने की उम्मीद है। किसानों के लिए ये एक अच्छा मौका हो सकता है, क्योंकि ज़्यादा खरीदार आएँगे तो मूंग की कीमतों में उछाल आ सकता है।
MSP पर खरीद क्यों नहीं हो रही
इस साल मध्य प्रदेश में जायद मूंग और उड़द की सरकारी खरीद नहीं हो रही है। केंद्र सरकार ने 2024-25 के लिए मूंग का MSP 8682 रुपये प्रति क्विंटल और 2025-26 के लिए 8768 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने MSP पर खरीद के लिए केंद्र को प्रस्ताव ही नहीं भेजा। नतीजा, किसानों को मंडियों में 6000 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर मूंग बेचना पड़ रहा है। ये MSP से कहीं कम है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। भारतीय किसान संघ ने इसी मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री से बात की, लेकिन अभी MSP पर खरीद शुरू होने की कोई साफ़ घोषणा नहीं हुई है।
किसानों के लिए सरकार की प्राथमिकताएँ
मुख्यमंत्री ने मुलाकात में साफ़ किया कि मध्य प्रदेश सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। खेती और किसानी को बढ़ावा देना सरकार की पहली प्राथमिकता है। प्रदेश में कृषि आधारित उद्योग लगाने की कोशिशें तेज़ हो रही हैं। इसके अलावा, कपास की खेती को बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। गौ-शालाओं को मज़बूत करने के लिए प्रति गाय अनुदान को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया गया है। साथ ही, फसल चक्र अपनाने की सलाह दी गई, ताकि किसान उत्पादन बढ़ाकर ज़्यादा मुनाफा कमा सकें।