Motion Activated Sprinklers: गाँवों में किसानों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी है – खेतों की रखवाली करें या खेती का काम? रातभर छुट्टा पशुओं से फसल बचाने में जागते हैं, तो दिन में काम करते वक्त नींद आती है। इससे खेती प्रभावित होती है और पैदावार पर भी असर पड़ता है। पहले खेती में मेहनत बीज बोने और फसल काटने में लगती थी, मगर अब उतनी ही मेहनत पशुओं को भगाने में लग रही है।
किसान बताते हैं कि उनका ज्यादातर वक्त अब हुर्रे-हुर्रे करने और खेतों की निगरानी में बीतता है। रात में जागने की वजह से दिन में थकान और नींद की शिकायत बढ़ गई है। सवाल ये है कि इसका हल क्या है? चलिए, देसी जुगाड़ से लेकर हाईटेक तकनीक तक, कुछ आसान उपायों को समझते हैं, जो फसलों को आवारा पशुओं से बचा सकते हैं।
देसी जुगाड़ से करें शुरुआत
खेतों को छुट्टा पशुओं से बचाने के लिए देसी तरीके बरसों से आजमाए जा रहे हैं। खेत के चारों तरफ कटीली तारों या रस्सियों से बाड़ बनाना एक सस्ता और कारगर उपाय है। इससे जानवर अंदर नहीं घुस पाते। बाजार में पौधों को ढकने के लिए मेश या नेट भी मिलते हैं, जो फसल को पक्षियों और पशुओं से बचाते हैं। इसके अलावा हल्की प्लास्टिक की चादर से पूरी फसल को ढक सकते हैं। ये चादर सस्ती होती है और फसल को सुरक्षित रखती है।
हाईटेक तकनीक का कमाल
अब जमाना तकनीक का है, तो कुछ हाईटेक उपाय भी आजमा सकते हैं। बाजार में स्मार्ट स्प्रिंकलर मिलते हैं, जो पानी छिड़कने के साथ-साथ रखवाली भी करते हैं। मोशन-एक्टिवेटेड स्प्रिंकलर ऐसा ही एक यंत्र है, जो जानवर को दूर से भाँपकर पानी का फव्वारा छोड़ता है। इससे पशु डरकर भाग जाते हैं। ये कुछ हजार रुपये में मिल जाता है। दूसरा तरीका है अल्ट्रासोनिक रिपेलेंट डिवाइस। ये मशीन अल्ट्रासाउंड की आवाज निकालती है, जो इंसानों को सुनाई नहीं देती, मगर जानवरों को परेशान करती है। इसे खेत में लगाने से फसल सुरक्षित रहती है।
छोटे-छोटे कारगर नुस्खे
कुछ आसान और मजेदार उपाय भी हैं। खेत की मेड़ों पर हॉट पेपर स्प्रे छिड़कें। इससे पशुओं में खुजली होती है और वो खेत से दूर भागते हैं। दूसरी बार आने की हिम्मत भी नहीं करते। खेत के आसपास गतिविधि से जलने वाली लाइटें लगाएँ, जो जानवरों के आने पर खुद जल उठें। रेडियो या टेप पर तेज आवाज वाली रिकॉर्डिंग बजाएँ, जैसे शेर की दहाड़ या कुत्तों की भौंकने की आवाज। इससे पशु डरकर भागते हैं। खेत में इंसानी बाल या साबुन की टिकिया बाँध दें। इनकी महक से हिरण जैसे जानवर दूर रहते हैं। गाँव में लोग कहते हैं कि छोटी चीजों से बड़ा काम बन जाता है।
और भी आसान उपाय
फसल का चयन भी सोच-समझकर करें। ऐसी फसलें बोएँ, जो पशुओं को कम पसंद हों या जिनसे वो दूर रहें। बुवाई का समय ऐसा चुनें, जब छुट्टा पशु कम सक्रिय हों। खेत के किनारों पर नागफनी या काँटेदार पौधे लगाएँ, जो बाड़ की तरह काम करें। रखवाली के लिए कुत्ता, गधा या लामा जैसे जानवर पालें। ये दूसरे पशुओं को भगाने में मदद करते हैं। गाँव में कई किसान मिलकर बारी-बारी से रखवाली का इंतजाम कर सकते हैं। इससे किसी एक को रातभर जागना न पड़े और दिन में खेती का काम भी चलता रहे।
किसानों के लिए राहत की बात
ये सारे उपाय मेहनत और नींद की परेशानी को कम कर सकते हैं। देसी जुगाड़ सस्ते हैं और आसानी से अपनाए जा सकते हैं। हाईटेक तरीके थोड़ा खर्च माँगते हैं, मगर लंबे वक्त तक फायदा देते हैं। गाँव में लोग कहते हैं कि फसल को बचाना खेती का पहला कदम है। इन तरीकों को आजमाकर किसान अपनी फसल को छुट्टा पशुओं से बचा सकते हैं और खेती में मन लगाकर अच्छी पैदावार ले सकते हैं। बस जरूरत है सही उपाय चुनने और उसे लगन से अपनाने की।
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