Potato Farming Tips: इस बार ठंड तेजी से बढ़ रही है और उत्तर भारत के आलू के खेतों में तीन बड़ी समस्याएँ एक साथ दिख रही हैं कहीं पाला गिर रहा है, कहीं पौधे रुके हुए हैं, कहीं कंद ऊपर आकर हरे पड़ गए हैं। फैजाबाद, बाराबंकी और आगरा के दर्जनों किसानों ने बताया कि उनकी फसल 20-30 प्रतिशत तक कमजोर दिख रही है।
लेकिन अच्छी खबर ये है कि बागवानी विशेषज्ञों ने एक पुराना और सस्ता तरीका फिर से याद दिलाया है “मिट्टी चढ़ाना” यानी माउंडिंग। इसे सही समय पर करने से पाला नहीं लगता, कंद हरे नहीं पड़ते और पौधे की नई टहनियाँ तेजी से निकलती हैं। यही एक काम अगर अभी कर लिया तो प्रति एकड़ 25-30 क्विंटल तक की बचत हो जाएगी। छोटे किसान हों या बड़े, सबके लिए ये तरीका रामबाण है। आज ही खेत में उतर जाएँ, देर हुई तो नुकसान पक्का।
माउंडिंग (मिट्टी चढ़ाना) क्यों जरूरी है
ये छोटा सा काम तीन बड़ी मुसीबतों का एक साथ इलाज है। सबसे पहले पाले से बचाव होता है जब आप पौधे की जड़ों और निचली टहनियों के चारों तरफ मिट्टी का टीला बना देते हैं, तो ठंडी हवा सीधे पौधे तक नहीं पहुँच पाती। दूसरी बात, कंद कभी ऊपर नहीं आते और हरे नहीं पड़ते सूरज की रोशनी कंद तक नहीं पहुँचती तो जहरीला सोलनिन नहीं बनता और आलू खाने लायक रहते हैं। तीसरा और सबसे बड़ा फायदा पौधे की नई जड़ें और नई टहनियाँ तेजी से निकलती हैं, जिससे कंदों की संख्या और वजन दोनों बढ़ जाते हैं। कुल मिलाकर पैदावार 20-30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है और दवा-पानी का खर्चा बच जाता है।
माउंडिंग कब और कैसे करें
खेत में आलू उगा रहे हैं तो बुवाई के 20-25 दिन बाद पहला मिट्टी चढ़ाव करें। पौधे जब 15-20 सेंटीमीटर ऊँचे हो जाएँ तो खुरपी या कस्सी से दोनों तरफ की मिट्टी पौधे की जड़ों तक खींच लें। 15 दिन बाद दूसरा चढ़ाव करें, इस बार थोड़ा ऊँचा टीला बना दें। बस इतना ध्यान रखें कि पत्तियाँ पूरी तरह दबें नहीं, सिर्फ 4-5 सेंटीमीटर पत्तियाँ ऊपर रहें। मिट्टी न बहुत गीली हो, न बहुत सूखी हल्की नम हो तो सबसे अच्छा।
घर में गमले, बोरी या ग्रो बैग में लगा रहे हैं तो हर 15-20 दिन में 5-6 सेंटीमीटर मिट्टी या कम्पोस्ट ऊपर से डालते जाएँ। आखिर में सिर्फ 2-3 इंच पत्तियाँ बाहर दिखनी चाहिए। ये तरीका छोटे किसानों और शहर के गार्डनर्स दोनों के लिए बेस्ट है।
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पाले से अतिरिक्त सुरक्षा
अगर आपके इलाके में पाला ज्यादा पड़ता है तो माउंडिंग के साथ-साथ पौधों के बीच सूखा पुआल, घास या सरसों का भूसा 2-3 इंच मोटा बिछा दें। ये मल्चिंग मिट्टी का तापमान 3-4 डिग्री तक बढ़ा देती है और जड़ों को ठंड से बचाती है। साथ ही नमी भी बनी रहती है, पानी कम लगता है। पाला पड़ने की रात में अगर संभव हो तो हल्का पानी का छींटा मार दें बर्फ बनने से पहले पानी जमीन को गर्म रखता है।
कंद हरे होने से बचाव
जब कंद मिट्टी के ऊपर आ जाते हैं और सूरज की रोशनी पड़ती है तो हरे पड़ जाते हैं और खाने लायक नहीं रहते। माउंडिंग करने से कंद हमेशा मिट्टी के अंदर रहते हैं, रोशनी नहीं पहुँचती और सोलनिन नहीं बनता। ये तरीका इतना कारगर है कि बड़े किसान भी अब यही अपना रहे हैं।
नए किसानों के लिए शुरुआती टिप्स
अगर पहली बार आलू लगा रहे हैं तो धूप वाली जगह चुनें। 15 सेंटीमीटर गहरी खाई बनाएँ, बीज आलू इस तरह रखें कि अंकुर ऊपर की तरफ हों। ऊपर 8-10 सेंटीमीटर मिट्टी डालें और हल्का पानी दें। पौधे निकलने के बाद नमी बनाए रखें। माउंडिंग शुरू कर दें और हर 15-20 दिन में हल्की गुड़ाई करें। बस दो काम याद रखें मिट्टी चढ़ाना और सही समय पर पानी। बाकी सब अपने आप ठीक हो जाएगा।
इस ठंड में आलू की फसल को बचाने का सबसे सस्ता और आसान तरीका यही है। मिट्टी चढ़ाने में न मजदूरी ज्यादा लगती है, न दवा-पानी का खर्चा। छोटे किसान हों या बड़े, सबके लिए ये तकनीक गेम चेंजर है। आज ही खेत में उतर जाएँ, माउंडिंग शुरू कर दें फरवरी-मार्च में जब मंडी में आलू 25-30 रुपये किलो बिकेगा, तब आप मुस्कुराएँगे।
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