MP Crop Compensation: मध्य प्रदेश के किसान भाईयों के लिए एक अच्छी खबर है। इस साल की खरीफ फसल में बाढ़, भारी बारिश और पीला मोजेक जैसे रोगों ने खेतों को भारी नुकसान पहुंचाया था, लेकिन अब सरकार ने हाथ बढ़ाया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक ही क्लिक पर 13 जिलों के 8 लाख 84 हजार से ज्यादा किसानों के खातों में 653 करोड़ 34 लाख रुपये की राहत राशि भेज दी है। यह राशि सोयाबीन, धान, मक्का और केला जैसी फसलों को हुए नुकसान के लिए दी गई है। किसान संगठनों का कहना है कि यह कदम न केवल तत्काल राहत देगा, बल्कि अगले सीजन की बुवाई के लिए भी मददगार साबित होगा।
13 जिलों के किसान बर्बादी की मार से उबरेंगे
यह मुआवजा रतलाम, नीमच, मंदसौर, उज्जैन, विदिशा, बुरहानपुर, शहडोल, खंडवा, बड़वानी, दमोह और अलीराजपुर जैसे जिलों के किसानों को मिला है। इन इलाकों में बाढ़ की वजह से सैकड़ों हेक्टेयर खेत पानी में डूब गए थे, जबकि कीटों और रोगों ने बाकी फसल को चट कर लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की मुस्कान लौटाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है, और इस राहत में पूरी पारदर्शिता बरती गई है। राज्य के छोटे-मझोले किसान, जो पहले ही कर्ज के बोझ तले दबे हैं, अब इस पैसे से बीज-खाद खरीद सकेंगे और नई उम्मीद के साथ रबी की तैयारी करेंगे।
बाढ़ को 331 करोड़, रोगों को 322 करोड़
राहत राशि का बंटवारा भी साफ-सुथरा किया गया है। बाढ़ और अतिवृष्टि से प्रभावित 3 लाख 90 हजार से ज्यादा किसानों को 331 करोड़ 34 लाख रुपये मिले हैं। वहीं, पीला मोजेक रोग और कीटों से 4 लाख 94 हजार किसानों को 322 करोड़ रुपये की मदद पहुंची। खास बात यह है कि सोयाबीन में पीला मोजेक से हुए नुकसान पर पहली बार इतनी बड़ी राहत दी गई है। इससे किसान उत्साहित हैं, क्योंकि पहले रोगों को मुआवजा मिलना मुश्किल था। कुल मिलाकर, यह राशि खरीफ और बागवानी फसलों को हुए नुकसान को कवर करती है।
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किसानों की व्यथा
इस साल मध्य प्रदेश में मानसून ने कहर बरपाया। बाढ़ ने धान और मक्का के खेतों को बहा दिया, जबकि अतिवृष्टि ने सोयाबीन को पछाड़ दिया। ऊपर से पीला मोजेक रोग ने फसल को पीला कर दिया, और कीटों ने बाकी बचा लिया। इन प्राकृतिक आपदाओं से लाखों किसान प्रभावित हुए, लेकिन सरकार ने फसल सर्वे के जरिए हर मामले की जांच की। मुख्यमंत्री ने बताया कि 2025-26 में अब तक 229 करोड़ से ज्यादा की सहायता दे चुके हैं, और सितंबर में ही 11 जिलों के 17 हजार किसानों को 20 करोड़ दिए गए थे। यह लगातार प्रयास किसानों को मजबूत बनाने का संकेत देता है।
भावांतर योजना से और मजबूती
राहत के साथ-साथ मुख्यमंत्री ने भावांतर भुगतान योजना की भी जानकारी दी। धान उत्पादकों के 6 लाख 69 हजार किसानों को 337 करोड़ से ज्यादा की राशि पहुंचाई गई है। अब सोयाबीन के लिए भी यह योजना शुरू हो गई है। फसल एमएसपी से कम दाम पर बिकेगी, तो अंतर की राशि 15 दिनों में सीधे खाते में आ जाएगी। इस साल सोयाबीन की एमएसपी 500 रुपये बढ़ाकर 5328 रुपये कर दी गई है। पंजीकरण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे जल्दी रजिस्टर करें। इससे बाजार की चालाकियों से बचाव होगा और आय स्थिर रहेगी।
किसानों की प्रतिक्रिया
किसान भाई खुश हैं। एक सोयाबीन उत्पादक ने कहा कि पीला मोजेक से फसल बर्बाद हो गई थी, लेकिन पहली बार इतना मुआवजा मिला। इससे अगले सीजन के लिए बीज और खाद खरीद सकेंगे। संगठनों का मानना है कि यह योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी। लेकिन विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि फसल बीमा और जैविक खेती को अपनाकर भविष्य में नुकसान कम करें। मध्य प्रदेश सरकार का यह प्रयास न केवल तत्काल राहत है, बल्कि लंबे समय के लिए खेती को मजबूत बनाने का संदेश देता है।
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