गेहूं और धान पर से MSP हटाने की बात : क्या है सच MSP और किसानों का पुराना रिश्ता

हमारे देश में खेती करने वाले हर किसान को MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का मतलब पता है। ये वो दाम है, जो सरकार तय करती है ताकि फसल का रेट बाजार में गिरे तो भी किसान को नुकसान न हो। खासकर गेहूं और धान के लिए ये व्यवस्था सालों से चली आ रही है। लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि सरकार इसे हटाने की सोच रही है। वजह? एक रिपोर्ट कहती है कि पिछले 15 सालों में लोग अनाज कम खा रहे हैं और सब्जी-फल की तरफ बढ़ रहे हैं। तो क्या सच में ऐसा होगा? और अगर होगा, तो हमारे खेतों और जेब पर इसका क्या असर पड़ेगा? आइए, इसकी तह तक जाते हैं।

अनाज की खपत कम, सब्जी-फल की मांग बढ़ी

शहरों में रहने वाले लोग अब पहले की तरह ढेर सारा चावल और रोटी नहीं खाते। उनकी थाली में सलाद, फल, और हरी सब्जियाँ ज्यादा नजर आती हैं। गाँव में भी ये बदलाव धीरे-धीरे दिख रहा है। रिपोर्ट बताती है कि 15 साल पहले जितना गेहूं और धान खाया जाता था, अब उसकी जरूरत कम हो गई। दूसरी तरफ, टमाटर, गोभी, सेब, और केले जैसी चीजों की मांग बढ़ गई है। सरकार के गोदामों में भी गेहूं और चावल का ढेर लगा है, जो कई बार बर्बाद हो जाता है। ऐसे में सरकार सोच रही है कि गेहूं और धान पर MSP की जरूरत अब पहले जितनी नहीं रही।

MSP हटेगा तो क्या होगा

अगर सरकार सच में ऐसा करती है, तो गेहूं और धान का दाम बाजार के हवाले हो जाएगा। मतलब, अब ये तय नहीं रहेगा कि आपको हर साल एक निश्चित रेट मिलेगा। बाजार में मांग बढ़ी तो दाम ऊपर जाएंगे, और मांग घटी तो नीचे भी आ सकते हैं। ये सुनने में डरावना लग सकता है, लेकिन इसमें फायदा भी छुपा है। जैसे, अगर गेहूं का रेट MSP से ज्यादा मिले, तो जेब ज्यादा भरेगी। लेकिन अगर रेट गिर गए, तो नुकसान भी हो सकता है। यानी, खेती अब मेहनत के साथ-साथ किस्मत का खेल भी बन सकती है।

किसानों के लिए फायदा और नुकसान

सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ये बदलाव किसानों के हक में होगा? फायदा ये हो सकता है कि बाजार खुलने से बड़े व्यापारी और कंपनियाँ सीधे खेत से फसल खरीदेंगी। अगर मांग बढ़ी, तो MSP से ज्यादा दाम मिलने की उम्मीद है। साथ ही, सरकार का पैसा जो अब गेहूं-धान खरीदने में लगता है, वो दूसरी फसलों को बढ़ावा देने में खर्च हो सकता है। लेकिन नुकसान भी कम नहीं। MSP हटने से छोटे किसानों को खतरा है, जो हर साल तय दाम पर भरोसा करते हैं। बाजार में बिचौलियों का खेल बढ़ेगा, और कम दाम मिलने का डर रहेगा।

दूसरी फसलों का रास्ता खुलेगा

MSP हटने की एक बड़ी वजह ये भी है कि सरकार चाहती है कि किसान गेहूं-धान छोड़कर दूसरी फसलों की तरफ बढ़ें। सब्जियाँ, फल, दालें, और तिलहन की खेती को बढ़ावा मिले, तो खेत की सेहत भी सुधरेगी और मांग के हिसाब से कमाई भी बढ़ सकती है। अभी गाँव में ज्यादातर किसान गेहूं और धान ही बोते हैं, क्योंकि इनका दाम पक्का मिलता है। अगर MSP गया, तो शायद टमाटर, मटर, या मूंगफली की खेती भी फायदे का सौदा बने। लेकिन इसके लिए सरकार को पहले इन फसलों के लिए अच्छी व्यवस्था करनी होगी।

आगे का रास्ता क्या है

गेहूं और धान से MSP हटाना कोई छोटा फैसला नहीं है। ये खेती की दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकता है। हो सकता है कि इससे कुछ किसानों की जेब भरे, और कुछ को मुश्किल हो। लेकिन सच ये है कि दुनिया बदल रही है, और खेती को भी उसके साथ चलना होगा। अगर सरकार सही योजना बनाए और किसानों को साथ ले, तो ये बदलाव फायदे का सौदा बन सकता है। अपने खेत में नई फसलों को आजमाएँ, बाजार की नब्ज पकड़ें, और देखें कि ये नया रास्ता आपको कहाँ ले जाता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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