मुख्यमंत्री चौर विकास योजना: बेकार ज़मीन से कमाई का मौका! 31 अगस्त तक करें आवेदन

Mukhyamantri Chaur Vikas Yojana: कई किसान अपनी ज़मीन को बंजर समझकर खाली छोड़ देते हैं, क्योंकि वहाँ खेती करना मुश्किल होता है। लेकिन अब यह ज़मीन भी आपकी आमदनी बढ़ा सकती है। बिहार सरकार ने ‘सात निश्चय-2’ कार्यक्रम के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मुख्यमंत्री चौर विकास योजना शुरू की है। इस योजना का मकसद बेकार पड़ी चौर भूमि को इंटीग्रेटेड एक्वाकल्चर के तौर पर विकसित करना है, ताकि किसान मछली पालन और अन्य कृषि गतिविधियाँ कर सकें। इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आमदनी में भी इज़ाफा होगा। चौर भूमि, जो पहले बेकार समझी जाती थी, अब किसानों के लिए एक नया अवसर बन सकती है।

मछली पालन का फायदेमंद बिजनेस

मछली पालन आज के समय में एक फायदेमंद बिजनेस बन गया है। बंजर ज़मीन पर तालाब बनाकर किसान पूरे साल कमाई कर सकते हैं। बाजार में ताज़ा मछली की माँग हमेशा बनी रहती है, और इससे किसान अच्छी कीमत पा सकते हैं। मुख्यमंत्री चौर विकास योजना के तहत सरकार किसानों को तालाब खुदवाने में आर्थिक मदद दे रही है, ताकि वे मछली पालन शुरू कर सकें। यह योजना न सिर्फ मछली पालन को बढ़ावा देती है, बल्कि ज़मीन पर कृषि, बागवानी, और अन्य गतिविधियाँ भी करने का मौका देती है। इससे किसानों की आय कई गुना बढ़ सकती है।

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कैसे उठाएँ फायदा

इस योजना का फायदा उठाने के लिए किसान fisheries.bihar.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की आखिरी तारीख 31 अगस्त 2025 है। इसके लिए किसानों को अपने नज़दीकी ब्लॉक के कृषि या फिशरीज डिपार्टमेंट से संपर्क करना होगा। ज़मीन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स, आधार कार्ड, और अन्य जरूरी कागजात साथ रखें। आवेदन फॉर्म भरने के बाद सब्सिडी की योग्यता चेक की जाएगी। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि हर पात्र किसान को इस योजना का लाभ मिले।

सब्सिडी और लागत

मुख्यमंत्री चौर विकास योजना (Mukhyamantri Chaur Vikas Yojana) के तहत किसानों को बंजर ज़मीन पर तालाब बनाने के लिए 70 फीसदी तक सब्सिडी मिलेगी। अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, और अनुसूचित जनजाति के लिए यह सब्सिडी 70 फीसदी तक है, जबकि अन्य वर्गों के लिए 50 फीसदी। उद्यमियों को 40 फीसदी सब्सिडी दी जाती है। योजना के तहत तीन मॉडल हैं:

  • एक हेक्टेयर में 2 तालाब, लागत 8.88 लाख रुपये।

  • एक हेक्टेयर में 4 तालाब, लागत 7.32 लाख रुपये।

  • एक हेक्टेयर में एक तालाब और ज़मीन विकास, लागत 9.60 लाख रुपये।

इन मॉडलों में से कोई भी चुनकर किसान तालाब बनवा सकते हैं और मछली पालन शुरू कर सकते हैं। सरकार की सब्सिडी से लागत का बड़ा हिस्सा कवर हो जाता है, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम होता है।

जरूरी डॉक्यूमेंट्स और प्रक्रिया

आवेदन के लिए सेल्फ-अटेस्टेड दो पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, जाति प्रमाण-पत्र, और अगर समूह में काम कर रहे हैं तो एनओसी की जरूरत होगी। उद्यमियों को पिछले 3 वर्षों का ऑडिट, आईटी रिटर्न, जीएसटी, ज़मीन के मालिकाना हक का प्रमाण-पत्र, लीज का कॉन्ट्रैक्ट, फिशरीज में ट्रेनिंग, और फिशरीज बेस्ड इंडस्ट्री में अनुभव के डॉक्यूमेंट्स जमा करने होंगे। आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है, लेकिन किसान ई-मित्र केंद्र या ब्लॉक ऑफिस से भी मदद ले सकते हैं।

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बिहार के लिए नई उम्मीद

यह योजना बिहार के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। बंजर ज़मीन, जो पहले बेकार समझी जाती थी, अब किसानों के लिए कमाई का ज़रिया बन सकती है। मछली पालन के अलावा, इस ज़मीन पर कृषि, बागवानी, और अन्य गतिविधियाँ भी की जा सकती हैं। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा। सरकार का मकसद है कि हर किसान को इस योजना का लाभ मिले, ताकि वे अपनी ज़मीन का पूरा इस्तेमाल कर सकें और अपनी जिंदगी बेहतर बना सकें।

मछली पालन की तकनीकी सहायता

मत्स्य विभाग किसानों को मछली पालन की तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है। वे किसानों को सही प्रजाति की मछली, फीड, और देखभाल के तरीके सिखाते हैं। इससे किसान मछली पालन को एक सफल बिजनेस बना सकते हैं। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि बाजार में मछली बेचने के लिए सही व्यवस्था हो, ताकि किसान अपनी उपज को अच्छी कीमत पर बेच सकें।

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  • Shashikant

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