कैसे करें देसी मुर्गी पालन और खेती एक साथ, लागत कम और मुनाफा दोगुना होगा

Murgi palan aur kheti ek sath Kaise karen : किसान भाइयों के लिए देसी मुर्गी पालन और खेती को एक साथ करना कम मेहनत में दोगुना फायदा दे सकता है। देसी मुर्गियाँ मजबूत होती हैं, कम खर्च में पलती हैं, और उनके अंडे-मांस की बाज़ार में बढ़िया डिमांड है। दूसरी तरफ, खेती से अनाज, सब्जियाँ और फल मिलते हैं। इन दोनों को मिलाकर न सिर्फ खेत की मिट्टी अच्छी होती है, बल्कि कमाई भी बढ़ती है। लागत कम लगती है, और घर का खर्च भी निकल आता है। आइए जानते हैं कि देसी मुर्गी पालन और खेती एक साथ कैसे करें और इसका डबल फायदा कैसे लें।

देसी मुर्गी पालन को समझें

देसी मुर्गियाँ जैसे कड़कनाथ, आसेल या वनराज कम बीमार पड़ती हैं और खुले में आसानी से पलती हैं। इनके अंडे 5-10 रुपये पीस और मांस 300-500 रुपये किलो बिकता है। 10-20 मुर्गियाँ शुरू में काफी हैं, जो 6-8 महीने में अंडे देना शुरू करती हैं। इन्हें खेत में छोड़ने से ये कीड़े-मकोड़े खाती हैं और गोबर देती हैं, जो खाद बन जाता है। इससे खेती को फायदा होता है, और मुर्गियों को चारा भी मुफ्त मिलता है।

खेती के साथ कैसे जोड़ें

खेत में देसी मुर्गी पालन शुरू करने के लिए खेत के एक कोने में 10×10 फीट का छोटा शेड बनाएँ। बांस और तिरपाल से सस्ता शेड तैयार हो जाता है। शेड में मुर्गियों को रात में रखें, और दिन में खेत में छोड़ दें। खेत में धान, मक्का, सब्जियाँ या फल जैसे नींबू, अमरूद उगाएँ। मुर्गियाँ खेत के कीड़ों को खाएंगी, जिससे कीटनाशक का खर्च बचेगा। इनका गोबर खेत में डालें, ये ऑर्गेनिक खाद का काम करता है। खेत से बचा अनाज या सब्जी का कचरा मुर्गियों को खिलाएँ, इससे चारे का पैसा भी बचेगा।

शुरू करने का तरीका

सबसे पहले 10-20 देसी चूजे लें। इन्हें स्थानीय पोल्ट्री फार्म या गाँव के पशु बाजार से 20-50 रुपये में ले सकते हैं। पहले महीने इन्हें शेड में रखें और दाना-पानी दें। 1-2 महीने बाद इन्हें खेत में छोड़ना शुरू करें। खेत में पानी की टंकी और दाने के लिए मिट्टी का बर्तन रखें। मुर्गियों को सुबह-शाम मक्का, चावल या बाजरा दें। खेत में फसल बोने से पहले मिट्टी तैयार करें और गोबर की खाद डालें। बारिश के बाद (जुलाई-अगस्त) दोनों शुरू करने का बढ़िया वक्त है।

देखभाल और खर्च

देसी मुर्गियों की देखभाल आसान है। इन्हें साफ पानी और थोड़ा चारा चाहिए। खेत में घूमने से ये खुद कीड़े-मकोड़े खा लेती हैं। बीमारी से बचाने के लिए नीम की पत्तियाँ या हल्दी पानी में मिलाकर दें। शेड को हवादार रखें और साफ करें। खर्च की बात करें तो 20 मुर्गियों पर शुरू में 2-3 हज़ार रुपये लगते हैं, जिसमें चूजे, शेड और चारा शामिल है। खेती का खर्च अलग है, मगर मुर्गियों से खाद मिलने से खाद का पैसा बच जाता है।

डबल फायदा कैसे मिलता है

20 मुर्गियों से साल में 1000-1500 अंडे मिल सकते हैं, जो 5-10 रुपये पीस बिकते हैं—यानी 5-15 हज़ार रुपये। मांस बेचें तो 10 मुर्गियों से 20-25 किलो मांस (6-10 हज़ार रुपये) मिलेगा। खेत से 1 हेक्टेयर में धान या सब्जी से 20-30 हज़ार रुपये की कमाई हो सकती है। मुर्गियों की खाद से फसल की पैदावार 10-20% बढ़ती है, और कीटनाशक का खर्च बचता है। कुल मिलाकर 50-60 हज़ार रुपये सालाना कमाई हो सकती है। घर में अंडे, मांस और सब्जी मुफ्त मिलते हैं, तो खर्च भी बचता है।

फायदे और सावधानियाँ

इस तरीके से खेत की मिट्टी अच्छी रहती है, और दो तरह की कमाई होती है। मुर्गियाँ फसल के दुश्मन कीड़ों को खाती हैं, और खेत का कचरा मुर्गियों का चारा बनता है। मगर शेड को बिल्ली-कुत्तों से बचाएँ। मुर्गियों को ज्यादा भीड़ न करें, वरना बीमारी फैल सकती है। खेत में जहरीले पौधे न उगाएँ। सही देखभाल से ये डबल फायदा सालों तक चलता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र पिछले तिन साल से पत्रकारिता कर रहा हूँ मै ugc नेट क्वालीफाई हूँ भूगोल विषय से मै एक विषय प्रवक्ता हूँ , मुझे कृषि सम्बन्धित लेख लिखने में बहुत रूचि है मैंने सम्भावना संस्थान हिमाचल प्रदेश से कोर्स किया हुआ है |

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