जब खेती का मुनाफा घट रहा है, तब भैंस पालन किसानों के लिए सुरक्षित और लाभकारी विकल्प बन गया है। भैंस का दूध गाय के दूध से 50% महंगा बिकता है (वसा 7-8% होने से), और स्थानीय मंडी से लेकर अमूल-अमूल जैसी डेयरी कंपनियों तक इसकी मांग बनी रहती है। एक स्वस्थ भैंस सालाना 3,000-3,500 लीटर दूध देती है, जो 80,000-1 लाख रुपये की कमाई दे सकती है। 3-4 भैंसों के साथ सालाना 3-4 लाख का शुद्ध लाभ संभव है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात के किसान इसे खेती के साथ जोड़कर अतिरिक्त आय कमा रहे हैं। आइए जानते हैं भैंस पालन की नस्लें, दूध उत्पादन, मुनाफा और सफल खेती के टिप्स।
भैंस पालन क्यों फायदेमंद
भैंस पालन में कम निवेश (एक भैंस 60,000-80,000 रुपये) और कम देखभाल से ज्यादा रिटर्न मिलता है। दूध के अलावा गोबर से जैविक खाद बनाकर 10,000-15,000 रुपये अतिरिक्त कमाई हो सकती है। भारत में 55% दूध भैंसों से आता है, और बाजार भाव 50-60 रुपये/लीटर रहता है। सरकारी योजनाएँ जैसे राष्ट्रीय गोकुल मिशन से 50% सब्सिडी पर गाय-भैंस खरीद संभव है। रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से चिकित्सा खर्च कम (5,000-7,000 रुपये/साल)। लेकिन सफलता के लिए साफ-सुथरा बाड़ा, संतुलित आहार और नियमित टीकाकरण जरूरी है।
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टॉप नस्लें
भारत की भैंस नस्लें दूध उत्पादन में विश्व में अव्वल हैं। मुर्रा नस्ल सबसे लोकप्रिय है, जो हरियाणा-पंजाब में पाई जाती है। यह काली त्वचा वाली, मजबूत भैंस रोज 12-15 लीटर दूध देती है (वसा 7-8%), और सालाना 3,000-4,000 लीटर तक पहुँच सकती है। नीली रावी (पंजाब-राजस्थान) 10-12 लीटर दूध देती है, रोग प्रतिरोधक मजबूत। जाफराबादी (गुजरात) 8-10 लीटर दूध के साथ मांस उत्पादन भी अच्छा। मेहसाणा (गुजरात) 8-10 लीटर, सुरती (गुजरात) 6-8 लीटर (वसा 8-12%)। पंढरपुरी (महाराष्ट्र) 6-8 लीटर। ये नस्लें हर मौसम में दूध देती हैं।
एक भैंस से 80,000-1 लाख सालाना
एक अच्छी नस्ल की भैंस 8-15 लीटर दूध देती है, जिसकी कीमत 50-60 रुपये/लीटर। सालाना 3,000 लीटर दूध से 1.50-1.80 लाख कमाई, खर्च (आहार, चारा 40,000-50,000 रुपये) काटकर शुद्ध 80,000-1 लाख। 3 भैंसों से 2.5-3 लाख का लाभ। चारा 50% हरा (नापियर घास) और 50% सूखा (गेहूँ भूसा) दें। मिनरल मिक्सचर से दूध 20% बढ़ता है। दूध बिक्री के बाद गोबर से खाद बनाकर 10,000 रुपये अतिरिक्त।
सफल पालन के टिप्स
भैंस पालन में सफाई सबसे महत्वपूर्ण है। बाड़ा हवादार और छायादार रखें, गर्मी में ठंडा पानी दें। आहार में हरा चारा (25-30 किग्रा/दिन), चोकर (2-3 किग्रा), दाना (1-2 किग्रा) और मिनरल मिक्सचर (50 ग्राम) मिलाएँ। दूध दुहना सुबह-शाम एक ही समय पर करें, ताकि उत्पादन स्थिर रहे। नियमित टीकाकरण (FMD, HS) और पशु चिकित्सक चेकअप से रोग कम। गर्मी में दूध 20% गिरता है, इसलिए छाया और पानी बढ़ाएँ। शुरुआत 2-3 भैंसों से करें।
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