खरबूजे की फसल का पत्ते सफेद होना, फल फटने और एफिड्स की समस्याओं का ये है देसी उपाय

Muskmelon Farming Tips: गर्मियों में खरबूजा (मस्कमेलन) की खेती गाँवों में किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया है। लेकिन कई बार “खरबूजे के पत्ते सफेद क्यों हो जाते हैं?”, “खरबूजा फटने का कारण और उपाय क्या हैं?” या “खरबूजे में एफिड्स का जैविक नियंत्रण कैसे करें?” जैसे सवाल परेशान करते हैं। ये समस्याएँ फसल को नुकसान पहुँचाती हैं और मेहनत पर पानी फेर सकती हैं। बैक्टीरियल लीफ स्पॉट, फल फटना और कीटों जैसे एफिड्स और व्हाइटफ्लाई की वजह से पैदावार घट सकती है। किसान कहते हैं कि फसल की बीमारी को वक्त रहते पकड़ लो, तो मेहनत का फल बच जाता है। आइए, इन समस्याओं और उनके देसी समाधानों को आसानी से समझते हैं।

खरबूजे के पत्ते सफेद क्यों हो जाते हैं? – व्हाइटफ्लाई और समाधान

कई बार किसान देखते हैं कि “खरबूजे के पत्ते सफेद क्यों हो जाते हैं?” इसका जवाब है व्हाइटफ्लाई (सफेद मक्खी)। ये छोटा कीट पत्तियों का रस चूसता है, जिससे पत्तियाँ सफेद और पीली पड़ने लगती हैं। पत्तियों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है, जो काले फंगस को बुलाता है। इससे पौधे की बढ़त रुकती है। इसका देसी उपाय है नीम का तेल। 5 मिली नीम तेल को 1 लीटर पानी में साबुन के साथ मिलाकर छिड़कें। अगर कीट ज्यादा हों, तो इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें। साफ मौसम में सुबह या शाम को छिड़काव करें।

बैक्टीरियल लीफ स्पॉट – पत्तों पर धब्बे का इलाज

खरबूजे में बैक्टीरियल लीफ स्पॉट एक आम रोग है। इसके लक्षण हैं पत्तियों पर पानी जैसे धब्बे, जो बाद में काले पड़ जाते हैं। पत्तियाँ मुरझाती हैं और फल कम लगते हैं। गर्मी और नमी में ये रोग तेजी से फैलता है। इसका इलाज है स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 0.5 ग्राम और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना। 7-10 दिन बाद दोबारा डालें। प्रभावित पत्तियों को तोड़कर जला दें, ताकि रोग न फैले। ये उपाय पौधों को ताकत देता है।

खरबूजा फटने का कारण और उपाय

कई बार किसानों को शिकायत रहती है कि “खरबूजा फटने का कारण और उपाय क्या हैं?” फल का फटना अनियमित सिंचाई या कैल्शियम की कमी से होता है। जब पानी कभी ज्यादा, कभी कम मिलता है, तो फल तेजी से बढ़ता है और फट जाता है। इसका समाधान है ड्रिप इरिगेशन। इससे पानी बूँद-बूँद जड़ों तक जाता है और फटने की समस्या कम होती है। साथ ही, कैल्शियम नाइट्रेट 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर हर 15 दिन में छिड़कें। ये फल की छिलके को मजबूत करता है।

खरबूजे में एफिड्स का जैविक नियंत्रण

“खरबूजे में एफिड्स का जैविक नियंत्रण” किसानों के लिए बड़ा सवाल है। एफिड्स छोटे कीट हैं, जो पत्तियों और फलों का रस चूसते हैं। ये पौधे को कमजोर करते हैं और फसल घटाते हैं। इसका जैविक उपाय है नीम तेल और साबुन का मिश्रण। 5 मिली नीम तेल को 1 लीटर पानी में साबुन के साथ मिलाकर छिड़कें। लेडीबर्ड बीटल जैसे मित्र कीट भी एफिड्स को खाते हैं, इन्हें खेत में बुलाने के लिए नीम की पत्तियाँ बिछाएँ। अगर कीट बेकाबू हों, तो इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में डालें।

खेती की तैयारी और देखभाल

खरबूजे की खेती के लिए खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से जोतें। 5-6 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ डालें। बुवाई के बाद 5-7 दिन पर हल्की सिंचाई करें। ड्रिप सिस्टम से पानी दें, ताकि नमी सही रहे। फूल आने पर कैल्शियम नाइट्रेट का छिड़काव करें। पत्तियों पर सफेदी या धब्बे दिखें, तो तुरंत नीम तेल या दवा डालें। ये सावधानियाँ फल फटने और रोगों से बचाती हैं।

बंपर पैदावार का मौका

इन उपायों से खरबूजे की फसल मजबूत रहती है। प्रति एकड़ 60-70 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। गर्मियों में भाव 15-20 रुपये प्रति किलो रहता है, जिससे 1-1.5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। लागत 15-20 हजार रुपये के आसपास आती है। ये देसी और आसान समाधान खरबूजे की खेती को फायदे का सौदा बनाते हैं।

ये भी पढ़ें- धान की इन नई वैरायटी की डिमांड हाई, पूसा से ऑनलाइन मंगवाने का तरीका जानें

Author

  • Shashikant

    नमस्ते, मैं शशिकांत। मैं 2 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मुझे खेती से सम्बंधित सभी विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेती-किसानी से जुड़ी एकदम सटीक ताजा खबरें बताऊंगा। मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं। जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप Krishitak.com के साथ जुड़े रहिए।

    View all posts

Leave a Comment