Pulses Procurement: भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड) ने मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत खरीफ और रबी विपणन सत्र 2024-25 में दलहन फसलों की रिकॉर्ड खरीद की है। इस योजना के जरिए किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिल रहा है, जिससे उनकी आय में इजाफा हो रहा है। तुअर, मूंग, उड़द, चना, और मसूर जैसी फसलों की खरीद ने कर्नाटक, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों को बड़ा सहारा दिया है।
सरकार की 100% खरीद नीति और e-Samridhi पोर्टल ने इस प्रक्रिया को और आसान बनाया है। ये पहल न सिर्फ किसानों को आर्थिक मजबूती दे रही है, बल्कि भारत को दालों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। इस लेख में नैफेड की खरीफ और रबी सत्र 2024-25 की खरीद और इसके फायदों के बारे में बताया गया है।
तुअर की खरीद
नैफेड ने खरीफ विपणन सत्र 2024-25 में 20 अप्रैल तक 7,550 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 2.62 लाख टन से अधिक तुअर (अरहर) की खरीद की है। कर्नाटक इस मामले में सबसे आगे रहा, जहां 1.25 लाख टन से ज्यादा तुअर खरीदी गई। गुजरात ने भी 48,865 टन तुअर की खरीद के साथ महत्वपूर्ण योगदान दिया। आंध्र प्रदेश में 44,107 टन और महाराष्ट्र में 36,257 टन तुअर MSP पर खरीदी गई। तेलंगाना में 8,010 टन और उत्तर प्रदेश में 14.60 टन तुअर की खरीद हुई।
ये खरीद e-Samridhi और aSamyukti पोर्टल के जरिए पंजीकृत किसानों से की गई, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और तेज हुई। तुअर की इस रिकॉर्ड खरीद ने किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाया और उनकी आय को स्थिरता दी।
मूंग की खरीद
खरीफ 2024 सत्र में नैफेड ने 8,682 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर 1.76 लाख टन मूंग की खरीद की है। राजस्थान इस सूची में सबसे ऊपर है, जहां 1,45,887 टन मूंग खरीदी गई। कर्नाटक ने 26,725 टन मूंग की खरीद के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। हरियाणा में 2,664 टन और तेलंगाना में 990 टन मूंग की खरीद हुई। महाराष्ट्र में 63.25 टन और गुजरात में 144.25 टन मूंग MSP पर खरीदी गई। रबी सत्र में भी आंध्र प्रदेश में 4,417 टन मूंग की खरीद की गई।
नैफेड की इस पहल ने मूंग उत्पादक किसानों को उनकी उपज का उचित दाम दिलाया, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। e-Samridhi पोर्टल के जरिए पंजीकरण ने छोटे किसानों को भी इस योजना का लाभ उठाने में मदद की।
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उड़द और चना
खरीफ 2024 सत्र में राजस्थान से 7,400 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर 35.70 टन उड़द की खरीद की गई। ये मात्रा भले ही कम हो, लेकिन उड़द उत्पादक किसानों के लिए MSP पर खरीद ने उनकी मेहनत का सही दाम सुनिश्चित किया। रबी 2025 सत्र में नैफेड ने 5,650 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर 10,385 टन चना खरीदा। तेलंगाना में 5,792 टन और मध्य प्रदेश में 3,718 टन चना की खरीद हुई। राजस्थान में 545 टन, आंध्र प्रदेश में 183 टन, और महाराष्ट्र में 145.90 टन चना MSP पर खरीदा गया।
चना और उड़द की ये खरीद छोटे और मझोले किसानों के लिए एक बड़ा सहारा बनी, जिससे उनकी फसल को बाजार में सही कीमत मिली और नुकसान से बचाव हुआ।
मसूर की खरीद
रबी 2025 सत्र में नैफेड ने 6,700 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर 51,155 टन मसूर की खरीद की है। मध्य प्रदेश इस मामले में सबसे आगे रहा, जहां 49,795 टन मसूर खरीदी गई। उत्तर प्रदेश में 1,360 टन मसूर की खरीद हुई। मसूर की इस खरीद ने उन किसानों को राहत दी, जो बाजार में कम कीमत मिलने की चिंता से जूझ रहे थे। सरकार की 100% खरीद नीति और नैफेड की सक्रियता ने सुनिश्चित किया कि मसूर उत्पादक किसानों को उनकी मेहनत का पूरा दाम मिले। e-Samridhi और aSamyukti पोर्टल के जरिए पंजीकरण और खरीद प्रक्रिया को और आसान बनाया गया, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान इस योजना का लाभ ले सके।
नैफेड की PSS
नैफेड की मूल्य समर्थन योजना (PSS) किसानों के लिए एक बड़ा सहारा बन रही है। खरीफ और रबी सत्र 2024-25 में तुअर, मूंग, उड़द, चना, और मसूर की MSP पर की गई रिकॉर्ड खरीद ने लाखों किसानों को बाजार के जोखिम से बचाया है। कर्नाटक, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इस योजना ने किसानों की आय को स्थिरता दी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद की।
सरकार की 100% खरीद नीति ने सुनिश्चित किया कि किसानों की पूरी उपज MSP पर खरीदी जाए। e-Samridhi और aSamyukti पोर्टल ने पंजीकरण और खरीद प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाया, जिससे छोटे किसानों को भी आसानी से लाभ मिला। ये योजना भारत को दालों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
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