Mini Nandini Scheme Dairy Farming Subsidy: किसान भाइयों के लिए खेती और पशुपालन को और फायदेमंद बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कई शानदार योजनाएँ शुरू की हैं। इनमें से एक है नंद बाबा दुग्ध मिशन, जो आजमगढ़ जैसे ज़िलों में किसानों को नई राह दिखा रहा है। इस मिशन के तहत मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना शुरू की गई है, जो देसी गायों की डेयरी शुरू करने का सुनहरा मौका देती है।
इस योजना में किसानों को डेयरी शुरू करने के लिए 50% तक का अनुदान मिलता है, यानी आधा खर्च सरकार उठाएगी। अगर आप आजमगढ़ के किसान हैं और अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो ये योजना आपके लिए वरदान साबित हो सकती है। आइए, इसे और करीब से समझें।
मिनी नंदिनी योजना देसी गायों का सम्मान
मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का मकसद है देसी गायों, जैसे साहीवाल, गिर, और थारपारकर, के पालन को बढ़ावा देना। ये नस्लें न सिर्फ़ अच्छा दूध देती हैं, बल्कि इनके गोबर और गोमूत्र से जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलता है। इस योजना के तहत आप 10 देसी गायों की डेयरी शुरू कर सकते हैं। पूरी परियोजना की लागत करीब 23.60 लाख रुपये है, जिसमें से 50%, यानी 11.80 लाख रुपये तक का अनुदान सरकार देगी। ये अनुदान दो चरणों में मिलता है, ताकि डेयरी शुरू करने में आपको आर्थिक बोझ न उठाना पड़े। इससे हमारे खेतों में पशुपालन को नया जोश मिलेगा और किसान भाई आत्मनिर्भर बनेंगे।
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अनुदान का फायदा, आसान प्रक्रिया
इस योजना का सबसे बड़ा फायदा है इसका अनुदान। अगर आप 10 देसी गायों की डेयरी शुरू करते हैं, तो कुल लागत का आधा हिस्सा, यानी अधिकतम 11.80 लाख रुपये, सरकार आपके बैंक खाते में देगी। ये पैसा दो चरणों में आएगा – पहला चरण डेयरी की शुरुआत में और दूसरा चरण गायों की खरीद और शेड बनाने के बाद। इसके अलावा, सरकार हाई-टेक डेयरी के लिए भी मदद देती है, जिसमें पफ पैनल जैसे आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल होता है। इससे गायों को मौसम की मार से बचाया जा सकता है। योजना का लाभ लेने के लिए आपको ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जिसकी प्रक्रिया बेहद आसान है।
ऑनलाइन आवेदन, कुछ ही कदमों में
मिनी नंदिनी योजना का लाभ लेने के लिए आपको नंद बाबा दुग्ध मिशन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। वहाँ आपको अपना पंजीकरण करना है। इसके लिए आधार कार्ड, बैंक खाते की जानकारी, और पशुपालन के अनुभव का प्रमाण देना होगा। कम से कम 3 साल का पशुपालन अनुभव होना ज़रूरी है। इसके अलावा, आपके पास डेयरी के लिए 0.20 एकड़ ज़मीन और हरे चारे के लिए 0.80 एकड़ ज़मीन होनी चाहिए। आवेदन करने के बाद, आपका चयन ई-लॉटरी के ज़रिए होगा, जिसे मुख्य विकास अधिकारी की देखरेख में किया जाता है। अगर आपका नाम चुन लिया जाता है, तो आपको ट्रेनिंग भी दी जाएगी, ताकि आप आधुनिक तरीके से डेयरी चला सकें।
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देसी गायों की डेयरी क्यों खास?
देसी गायों की डेयरी शुरू करना न सिर्फ़ आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि ये पर्यावरण और जैविक खेती के लिए भी अच्छा है। साहीवाल, गिर, और थारपारकर जैसी नस्लें कम चारे में ज़्यादा दूध देती हैं। इनका दूध A2 क्वालिटी का होता है, जिसकी बाज़ार में अच्छी माँग है। इसके अलावा, गोबर से आप वर्मी कंपोस्ट बना सकते हैं, जो खेती में खाद की जगह ले सकता है। गोमूत्र से बने नीम-आधारित कीटनाशक आपके खेतों को कीटों से बचा सकते हैं। आजमगढ़ के किसान भाई अगर इस योजना का फायदा उठाएँ, तो उनकी आमदनी दोगुनी हो सकती है।
आजमगढ़ में डेयरी, आत्मनिर्भरता की नई उड़ान
नंद बाबा दुग्ध मिशन के तहत मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना आजमगढ़ के किसान भाइयों के लिए एक शानदार मौका है। ये योजना न सिर्फ़ डेयरी शुरू करने में आर्थिक मदद देती है, बल्कि देसी गायों के संरक्षण और जैविक खेती को भी बढ़ावा देती है। अगर आप इस योजना का फायदा उठाते हैं, तो न सिर्फ़ आपकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि आपके खेतों में भी नया जोश आएगा। ऑनलाइन आवेदन की आसान प्रक्रिया और सरकार का 50% अनुदान इसे और आकर्षक बनाता है। तो देर न करें, आज ही नंद बाबा दुग्ध मिशन की वेबसाइट पर जाकर आवेदन करें और अपने खेतों को समृद्ध बनाएँ।
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