किसान भाइयों, मिर्च भारत की सबसे महत्वपूर्ण मसाला और नकदी फसलों में से एक है, जिसका उपयोग हरी सब्जी, सूखा मसाला, अचार, और सॉस में होता है। नरेन्द्र सिवानी एक हाइब्रिड मिर्च किस्म है, जो अपने 25-30 सेमी लंबे फलों के लिए जानी जाती है। यह किस्म अधिक पैदावार, रोग प्रतिरोधक क्षमता, और बाजार मांग के कारण 2025 में किसानों के लिए लाभकारी विकल्प बन रही है। यह लेख नरेन्द्र सिवानी मिर्च की खेती, देखभाल, और मुनाफे की पूरी जानकारी देगा, ताकि आप आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर अधिक उत्पादन और आय प्राप्त कर सकें।
नरेन्द्र सिवानी मिर्च का परिचय
नरेन्द्र सिवानी एक संकर मिर्च किस्म है, जिसके फल लंबे, पतले, और गहरे हरे रंग के होते हैं। पकने पर ये चमकीले लाल हो जाते हैं। फल 25-30 सेमी लंबे और 1.2-1.5 सेमी चौड़े होते हैं, जो हरी मिर्च और सूखे मसाले दोनों के लिए उपयुक्त हैं। यह खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाई जा सकती है। इसमें तीखापन अधिक होता है, और कैप्सेसिन की मात्रा इसे मसाला उद्योग में लोकप्रिय बनाती है। इसकी पैदावार 80-100 क्विंटल प्रति एकड़ तक हो सकती है, जो इसे व्यावसायिक खेती के लिए आदर्श बनाती है।
मिट्टी और जलवायु की जरूरत
नरेन्द्र सिवानी मिर्च की खेती (Narendra Shivani Mirch Ki Kheti) के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त है। फल बनने के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस तापमान और रात का तापमान 16-21 डिग्री सेल्सियस आदर्श है। 37 डिग्री से अधिक तापमान फूल और फल झड़ने का कारण बनता है। खरीफ में जून-जुलाई और रबी में सितंबर-अक्टूबर में बुवाई करें।
मिर्च की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या रेतीली मिट्टी, जिसका pH 6.0-7.5 हो, सबसे अच्छी है। जलभराव वाली मिट्टी जड़ सड़न और रोगों को बढ़ावा देती है। खेत की तैयारी के लिए मिट्टी को गहरी जुताई करें और 25-30 टन गोबर की खाद या 5-6 टन वर्मीकम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर मिलाएं। मिट्टी को भुरभुरा और ढेला-मुक्त बनाने के लिए रोटावेटर का उपयोग करें।
बीज चयन और नर्सरी प्रबंधन
नरेन्द्र सिवानी मिर्च की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले हाइब्रिड बीज चुनें। प्रति एकड़ 100-150 ग्राम बीज पर्याप्त है। बीज को नर्सरी में तैयार करना बेहतर है, क्योंकि इससे स्वस्थ और मजबूत पौधे मिलते हैं। नर्सरी के लिए 3×1 मीटर की उठी हुई क्यारी बनाएं और मिट्टी में 50 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी मिलाएं। बीज को मेटालेक्सिल (2 मिली/किलो बीज) और इमिडाक्लोप्रिड (10 ग्राम/किलो बीज) से उपचारित करें। बुवाई 1-2 सेमी गहराई पर करें और क्यारी को पॉलीथिन से ढक दें। 25-35 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
रोपाई के लिए 60 सेमी चौड़ी और 30 सेमी ऊंची मेड़ बनाएं, जिनके बीच 120 सेमी की दूरी हो। पौधों के बीच 45-60 सेमी दूरी रखें। रोपाई शाम को करें और तुरंत हल्की सिंचाई करें। पौधों की जड़ों को इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मिली/लीटर पानी) के घोल में 30 मिनट डुबोएं।
आधुनिक खेती तकनीक
नरेन्द्र सिवानी मिर्च की खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग पैदावार और गुणवत्ता बढ़ाता है। ड्रिप सिंचाई सबसे प्रभावी है, क्योंकि यह 40-50% पानी बचाती है और खरपतवार कम करती है। गर्मियों में हर 3-4 दिन और सर्दियों में 12-15 दिन में सिंचाई करें। फूल और फल बनने के समय नियमित पानी दें, लेकिन जलभराव से बचें।
मल्चिंग के लिए 30 माइक्रोन मोटी सिल्वर-ब्लैक प्लास्टिक शीट का उपयोग करें। यह नमी बनाए रखता है, खरपतवार नियंत्रित करता है, और पैदावार 40-50% बढ़ाता है। मिर्च के खेत के चारों ओर मक्का या ज्वार की 2-3 कतारें लगाएं, जो कीटों से सुरक्षा देती हैं।
उर्वरक और पोषक तत्वों का प्रबंधन
मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरक डालें। सामान्यतः 120-150 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 80 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर दें। आधी नाइट्रोजन और पूरा फॉस्फोरस व पोटाश रोपाई से पहले डालें। बाकी नाइट्रोजन को 2-3 बार में, रोपाई के 25, 45, और 65 दिन बाद दें।
पुष्पन बढ़ाने के लिए ट्राइकॉन्टानॉल (1.25 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव रोपाई के 20, 40, और 60 दिन बाद करें। फूल झड़ने से रोकने के लिए नेफ्थेलिन एसिटिक एसिड (2 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव पुष्पन के समय और 20 दिन बाद करें। जिंक की कमी होने पर जिंक सल्फेट (10 किलो/एकड़) खेत की अंतिम जुताई में मिलाएं।
कीट और रोगों से बचाव
नरेन्द्र सिवानी मिर्च में पत्ता मरोड़, मोजैक वायरस, और फल छेदक कीट प्रमुख समस्याएं हैं। पत्ता मरोड़ के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें। फल छेदक कीट के लिए स्पिनोसैड (0.3 मिली/लीटर पानी) का उपयोग करें। फफूंद रोगों, जैसे डंपिंग ऑफ और फ्रूट रॉट, से बचाव के लिए मेटालेक्सिल+मैनकोजेब (2 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए रोपाई से पहले 300 ग्राम ऑक्सीफ्लूरोफेन प्रति हेक्टेयर छिड़कें। थ्रिप्स और सफेद मक्खी से बचाव के लिए नीम तेल (2 मिली/लीटर पानी) का नियमित छिड़काव करें। फसल की निगरानी करें और प्रभावित पौधों को तुरंत हटाकर मिट्टी में दबाएं।
कटाई और भंडारण की प्रक्रिया
नरेन्द्र सिवानी मिर्च की पहली तुड़ाई रोपाई के 60-75 दिन बाद शुरू होती है। हरी मिर्च के लिए 5-6 दिन के अंतराल पर 6-8 तुड़ाई करें। सूखी मिर्च के लिए फल पूरी तरह लाल होने पर 3-6 तुड़ाई करें। तुड़ाई सुबह करें, ताकि फूलों या छोटे फलों को नुकसान न पहुंचे। हरी मिर्च को 7-10 डिग्री सेल्सियस पर भंडारित करें। सूखी मिर्च को सूर्य की रोशनी में तिरपाल पर सुखाएं और नमी-मुक्त थैलों में रखें।
लागत और मुनाफा विश्लेषण
नरेन्द्र सिवानी मिर्च की खेती में प्रति एकड़ 35-40 हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें बीज, उर्वरक, सिंचाई, और मजदूरी शामिल है। औसतन 80-100 क्विंटल हरी मिर्च की पैदावार होती है, जिसे 40-50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचने पर 3.2-5 लाख रुपये की कमाई हो सकती है। सूखी मिर्च से 15-20 क्विंटल उत्पादन मिलता है, जिसके दाम 100-150 रुपये प्रति किलो हो सकते हैं। इस तरह, शुद्ध मुनाफा 2-3 लाख रुपये प्रति एकड़ तक हो सकता है।
नरेन्द्र सिवानी मिर्च की खेती कम लागत में उच्च मुनाफा देने वाली फसल है। सही जलवायु, मिट्टी, और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर 80-100 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार संभव है। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं और ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग जैसी तकनीकों को अपनाएं। 2025 में इसकी खेती शुरू कर किसान लाखों कमा सकते हैं और अपने खेतों को समृद्ध बना सकते हैं।
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