Fish Farming Tips: मछली पालन आज गाँवों में एक बड़ा धंधा बन चुका है। लेकिन मछली पालकों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल तब आती है, जब मछलियां बीमार हो जाती हैं। कभी कभार छोटी-सी चोट या कीड़ों की वजह से मछलियों में बड़ी बीमारी फैल जाती है, और सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है। इसी मुश्किल को दूर करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने एक नई दवा बनाई है, जिसका नाम है CIFA M-Check। यह दवा ओडिशा के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर ने तैयार की है। आइए जानते हैं कि यह दवा कैसे मछली पालकों का सहारा बन रही है।
मछलियों की बीमारी का आसान इलाज
मछली पालने वाले भाई-बहन अक्सर एक बड़ी परेशानी से जूझते हैं। उनके तालाबों में मछलियों को छोटे-छोटे कीड़े, जैसे अर्गुलस (जिसे मछली की जूं कहते हैं), परेशान करते हैं। इन कीड़ों की वजह से मछलियों की त्वचा पर चोट लगती है, और फिर वहां बैक्टीरिया का इन्फेक्शन हो जाता है। ऐसे में मछलियां कमजोर हो जाती हैं और कई बार मर भी जाती हैं। CIFA M-Check इस परेशानी का रामबाण इलाज है। यह दवा उन बैक्टीरियल इन्फेक्शन को ठीक करती है, जो अर्गुलस या दूसरी वजहों से मछलियों में फैलते हैं। ओडिशा के एक मछली पालक हरि भाई ने इस दवा को आजमाया। उन्होंने बताया कि पहले उनके तालाब में मछलियां बार-बार बीमार हो जाती थीं, लेकिन इस दवा के इस्तेमाल से उनकी मछलियां अब स्वस्थ हैं और मुनाफा भी बढ़ गया है।
बाहरी चोटों का भी इलाज
मछलियों में बीमारी का एक बड़ा कारण उनकी त्वचा पर लगने वाली चोटें होती हैं। तालाब में कभी मछलियां आपस में टकरा जाती हैं या फिर जाल में फंसने से उनकी त्वचा छिल जाती है। ऐसी चोटें बैक्टीरिया के लिए रास्ता बना देती हैं। CIFA M-Check इन बाहरी चोटों को ठीक करने में भी बहुत कारगर है। यह दवा चोट वाली जगह को जल्दी भर देती है और इन्फेक्शन को फैलने से रोकती है। इससे मछलियों की मृत्यु दर कम होती है और पालक को नुकसान नहीं उठाना पड़ता। हरि भाई जैसे कई मछली पालकों ने इस दवा से अपनी मेहनत को बर्बाद होने से बचाया है।
CIFA M-Check #OneICAR #Technology #ICAR @PMOIndia @ChouhanShivraj @PIB_India @AgriGoI @mygovindia pic.twitter.com/dZdDQMjYVz
— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) May 5, 2025
मछली पालन को दे नया सहारा
हमारा देश ताजे पानी की मछलियों का बड़ा उत्पादक है। एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 142 लाख टन मछलियां पैदा होती हैं, जिसमें से आधा हिस्सा ताजे पानी की मछलियों का है। लेकिन बीमारियों की वजह से कई बार पालकों को बड़ा नुकसान होता है। CIFA M-Check इस समस्या को हल करने में मदद करता है। यह दवा मछलियों को स्वस्थ रखती है, जिससे उनकी पैदावार बढ़ती है। जब मछलियां स्वस्थ रहती हैं, तो बाजार में उनकी कीमत भी अच्छी मिलती है। इससे मछली पालकों की आमदनी बढ़ती है और उनका धंधा मजबूत होता है।
इस्तेमाल का आसान तरीका
CIFA M-Check का इस्तेमाल बहुत आसान है। इसे तालाब के पानी में बताई गई मात्रा के हिसाब से डालना होता है। लेकिन इस्तेमाल से पहले अपने नजदीकी मत्स्य विभाग के अधिकारी से सलाह जरूर लें। यह दवा मछलियों के लिए सुरक्षित है, लेकिन सही मात्रा में इस्तेमाल करना जरूरी है। इसे ओडिशा के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर ने खास तौर पर तैयार किया है, जो मछली पालन के क्षेत्र में बड़ा नाम है। अगर आपके गाँव में यह दवा उपलब्ध नहीं है, तो आप संस्थान से संपर्क कर सकते हैं। उनके पास किसानों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी है।
मछली पालकों के लिए सलाह
मछली पालन में बीमारी से बचाव सबसे जरूरी है। तालाब की सफाई का ध्यान रखें और पानी की गुणवत्ता की जांच करते रहें। अगर मछलियों में कोई असामान्य लक्षण दिखे, जैसे त्वचा पर लाल निशान या कमजोरी, तो तुरंत CIFA M-Check का इस्तेमाल शुरू करें। इसके अलावा, मछलियों को सही मात्रा में दाना दें और तालाब में ज्यादा भीड़ न होने दें। ये छोटी-छोटी बातें आपकी मछलियों को स्वस्थ रखेंगी।
ये भी पढ़ें- असील मुर्गी पालन: कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने वाला देसी व्यवसाय
