मधुमेह पीड़ितों के लिए वरदान! चावल की इन नई वैरायटी में मिलेगा कम शुगर और ज्यादा प्रोटीन

New Rice Varieties IRRI 147: चावल खाने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है! अब ऐसा चावल आया है, जिसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) 45 से भी कम है और प्रोटीन की मात्रा 16% तक—पुरानी किस्मों से दोगुना। फिलीपींस के अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) ने ये कमाल कर दिखाया है। ये चावल सेहत के लिए बढ़िया है, खासकर मधुमेह वालों और प्रोटीन की चाह रखने वालों के लिए। मार्च का महीना चल रहा है, और ये खबर खेती से लेकर थाली तक सबके लिए फायदेमंद है। तो चलिए, अपनी आसान भाषा में समझते हैं कि ये नई किस्म क्या है और हमारे लिए क्यों खास है।

वैज्ञानिकों ने क्या कमाल किया?

IRRI की टीम के मुखिया नेसे श्रीनिवासुलु ने बताया कि उन्होंने चावल में कम और बहुत कम GI के जीन ढूंढ निकाले हैं। उनका कहना है, “हमने ये खोज की है कि पुरानी प्रजनन विधियों से लोकप्रिय चावल की किस्मों को कम GI वाला बनाया जा सकता है। इससे चावल की क्वालिटी बनी रहेगी और पैदावार भी नहीं घटेगी।” ये वैज्ञानिक हमारे लिए देसी ढंग से काम कर रहे हैं, ताकि चावल का स्वाद और सेहत दोनों बरकरार रहें। उन्होंने जीन बैंक में 1.32 लाख चावल के नमूनों की जाँच की और कम GI वाले दाताओं को चुना। फिर एक नया टेस्ट सिस्टम बनाया—‘इन-विट्रो ग्लाइसेमिक इंडेक्स टेस्टिंग’—जो इंसानी पेट की नकल करता है। इससे इंसानों पर टेस्ट करने की तुलना में समय और पैसा बचा। इसकी मदद से बड़ी संख्या में नमूनों की जाँच हुई।

उन्होंने सांबा मसूरी में अल्ट्रा-लो GI और हाई प्रोटीन के गुण जोड़े। ये नई किस्म एक खास जीन (OSTPR) की वजह से फिलीपींस में प्रति हेक्टेयर 6.2 टन तक पैदावार देती है। ये जीन पैनिकल ब्रांचिंग बढ़ाता है, यानी दानों की शाखाएँ ज्यादा होती हैं। पहले ये चावल 140 दिन में तैयार होता था, अब 110 दिन में पक जाता है। हमारे यहाँ ये तेजी और फायदा दोनों लेकर आएगा। श्रीनिवासुलु कहते हैं कि ये चावल घर में खाने और बाहर बेचने दोनों के लिए बढ़िया है। बाजार में कम GI चावल 1600 डॉलर प्रति टन तक बिक सकता है, जबकि आम चावल 350 डॉलर में बिकता है। यानी मुनाफा चार गुना!

मधुमेह वालों के लिए पुराना चावल नुकसानदेह

हैदराबाद में श्रीनिवासुलु ने कहा कि पुरानी चावल की कई किस्मों का GI 70-77 के बीच है। ये मधुमेह वालों के लिए ठीक नहीं, क्यूँकि ये जल्दी पचता है और खून में शक्कर तेजी से बढ़ा देता है। लेकिन नई IRRI किस्म का GI सिर्फ 44 है। ये बाजरे को भी टक्कर देता है, जिसे मधुमेह वालों के लिए सुरक्षित माना जाता है। हमारे यहाँ चावल हर थाली का हिस्सा है, लेकिन सेहत का ध्यान रखना भी जरूरी है। ये नया चावल दोनों काम करेगा—पेट भरेगा और शक्कर काबू में रखेगा।

भारत में मधुमेह की बढ़ती चिंता

एशिया, खासकर भारत में मधुमेह बड़ी मुसीबत बन रहा है। यहाँ 10.1 करोड़ लोग टाइप-2 मधुमेह से जूझ रहे हैं, और 13 करोड़ प्री-डायबिटिक हैं। यानी खतरा बढ़ता जा रहा है। IRRI इसी को देखते हुए कम GI और ज्यादा प्रोटीन वाला चावल बना रहा है। हमारे यहाँ चावल रोज का खाना है, तो ये नई किस्म सेहत सुधारने का बढ़िया मौका देती है। प्रोटीन 16% होने से बच्चों, बूढ़ों और जवान सबको फायदा होगा।

कमाई का सुनहरा रास्ता

ये चावल किसानों के लिए भी सोना है। कम GI चावल की कीमत 1600 डॉलर प्रति टन तक जा सकती है। IRRI ओडिशा सरकार के साथ मिलकर इसकी पूरी सप्लाई चेन बना रहा है। भुवनेश्वर में एक खास प्रसंस्करण यूनिट बनेगी। 2026 से ओडिशा में इसकी खेती शुरू होगी। ये योजना महिलाओं को भी ताकत देगी, क्यूँकि स्वयं सहायता समूहों को ट्रेनिंग और कमाई का मौका मिलेगा। हमारे यहाँ ये नई किस्म खेती को नई ऊँचाई देगी।

एक और नई किस्म: IRRI 147

IRRI ने एक और किस्म IRRI 147 तैयार की है। इसका GI 55 है और पैदावार 5.5-9 टन प्रति हेक्टेयर। इसे फ्लेक्स और इंस्टेंट चावल जैसे प्रोडक्ट्स के लिए बनाया जा रहा है। ये भी कम GI रखता है और मुनाफा देता है। प्रसंस्करण यूनिट चावल और बाजरे को मिलाकर नए पौष्टिक प्रोडक्ट्स बनाएगी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) इसे टेस्ट कर रही है और जल्द ही इसे देश में लॉन्च करने का फैसला लेगी। हमारे यहाँ ये खेती और खाने दोनों को बदलेगा।

चावल और बाजरे का GI: टेबल में देखें

चावल की किस्मGI मान
सोना मसूरी72
सांबा मसूरी56-69
स्वर्णा70
ज्योति72
उन्नत सांबा मसूरी50.9
तेलंगाना सोना51.5
ललाट53.17
सम्पदा51
पोन्नी70.2
सुरति कोलम77.0
नई IRRI किस्म44
बाजरा की किस्मGI मान
बार्नयार्ड42
फॉक्सटेल50-60
कोडो52.7
लिटिल52.11
प्रोसो52.7
फिंगर54-68
पर्ल54

सेहत और जेब दोनों का फायदा

किसान भाइयों, ये नया चावल मधुमेह वालों के लिए दवा और खेतों के लिए सोना है। GI 44 और 16% प्रोटीन इसे खास बनाता है। 110 दिन में तैयार और 6.2 टन पैदावार—खेती का मुनाफा चार गुना। इसे अपनाएँ, सेहत सुधारें और 1600 डॉलर प्रति टन की कमाई करें। हमारे यहाँ चावल अब सिर्फ भोजन नहीं, सेहत और कमाई का रास्ता भी बनेगा। अभी से तैयारी शुरू करें और फायदा उठाएँ। खेत और थाली दोनों चमक उठेंगे!

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  • Shashikant

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