तिल की इस खास वैरायटी से पाएं बंपर फसल, जानिए कैसे करें स्मार्ट खेती!

New Variety of Sesame Vibhuti: किसान भाइयों, छत्तीसगढ़ की माटी मेहनतकश किसानों की कहानियाँ कहती है। अब ये धरती तिल की उन्नत किस्म विभूति से नया रंग ले रही है। पुराने तरीकों को छोड़कर वैज्ञानिक तकनीकों से खेती करने वाले किसान न सिर्फ ज्यादा पैदावार ले रहे हैं, बल्कि बाजार में अच्छा दाम भी पा रहे हैं। विभूति किस्म अपनी बंपर उपज, सूखा सहने की ताकत, और बाजार में बढ़िया कीमत के लिए मशहूर है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के विशेषज्ञों ने इसकी खेती का आसान और वैज्ञानिक तरीका बताया है। चलिए, समझते हैं कि विभूति की खेती कैसे आपके खेतों को चमकाएगी।

विभूति: तिल की खेती का नया सितारा

विभूति तिल की ऐसी किस्म है, जो कम लागत में ज्यादा पैदावार देती है। ये सूखे को झेल सकती है और रोगों से कम प्रभावित होती है। बाजार में इसकी मांग और दाम दोनों अच्छे हैं, जिससे किसानों की जेब भर रही है। चाहे आप छोटे किसान हों या बड़े, विभूति की खेती से मुनाफा पक्का है। वैज्ञानिक तरीके अपनाएँ, तो ये किस्म 20-25% ज्यादा उपज दे सकती है। छत्तीसगढ़ के खेतों के लिए ये किस्म किसी वरदान से कम नहीं।

बुआई और बीज की तैयारी

विभूति की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लीजिए। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रति हेक्टेयर 5 किलोग्राम बीज काफी है। बुआई से पहले बीज उपचार जरूर करिए। इसके लिए कार्बेन्डाजिम (2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज), पीएसबी, एजेटोबैक्टर, जेएसबी, और केएसबी जैसे जैविक तत्व इस्तेमाल करिए। केएसबी और जेएसबी को 5 से 15 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाएँ। ये उपचार बीज के अंकुरण को बेहतर करता है और पौधों को रोगों से बचाता है।

खेत और खाद का प्रबंधन

खेत को जोतकर समतल कर लीजिए और 5 टन प्रति हेक्टेयर गोबर खाद डालिए। इसके साथ ही नत्रजन (60 किग्रा), स्फूर (40 किग्रा), और पोटाश (20 किग्रा) प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खाद दीजिए। 25 किलोग्राम जिंक प्रति हेक्टेयर भी डालिए, ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़े। नत्रजन की आधी मात्रा बुआई के समय और बाकी आधी पहली सिंचाई के समय टॉप ड्रेसिंग के रूप में दीजिए। सही खाद प्रबंधन से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और फसल अच्छी लहलहाती है।

बुआई का सही तरीका

विभूति की बुआई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखिए। इससे पौधों को सूरज की रोशनी और पोषण अच्छे से मिलता है। सीड ड्रिल से बुआई करना सबसे अच्छा है, क्योंकि ये बीज को एकसमान गहराई पर बोता है। अगर मशीन नहीं है, तो देशी तरीके से कूड़ बनाकर भी बुआई कर सकते हैं। पंक्ति बुआई से खरपतवार नियंत्रण और फसल की निगरानी में आसानी होती है।

सिंचाई का सही समय

तिल की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं, लेकिन सही समय पर नमी देना जरूरी है। विभूति के लिए तीन सिंचाई काफी हैं। पहली सिंचाई बुआई के 25-30 दिन बाद, दूसरी 40-55 दिन बाद, और तीसरी 60-65 दिन बाद करिए। ये समय पौधों के बढ़ने, फूल आने, और बीज बनने के लिए जरूरी है। ध्यान रखिए कि खेत में पानी जमा न हो, वरना पौधों की जड़ें खराब हो सकती हैं।

खरपतवार और कीट नियंत्रण

खरपतवार फसल की ताकत चुराते हैं, इसलिए इन्हें समय पर हटाना जरूरी है। बुआई से पहले और बाद में ऑक्सीफ्लोरोफेन या मेट्रीब्यूजिन जैसे रसायनों का छिड़काव करिए। कीटों से बचाव के लिए थायोमीथोक्सम 25% डब्ल्यूजी का इस्तेमाल करिए। फफूंद और पत्तियों पर धब्बों से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम और मैंकोजेब का स्प्रे करिए। दवाओं की सही मात्रा के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह ले लीजिए।

वैज्ञानिक खेती का फायदा

किसान भाइयों, विभूति की खेती में वैज्ञानिक तरीके अपनाने से उपज 20-25% तक बढ़ सकती है। जैविक बीज उपचार, सही खाद और सिंचाई, और कीट-खरपतवार नियंत्रण से ये किस्म पारंपरिक तिल से कहीं ज्यादा पैदावार देती है। साथ ही, ये सूखा सहन कर सकती है और बाजार में इसका दाम भी अच्छा मिलता है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग किसानों को बीज, दवाएँ, और प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि आप बिना झंझट के खेती कर सकें।

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  • Shashikant

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