कीजिए इंडिगो रोज टमाटर की खेती, एक एकड़ से कमाएं 10 लाख रूपये,

नीला टमाटर, जिसे ब्लू टमाटर या इंडिगो टमाटर के नाम से भी जाना जाता है, एक अनोखी और उभरती हुई फसल है, जो अपने नीले-बैंगनी रंग और स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है। यह टमाटर सामान्य लाल टमाटर से अलग है, क्योंकि इसमें एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो इसे नीला-बैंगनी रंग देता है और कैंसर, हृदय रोग, और उम्र बढ़ने से बचाव में मदद करता है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और बिहार जैसे राज्यों में, जहाँ टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है, नीला टमाटर जैविक और विशिष्ट बाजारों के लिए एक नया अवसर बन रहा है।

नीला टमाटर की खासियत और माँग

नीला टमाटर अपनी अनोखी रंगत और पोषक तत्वों के कारण बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह सलाद, जूस, सॉस, और सजावटी व्यंजनों में उपयोग होता है। इसका स्वाद सामान्य टमाटर की तरह हल्का खट्टा-मीठा होता है, लेकिन इसका रंग इसे प्रीमियम बनाता है। भारत में जैविक खेती और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से नीले टमाटर की माँग सुपरमार्केट, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, और निर्यात बाजार में बढ़ रही है। एक किलो नीला टमाटर 100-200 रुपये में बिकता है, जो सामान्य टमाटर (20-50 रुपये प्रति किलो) से कहीं अधिक है। यह फसल पॉलीहाउस और खुले खेतों में उगाई जा सकती है, जिससे छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह आकर्षक विकल्प है।

उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

नीला टमाटर गर्म और मध्यम जलवायु में अच्छी तरह पनपता है। इसके लिए 18-27 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श है। पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश का ठंडा-मध्यम मौसम इसके लिए उपयुक्त है, जबकि बिहार में खरीफ मौसम (जून-जुलाई) में इसे उगाया जा सकता है। अत्यधिक ठंड (10 डिग्री से कम) या गर्मी (38 डिग्री से अधिक) फूलों और फलों को नुकसान पहुँचाती है। दोमट, रेतीली-दोमट, या लाल मिट्टी, जिसमें जल निकासी अच्छी हो, इसके लिए सबसे अच्छी है। मिट्टी का pH 6.5-7.5 होना चाहिए। जलभराव वाली मिट्टी से बचें, क्योंकि यह जड़ों को सड़ा सकती है। मिट्टी की जाँच स्थानीय कृषि केंद्र से करवाएँ, ताकि पोषक तत्वों की कमी का पता लगे।

उन्नत किस्में: पैदावार और रंग की गारंटी

नीले टमाटर की कुछ प्रमुख किस्में हैं:

  • इंडिगो रोज़: गहरे नीले-बैंगनी फल, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, 80-90 दिन में तैयार।

  • ब्लू ब्यूटी: नीले-लाल मिश्रित रंग, स्वादिष्ट, 85-95 दिन में कटाई।

  • इंडिगो ब्लू बेरीज़: छोटे, नीले-काले फल, सलाद के लिए उपयुक्त, 75-85 दिन में तैयार।

इन किस्मों के बीज ICAR, कृषि विश्वविद्यालयों, या प्रमाणित ऑनलाइन नर्सरी से खरीदें। इंडिगो रोज़ भारत में सबसे लोकप्रिय है, क्योंकि यह रोग-प्रतिरोधी और उच्च पैदावार देती है।

खेत की तैयारी और नर्सरी प्रबंधन

नीला टमाटर की खेती के लिए खेत को अच्छी तरह तैयार करें। 2-3 गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। पुरानी फसल के अवशेष और खरपतवार हटाएँ। नर्सरी के लिए बीजों को बुवाई से पहले बविस्टिन (2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें। जून-जुलाई (खरीफ) या अक्टूबर-नवंबर (रबी) में नर्सरी तैयार करें। बीजों को 1 सेंटीमीटर गहराई पर बोएँ और 4-5 सप्ताह बाद पौधों को रोपें। नर्सरी में 2-3 सेंटीमीटर पानी का स्तर बनाए रखें और जलभराव से बचें। पौधे 10-15 सेंटीमीटर ऊँचे होने पर रोपाई के लिए तैयार होते हैं।

खाद और उर्वरक: वैज्ञानिक प्रबंधन

नीले टमाटर की नर्सरी और खेत में संतुलित खाद का उपयोग पौधों की ग्रोथ के लिए जरूरी है। खेत तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद या 100 क्विंटल वर्मीकम्पोस्ट मिलाएँ। इसके साथ 5 किलो नीम खली डालें, जो फंगस और कीटों से बचाव करती है। रासायनिक खाद के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 60 किलो पोटाश उपयोग करें। बुवाई से पहले DAP (60 किलो) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (60 किलो) मिट्टी में मिलाएँ। यूरिया (100 किलो) को तीन चरणों में डालें रोपाई के समय, 25-30 दिन बाद, और फूल आने से पहले। जिंक सल्फेट (2.5 किलो प्रति 1000 वर्ग मीटर) खैरा रोग से बचाव करता है।

सिंचाई, कम पानी, अधिक पैदावार

नीला टमाटर कम पानी में भी अच्छी पैदावार देता है। रोपाई के बाद तुरंत हल्की सिंचाई करें। गर्मियों में 6-7 दिन और सर्दियों में 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। ड्रिप सिंचाई से पानी और खाद की 30-40% बचत होती है, और पैदावार 20% बढ़ती है। नर्सरी में 2-3 सेंटीमीटर पानी का स्तर रखें। जलभराव से बचें, क्योंकि यह जड़ों को नुकसान पहुँचाता है। पॉलीहाउस में ड्रिप सिंचाई और फर्टिगेशन (19:19:19 NPK) का उपयोग करें।

कीट और रोग नियंत्रण

नीले टमाटर में पर्ण कुंचन वायरस, झुलसा रोग, और फल छेदक कीट प्रमुख समस्याएँ हैं। पर्ण कुंचन वायरस से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड (0.5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। झुलसा रोग के लिए मैनकोज़ेब (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) उपयोग करें। फल छेदक कीट के लिए नीम तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या फेरोमोन ट्रैप लगाएँ। जैविक खेती के लिए नीम-आधारित कीटनाशक और ट्राइकोडर्मा उपयोग करें। खेत को साफ रखें और नियमित निगरानी करें।

नीला टमाटर रोपाई के 75-95 दिन बाद कटाई के लिए तैयार होता है। फल जब नीले-बैंगनी रंग के हो जाएँ, तब तुड़ाई करें। एक एकड़ में 300-350 क्विंटल पैदावार संभव है। फलों को सावधानी से तुड़ें और कोल्ड स्टोरेज में रखें, ताकि वे ताजा रहें। प्रति किलो 100-200 रुपये की दर से बिक्री पर 3-5 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है।

लागत और मुनाफा का हिसाब

प्रति एकड़ नीला टमाटर की खेती में 50,000-70,000 रुपये की लागत आती है। इसमें बीज (20,000 रुपये), गोबर खाद (10,000 रुपये), रासायनिक खाद (10,000 रुपये), सिंचाई (5,000 रुपये), और मजदूरी (10,000-15,000 रुपये) शामिल हैं। 300 क्विंटल फल 100 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने पर 3 लाख रुपये की आय होती है। लागत हटाने के बाद 2.3-2.5 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा मिलता है। पॉलीहाउस में पैदावार और मुनाफा 30-40% बढ़ सकता है।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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