Nili Ravi Bhains Palan: भारत में दूध उत्पादन के लिए भैंस पालना किसानों और पशुपालकों के लिए बड़ा धंधा है। इनमें नीली रावी भैंस अपनी खासियतों की वजह से तेजी से मशहूर हो रही है। ये नस्ल, जो पहले पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से आई थी, अब भारत के कई हिस्सों में पाली जा रही है। लेकिन कई बार व्यापारी नकली रावी भैंस को असली बताकर बेचने की कोशिश करते हैं। ऐसे में असली नीली रावी भैंस की पहचान करना जरूरी है, ताकि मेहनत और पैसे का सही फायदा मिले। आइए जानें इस भैंस की खास पहचान और इसे पालने के फायदे।
शरीर की बनावट से जानें असली रावी भैंस
नीली रावी भैंस का शरीर मजबूत और भारी होता है, जो देखते ही अलग नजर आता है। इसका रंग गहरा काला और चमकदार होता है। गर्दन लंबी और पतली होती है, जो इसे दूसरी नस्लों से अलग बनाती है। शरीर पर मांसलता साफ दिखती है, जो इसकी ताकत और सेहत का सबूत है। औसतन एक रावी भैंस का वजन 450 किलो होता है, जबकि सांड का वजन 600 किलो तक पहुंच सकता है। ये बनावट इसे डेयरी के लिए मुनाफे का सौदा बनाती है।
सिर, सींग और खास निशान
रावी भैंस का सिर छोटा और संकरा होता है। इसके सींग पीछे की ओर मुड़े होते हैं, जो सूप जैसे आकार के दिखते हैं। इस नस्ल की सबसे बड़ी पहचान है इसके माथे, नाक और पैरों पर सफेद धब्बे। खासकर माथे का उजला निशान इसे दूसरी भैंसों से अलग करता है। अगर ये धब्बे न दिखें, तो भैंस की नस्ल पर शक करें। इन निशानों को देखकर आसानी से असली रावी भैंस की पहचान हो सकती है।
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थन और दूध की क्षमता
नीली रावी भैंस का थन लंबा और एकसमान होता है, जो दूध देने के लिए बेस्ट माना जाता है। ये भैंस रोजाना औसतन 10 से 15 लीटर दूध देती है। अगर अच्छी देखभाल और पौष्टिक चारा मिले, तो ये 20 लीटर तक दूध दे सकती है। हर ब्यांत में ये 1800 से 2000 लीटर दूध देने की काबिलियत रखती है। दूध में वसा (फैट) की मात्रा 7% से 8% होती है, जो इसे डेयरी व्यवसाय के लिए बहुत फायदेमंद बनाती है। इसकी दूध देने की ताकत ही इसे किसानों की पहली पसंद बना रही है।
पूंछ और आंखों की बनावट
इस भैंस की पूंछ लंबी होती है और इसके सिरे पर बाल झुंड में होते हैं। ये निशानी भी इसे खास बनाती है। आंखें बड़ी, चमकदार और सतर्क दिखती हैं, जो इसकी चुस्ती और तंदुरुस्ती का पता देती हैं। स्वस्थ रावी भैंस की आंखें देखकर ही उसकी सेहत का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर आंखें सुस्त या धंसी हुई हों, तो भैंस की सेहत पर सवाल उठ सकते हैं।
चलने का ढंग और शाही अंदाज
रावी भैंस का चलना-फिरना देखकर भी इसकी पहचान हो सकती है। ये तेज और आत्मविश्वास से चलती है। इसका चाल-ढाल संतुलित और शाही होता है, जो इसे दूर से भी अलग बनाता है। अगर भैंस सुस्त या असंतुलित चाल के साथ चल रही हो, तो उसकी नस्ल और सेहत की जांच जरूर करें।
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नकली भैंसों से कैसे बचें?
बाजार में कई बार व्यापारी नकली या दूसरी नस्ल की भैंस को रावी भैंस बताकर बेचने की कोशिश करते हैं। इससे बचने के लिए कुछ आसान बातों का ध्यान रखें। सबसे पहले, भैंस के माथे, नाक और पैरों पर सफेद धब्बों की जांच करें। इसके बाद, थन की बनावट और शरीर की मजबूती देखें। अगर संदेह हो, तो किसी पशु चिकित्सक या अनुभवी पशुपालक की सलाह लें। पशु मेलों में खरीदारी करने से पहले भैंस का पूरा रिकॉर्ड, जैसे नस्ल प्रमाण और स्वास्थ्य जांच, मांगें।
रावी भैंस पालने के फायदे
नीली रावी भैंस पालना (Nili Ravi Bhains Palan) डेयरी किसानों के लिए बड़ा फायदेमंद है। इसकी दूध देने की क्षमता ज्यादा है और दूध में वसा की मात्रा भी अच्छी होती है, जिससे बाजार में अच्छा दाम मिलता है। ये भैंस कम देखभाल में भी स्वस्थ रहती है और बीमारियां इसे कम होती हैं। सही चारा, साफ पानी और समय पर टीकाकरण से ये भैंस लंबे समय तक मुनाफा दे सकती है।
पशुपालकों के लिए सलाह
अगर नीली रावी भैंस पालने का मन बना रहे हैं, तो कुछ बातों का खास ध्यान रखें। भैंस खरीदने से पहले उसके स्वास्थ्य और नस्ल की पूरी जांच करें। स्थानीय पशु चिकित्सक या कृषि केंद्र से संपर्क करें। भैंस को पौष्टिक चारा, जैसे हरा चारा, खली और मिनरल मिक्स, दें। समय-समय पर टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच कराएं। साफ और हवादार गोशाला में भैंस रखें, ताकि वो स्वस्थ रहे। इन छोटी-छोटी बातों से आपकी रावी भैंस ज्यादा दूध देगी और आपका मुनाफा बढ़ेगा।
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