निरंतरा जामुन: साल के 12 महीने फल-फूल देने वाला भारत का अनोखा पेड़, जानें इसकी खासियत और खेती का तरीका

Nirantarna Jamun Farming In Hindi: जामुन की खेती अब गाँव के किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरी है, और इसका सबसे चमकदार सितारा है **निरंतरा जामुन**। यह भारत का इकलौता जामुन का पेड़ है, जो मौसम की परवाह किए बिना बारहों महीने फल देता है। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) बेंगलुरु ने 20 साल पहले लगाए एक बीज से इस अनोखी किस्म को तैयार किया है। अब यह किसानों की कमाई का नया जरिया बन गया है। इसकी खासियत है कि यह 38-39 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी शानदार फल देता है। बाजार में इसके फल 100 रुपये प्रति किलो तक बिक रहे हैं, और किसानों को 25 प्रतिशत तक मुनाफा मिल रहा है।

क्या है निरंतरा जामुन की खासियत?

निरंतरा जामुन की सबसे बड़ी खूबी है इसका सालभर फल देना। इस पेड़ पर फूल और फल एक साथ आते हैं, जिससे उत्पादन कभी नहीं रुकता। मंडी में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, क्योंकि यह ताजा और स्वादिष्ट फल हर मौसम में उपलब्ध कराता है। IIHR बेंगलुरु ने इस वैरायटी को रिसर्च के बाद प्रमाणित किया है, और किसानों को सर्टिफाइड ग्राफ्टिंग सैप्लिंग दी जा रही हैं। बीज से यह वैरायटी तैयार नहीं होगी, क्योंकि IIHR ने साफ निर्देश दिए हैं कि इसके असली गुणों को बनाए रखने के लिए सिर्फ ग्राफ्टिंग ही जरूरी है। इससे पेड़ की गुणवत्ता और पैदावार दोनों बनी रहती हैं।

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कैसे शुरू करें निरंतरा जामुन की खेती?

निरंतरा जामुन की खेती शुरू करने के लिए आपको IIHR बेंगलुरु से सर्टिफाइड सैप्लिंग लेनी होगी। ग्राफ्टिंग से तैयार ये पौधे 5-6 साल में फल देना शुरू कर देते हैं, जो सामान्य जामुन के पेड़ों से कहीं तेज है। प्रति हेक्टेयर करीब 140-150 पौधे लगाए जा सकते हैं। खेती की लागत लगभग एक लाख रुपये प्रति हेक्टेयर आती है, लेकिन बाजार में 100 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाले फल 9-10 लाख रुपये तक की कमाई दे सकते हैं।

पेड़ों को 7-8 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए, और गड्ढों में 10-12 किलो गोबर की खाद डालकर मिट्टी तैयार करनी चाहिए। मानसून में रोपण सबसे अच्छा रहता है, और शुरुआती सिंचाई के बाद नियमित देखभाल से पेड़ जल्दी बढ़ते हैं।

निरंतरा जामुन की खेती छोटे किसानों से लेकर बागवानी का बिजनेस करने वालों के लिए फायदेमंद है। इसकी खेती में लागत कम लगती है, और मुनाफा 25 प्रतिशत तक मिलता है। एक पेड़ से 60-70 किलो फल मिल सकते हैं, और यह 50-60 साल तक उत्पादन देता है। बाजार में इसकी मांग सालभर बनी रहती है, क्योंकि यह फल ताजा खाने के साथ-साथ जाम, जेली, सिरका और पेय पदार्थों में भी इस्तेमाल होता है। इसके बीज डायबिटीज नियंत्रण में मदद करते हैं, जिससे इसकी मांग और बढ़ रही है। सूरत, मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में निरंतरा जामुन की सप्लाई बढ़ रही है।

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IIHR का योगदान और किसानों का भरोसा

IIHR बेंगलुरु ने इस वैरायटी को विकसित करने के लिए 20 साल तक रिसर्च की। एक किसान ने IIHR के साथ MoU साइन करके इसकी खेती को बढ़ावा दिया, और अब यह पूरे देश में फैल रहा है। वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत जेएम (संपर्क: +91 99007 68039) किसानों को सैप्लिंग और तकनीकी जानकारी दे रहे हैं। IIHR ने बीज बाहर न देने का फैसला किया है, ताकि इसकी शुद्धता बनी रहे। सर्टिफाइड सैप्लिंग लेने के लिए आप सीधे IIHR से संपर्क कर सकते हैं। यह वैरायटी गर्म जलवायु में भी शानदार फल देती है, जो इसे सूखे और बंजर इलाकों के लिए भी मुफीद बनाती है।

निरंतरा जामुन की खेती छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए कमाई का नया रास्ता खोल रही है। यह फसल न सिर्फ टिकाऊ है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। इसके पेड़ कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देते हैं, और खरपतवार या कीटों की समस्या कम रहती है। अगर आप इस खेती को शुरू करना चाहते हैं, तो IIHR बेंगलुरु के वैज्ञानिकों से संपर्क करें। उनकी वेबसाइट (www.iihr.res.in) पर जाकर या डॉ. प्रशांत जेएम से बात करके पूरी जानकारी और सैप्लिंग ले सकते हैं।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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