India-PAK War: देश में भरपूर अन्न और सब्जियां, सरकार दालों की कीमतों पर रख रही है पैनी नजर!

आजकल भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की खबरें सुर्खियों में हैं, लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि देश में खाने-पीने की चीजों की कोई कमी नहीं है। चाहे चावल-गेहूं हो, दालें हों, या फिर आलू-प्याज-टमाटर, सबकी आपूर्ति चाक-चौबंद है। सरकार की नजर हर चीज की कीमतों पर है, और जमाखोरी या अफवाहों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। मई से शुरू होने वाली राज्य खाद्य सचिवों की बैठकों में शहरी इलाकों में खाद्यान की सप्लाई और मुनाफाखोरी पर चर्चा होगी। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दिल्ली में बड़ी बैठक की, जिसमें खाद्यान्न भंडार और भविष्य की तैयारियों पर बात हुई।

खाद्यान्न भंडार की मजबूत स्थिति

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में एक X पोस्ट में कहा कि हमारे अन्न भंडार भरे हुए हैं, और इस साल बंपर पैदावार हुई है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 3474.42 लाख मीट्रिक टन तक पहुँचा है। इसमें चावल 1464.02 लाख मीट्रिक टन और गेहूं 1154 लाख मीट्रिक टन है, जो अनुमान से भी ज्यादा हो सकता है। दालों का उत्पादन 250.97 लाख मीट्रिक टन और तिलहन 428.98 लाख मीट्रिक टन रहा। बागवानी फसलों ने भी 3621 लाख मीट्रिक टन का आँकड़ा छुआ। सब्जियों की बात करें तो आलू 595 लाख मीट्रिक टन, प्याज 288 लाख मीट्रिक टन, और टमाटर 215 लाख मीट्रिक टन पैदा हुए। ये आँकड़े दिखाते हैं कि देश किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार है।

सरकारी सूत्रों ने ‘बिजनेस टुडे’ को बताया कि दालों और सब्जियों जैसी जरूरी चीजों की कीमतों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। शहरों में सप्लाई चेन को दुरुस्त करने के लिए सरकार हर कदम उठा रही है। मई से राज्य खाद्य सचिवों और बड़े अधिकारियों के साथ बड़ी बैठकें शुरू हो रही हैं। इनमें शहरी इलाकों में जमाखोरी, मुनाफाखोरी, और खादyan की कमी की अफवाहों को रोकने पर जोर होगा। सरकार राज्यों से लगातार संपर्क में है, ताकि किसी भी सूरत में आम आदमी को परेशानी न हो। केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी X पर कहा कि कुछ जगहों पर अफवाहें फैलाई जा रही हैं, जिससे लोग दुकानों पर जरूरत से ज्यादा सामान खरीदने पहुँच रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि जमाखोरी की कोई जरूरत नहीं, क्योंकि स्टॉक पर्याप्त है।

जमाखोरी और अफवाहों पर लगाम

तनाव के माहौल में अफवाहें और जमाखोरी बड़ी समस्या बन सकती हैं। COVID-19 लॉकडाउन के दौरान भी ऐसा देखा गया था, जब आटा और चावल की कीमतें 3-16% बढ़ गई थीं, क्योंकि लोग घबराहट में सामान जमा करने लगे थे। सरकार इस बार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि मुनाफाखोरों और जमाखोरों पर सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, लोगों को सही जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। मसलन, प्याज की कीमतें लॉकडाउन में 61% तक गिरी थीं, क्योंकि सप्लाई चेन में रुकावट आई थी। इस बार सरकार पहले से तैयार है, ताकि ऐसी स्थिति न आए।

भारत ने खाद्यान्न उत्पादन में बड़ी छलांग लगाई है। 1950-51 में जहाँ कुल खाद्यान्न 50 मिलियन टन था, वहीं 2019-20 में ये 300 मिलियन टन के करीब पहुँच गया। चावल और गेहूं में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, और दालों व मसालों में नंबर एक। बागवानी फसलों में भी हमारा जलवा है। इस साल गर्मी और बाढ़ के बावजूद चावल और गेहूं की पैदावार अच्छी रही। हालाँकि, दालों और तिलहन में अभी और मेहनत की जरूरत है, क्योंकि इनकी आयात पर निर्भरता बनी हुई है। सरकार की योजनाएँ, जैसे नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, इन फसलों को बढ़ावा दे रही हैं।

सब्जियों की सप्लाई चेन

आलू, प्याज, और टमाटर भारतीय थाली के अहम हिस्से हैं। इनकी कमी या कीमतों में उछाल आम आदमी को सीधा प्रभावित करता है। सरकार ने सुनिश्चित किया है कि इनकी सप्लाई में कोई रुकावट न आए। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और कर्नाटक जैसे बड़े प्याज उत्पादक राज्यों से नियमित आपूर्ति हो रही है। आलू की स्टॉकिंग के लिए कोल्ड स्टोरेज का बढ़िया इंतजाम है, जिस 1909 कोल्ड चेन की मदद से टमाटर की सप्लाई भी बरकरार है। अगर कहीं कमी दिखती है, तो पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) के जरिए जरूरी सामान लोगों तक पहुँचाया जा रहा है।

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  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और मैंने संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं Krishitak.com का संस्थापक और प्रमुख लेखक हूं। पिछले 3 वर्षों से मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाएं, और ग्रामीण भारत से जुड़े विषयों पर लेखन कर रहा हूं।

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