Noor Jahan Mango: गर्मी का मौसम आते ही गाँव-शहर की गलियों में आम की खुशबू फैलने लगती है। आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता, लेकिन मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले का नूरजहाँ आम तो जैसे इस राजा का ताज है। ये आम अपने बड़े आकार, रसीले स्वाद, और अनोखी खुशबू के लिए दुनियाभर में मशहूर है। इसे ‘आमों की मल्लिका’ भी कहा जाता है, और ये सिर्फ अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा इलाके में ही उगता है। आइए, देसी अंदाज में जानते हैं कि नूरजहाँ आम की क्या खासियत है, इसकी कीमत कितनी है, और इसे खरीदने के लिए क्या करना पड़ता है।
नूरजहाँ आम की अनोखी खासियत
नूरजहाँ आम की सबसे बड़ी खासियत है इसका आकार और वजन। एक नूरजहाँ आम का वजन 2.5 से 5 किलो तक हो सकता है, और लंबाई में ये 12 इंच तक बढ़ता है। यानी ये दुनिया के सबसे बड़े आमों में से एक है। इसका गूदा इतना रसीला और मीठा होता है कि एक बार खाने वाला इसका दीवाना हो जाता है। गाँव के लोग बताते हैं कि इस आम में रेशे बहुत कम होते हैं, जिससे इसका गूदा स्मूथ और स्वादिष्ट लगता है। इसका बीज भी छोटा (150-200 ग्राम) होता है, यानी खाने के लिए ज्यादा गूदा मिलता है। इस आम से शेक, स्मूथी, कुल्फी, या श्रीखंड जैसी चीजें बनाकर इसका स्वाद और बढ़ाया जा सकता है।
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सिर्फ अलीराजपुर में क्यों उगता है नूरजहाँ?
नूरजहाँ आम की खेती सिर्फ अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा में होती है, जो गुजरात की सीमा से सटा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि ये आम अफगानिस्तान से गुजरात के रास्ते मध्य प्रदेश आया। कट्ठीवाड़ा की रेतीली मिट्टी और नम जलवायु इस आम के लिए सबसे मुफीद है। स्थानीय किसान शिवराज सिंह जाधव, जिनके पास नूरजहाँ आम के मशहूर बाग हैं, बताते हैं कि उनके पिता ने 1965 में इसकी खेती शुरू की थी। आज उनके बाग में 8 पेड़ हैं, जो हर साल 200-250 आम पैदा करते हैं। लेकिन बढ़ते तापमान और बेमौसम बारिश की वजह से इन पेड़ों की संख्या और पैदावार पर खतरा मंडरा रहा है।
कीमत और बुकिंग
नूरजहाँ आम की मांग इतनी ज्यादा है कि इसे पाने के लिए महीनों पहले बुकिंग करानी पड़ती है। किसान बताते हैं कि जनवरी-फरवरी में जब पेड़ों पर फूल आते हैं, तब से ही लोग बुकिंग शुरू कर देते हैं। भोपाल, इंदौर, वडोदरा, सूरत, और मुंबई जैसे शहरों से लोग इस आम को खरीदने के लिए संपर्क करते हैं। इसकी कीमत 500 से 2000 रुपये प्रति आम तक हो सकती है, जो इसके आकार और गुणवत्ता पर निर्भर करती है। 2022 में एक 3.8 किलो का नूरजहाँ आम 2000 रुपये में बिका था। इसकी ऊँची कीमत की वजह इसकी दुर्लभता और बड़ा आकार है।
मौसम का असर और संरक्षण की कोशिश
नूरजहाँ आम की खेती आसान नहीं है। ये पेड़ 10-12 फीट ऊँचे होते हैं, और भारी फलों की वजह से इन्हें सहारे की जरूरत पड़ती है। जनवरी-फरवरी में फूल आने के बाद जून तक फल तैयार होते हैं। लेकिन बेमौसम बारिश और बढ़ता तापमान इसकी पैदावार को प्रभावित कर रहा है। 2020 में कोविड-19 और खराब मौसम की वजह से पैदावार बहुत कम हुई थी।
अलीराजपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के प्रमुख डॉ. आरके यादव के मुताबिक, अब सिर्फ 8 फल देने वाले पेड़ बचे हैं। इसे बचाने के लिए टिश्यू कल्चर और ग्राफ्टिंग जैसी वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, स्वाद को और बेहतर करने के लिए केसरी जैसे अन्य आमों की प्रजातियों के साथ ग्राफ्टिंग की कोशिश हो रही है।
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