60 दिन में ₹3 लाख मुनाफा! नवंबर में करें स्प्रिंग ओनियन की खेती

किसान भाईयों नवम्बर, में स्प्रिंग ओनियन (हरा प्याज या वेलिंग ओनियन) की खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित होती है। यह फसल प्याज की तरह ही है, लेकिन पत्तियों का उपयोग मुख्य होता है, और यह 60-70 दिन में तैयार हो जाती है। भारत में उत्तर भारत के क्षेत्रों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में नवंबर की बुवाई से फरवरी-मार्च में कटाई संभव है। बाजार में इसकी मांग सलाद, चटनी, सब्जी और निर्यात के लिए सालभर रहती है, जो ₹20-40 प्रति किलो की कीमत दिलाती है।

प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल उपज से ₹1.5-2 लाख तक मुनाफा कमाया जा सकता है। कम पानी, कम लागत और उच्च बाजार मूल्य के कारण यह छोटे-बड़े किसानों के लिए आदर्श फसल है। आइए, जानें कि नवंबर में स्प्रिंग ओनियन की खेती कैसे करें।

स्प्रिंग ओनियन की प्रमुख किस्में

स्प्रिंग ओनियन की कई उन्नत किस्में हैं, जो ठंडे मौसम में अच्छी बढ़वार करती हैं। पूसा सफेद (Pusa White) एक लोकप्रिय किस्म है, जो सफेद पत्तियों और हल्के स्वाद वाली होती है। यह 60-65 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक उपज देती है। अर्का निकेतन (Arka Niketan) भी रोग प्रतिरोधी है, जिसमें लंबी हरी पत्तियाँ और मीठा स्वाद होता है। यह 65-70 दिन में कटाई के लिए तैयार होती है। अन्य किस्में जैसे अर्का कल्यान (Arka Kalyan) और पूसा तेजस (Pusa Tejas) उच्च उपज वाली हैं, जो बाजार में प्रीमियम कीमत दिलाती हैं। इन किस्मों का चयन मिट्टी और बाजार मांग के आधार पर करें।

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मिट्टी और खेत की तैयारी

स्प्रिंग ओनियन के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है, जिसमें pH 6.0-7.0 हो। जल निकासी अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव से जड़ें सड़ सकती हैं। खेत की 2-3 बार जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएँ। प्रति हेक्टेयर 8-10 टन गोबर की सड़ी खाद या 4 टन वर्मी कम्पोस्ट डालें। यदि मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी हो, तो 20 किलोग्राम यूरिया बुवाई से पहले मिलाएँ। नवंबर की हल्की नमी का फायदा उठाएँ, लेकिन खेत को समतल रखें। सरल उपाय: नीम की खली 200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मिलाएँ, ताकि कीटों से प्रारंभिक सुरक्षा मिले। यह तैयारी पौधों की जड़ों को मजबूत बनाती है और उपज बढ़ाती है।

बुवाई का सही तरीका

नवंबर के प्रथम सप्ताह में बुवाई करें, ताकि ठंडी जलवायु में पत्तियाँ घनी हों। बीज दर 8-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। पंक्ति दूरी 20-25 सेमी और बीज गहराई 1-2 सेमी होनी चाहिए। छिटकवाँ विधि या लाइन बुवाई दोनों उपयुक्त हैं, लेकिन लाइन विधि से निराई आसान होती है। बीज को 12-24 घंटे पानी में भिगोकर बोएँ, ताकि अंकुरण तेज हो। बुवाई के बाद हल्की मिट्टी की परत चढ़ाएँ और पुआल की मल्चिंग करें। शाम के समय बुवाई करें, ताकि रात भर नमी सोखकर बीज जल्दी अंकुरित हों। सरल उपाय: बीज उपचार के लिए थायरम (2 ग्राम/किलो बीज) मिलाएँ, फफूंदी से बचाव होगा। 7-10 दिन में अंकुरण शुरू हो जाएगा।

सिंचाई और पोषण प्रबंधन

स्प्रिंग ओनियन को नियमित नमी की जरूरत है। बुवाई के 3-4 दिन बाद पहली हल्की सिंचाई करें, फिर हर 7-10 दिन पर मिट्टी की नमी के आधार पर पानी दें। ठंडे मौसम में 4-5 सिंचाई पर्याप्त हैं। अधिक पानी से जड़ सड़न हो सकती है। ड्रिप सिंचाई से पानी की बचत 30% होती है। पत्तियों की बढ़वार के लिए नाइट्रोजन महत्वपूर्ण है – बुवाई के 20 दिन बाद 20 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर छिड़कें। फॉस्फोरस (40 किलो) और पोटाश (50 किलो) बुवाई पर डालें। जैविक खेती के लिए जिवामृत (500 मिली/10 लीटर पानी) हर 15 दिन में डालें। सरल उपाय: मल्चिंग से नमी बनी रहेगी और खरपतवार कम होंगे।

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देखभाल और खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार पौधों की बढ़वार रोकते हैं, इसलिए बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। पेंडीमेथालिन (1 लीटर/हेक्टेयर) बुवाई के 2-3 दिन बाद छिड़कें। पत्तियाँ घनी करने के लिए पोटाश (20 किलोग्राम/हेक्टेयर) 25 दिन बाद डालें। कीटों (एफिड्स) से बचाव के लिए नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) का छिड़काव करें। फफूंदी से बचाव के लिए मैनकोजेब (2.5 ग्राम/लीटर) लक्षण दिखते ही उपयोग करें। सरल उपाय: नियमित निगरानी से समस्या जल्दी पकड़ में आ जाएगी।

कटाई और उपज

स्प्रिंग ओनियन की पहली कटाई बुवाई के 60-70 दिन बाद शुरू करें, जब पत्तियाँ 30-40 सेमी लंबी हों। 3-4 कटाई संभव हैं, हर 15-20 दिन में। कुल उपज 200-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। कटाई सुबह के समय करें, ताकि पत्तियाँ ताजी रहें। कटाई के बाद हल्की सिंचाई दें, अगली कटाई जल्दी होगी। ताजी स्प्रिंग ओनियन की कीमत ₹20-40 प्रति किलो रहती है। प्रति हेक्टेयर ₹4-5 लाख की आय, जिसमें से ₹1.5-2 लाख लागत कटाकर ₹2.5-3 लाख शुद्ध मुनाफा।

नवंबर में स्प्रिंग ओनियन की खेती कम समय में बंपर मुनाफे का रास्ता है। पूसा सफेद और अर्का निकेतन जैसी किस्में वैज्ञानिक देखभाल से उच्च उपज देती हैं। किसान भाइयों, इस रबी सीजन स्प्रिंग ओनियन उगाएँ, और मेहनत का दोगुना फल पाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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