नवंबर में शुरू करें इन 9 सब्जियों की खेती, कम लागत में होगी धुआंधार कमाई

सर्दी की ठंडक ने दस्तक दे दी है, और नवंबर का महीना सब्जियों की खेती के लिए सोने का मौका लेकर आया है। गेहूं जैसी लंबी फसल के बजाय अगर आप रोजाना बाजार जाने वाली सब्जियां चुनें, तो प्रति बीघा 20-30 हजार रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ. आई.के. कुशवाहा कहते हैं कि इस समय ठंडा मौसम फूलगोभी, बंदगोभी, गाजर, मूली, शलगम, पालक, धनिया, टमाटर और मटर जैसी फसलों के लिए सबसे अनुकूल है।

इनमें से कई 30-35 दिन में तैयार हो जाती हैं, जबकि कुछ फरवरी-मार्च तक लगातार उपज देती हैं। सहफसली अपनाकर एक ही खेत से दो-तीन फसलें लें, जैसे पालक-मूली के साथ टमाटर की रोपाई। इससे लागत कम और आय कई गुना बढ़ जाएगी।

फूलगोभी

नवंबर में फूलगोभी की रोपाई का सही समय है। दोमट मिट्टी में 20 टन गोबर खाद मिलाकर क्यारियां बनाएं। रोपाई के बाद 20-25 दिन में पहली सिंचाई दें। पाला आने पर पौधों को ढक दें। 60-70 दिन में कोमल गोभी तैयार, उपज 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। बाजार में 20-30 रुपये प्रति किलो मिलते हैं, शुरुआती फसल पर 40 रुपये तक। कीटों से बचाव के लिए नीम तेल का छिड़काव करें।

बंदगोभी

बंदगोभी को नवंबर में सीधी बुवाई या रोपाई से लगाएं। हल्की अम्लीय मिट्टी पसंद है, जहां पीएच 6.5 हो। बोनी के 10-15 दिन बाद खरपतवार हटाएं। 90-100 दिन में फसल तैयार, हर पौधे से 1-2 किलो गोभी। उपज 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक। सर्दियों में इसकी मांग दोगुनी हो जाती है, भाव 15-25 रुपये प्रति किलो। सहफसली में मूली के साथ लगाएं, ताकि जगह बच जाए।

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गाजर

गाजर के बीज नवंबर के पहले पखवाड़े में बोएं। रेतीली दोमट मिट्टी में 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर लाइन में बोवें। पहली सिंचाई हल्की रखें, ताकि अंकुरण अच्छा हो। 75-90 दिन में कटाई, लंबी जड़ वाली किस्में चुनें। प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल उपज। बाजार भाव 10-20 रुपये प्रति किलो, एक्सपोर्ट क्वालिटी पर ज्यादा। जड़ छेदक कीट से बचाव के लिए जैविक खाद मिलाएं।

मूली

मूली नवंबर में सबसे तेज फसल है। भुरभुरी मिट्टी में 1 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं, पंक्ति दूरी 20 सेंटीमीटर। 25-30 दिन बाद पहली कटाई। सफेद लंबी किस्में चुनें, उपज 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। भाव 8-15 रुपये प्रति किलो, लोकल बाजार में रोज बिक्री। सहफसली में धनिया के साथ लगाएं, पानी की बचत होगी।

शलगम

शलगम को नवंबर मध्य में बोएं। दोमट मिट्टी में गोबर खाद 15 टन मिलाएं। 3-4 सेंटीमीटर गहराई पर बोवें। 50-60 दिन में जड़ें तैयार, उपज 100-150 क्विंटल। पत्तियां भी बेची जा सकती हैं। बाजार में 10-18 रुपये प्रति किलो, सूप और सब्जी के लिए डिमांड। पाला से बचाने के लिए मल्चिंग करें।

पालक

पालक के बीज नवंबर में हल्की जुताई वाले खेत में बोएं। अम्लीय मिट्टी में 20-25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर। 30-35 दिन में पहली कटाई, कुल 4-5 कटाई। उपज 100-150 क्विंटल। भाव 15-25 रुपये प्रति बंडल, विटामिन से भरपूर। डाउन मिल्ड्यू से बचाव के लिए बाविस्टीन छिड़कें।

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धनिया

धनिया नवंबर में सीधी बुवाई करें। रेतीली मिट्टी में 10-12 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर। 25-30 दिन में कटाई, पत्तियां और बीज दोनों बेचें। उपज 50-70 क्विंटल पत्तियां। बाजार भाव 20-40 रुपये प्रति किलो, होटलों में डिमांड। सहफसली में मूली के साथ लगाएं।

टमाटर

टमाटर की रोपाई नवंबर में करें। मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई अपनाएं। हाइब्रिड किस्में चुनें, 60-80 दिन में फल। उपज 400-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर। भाव 10-30 रुपये प्रति किलो, निर्यात का मौका। फल छेदक से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप लगाएं।

मटर

मटर के बीज नवंबर की शुरुआत में बोएं। दोमट मिट्टी में राइजोबियम उपचारित बीज। 50-60 दिन में तुड़ाई, उपज 70-120 क्विंटल। भाव 20-40 रुपये प्रति किलो हरी फलियां। पाउडरी मिल्ड्यू से बचाव वाली किस्में लें।

सहफसली का जादू: एक खेत, दो फसलें

डॉ. कुशवाहा की सलाह मानें तो पहले पालक-मूली-धनिया बोएं, 30 दिन बाद टमाटर-मिर्च रोपें। इससे खेत खाली न रहे और आय लगातार बने। लागत 50 प्रतिशत कम, मुनाफा दोगुना। बाजार मांग हमेशा बनी रहती है, रोजाना बिक्री से कैश फ्लो मजबूत। लोकल कृषि केंद्र से बीज और ट्रेनिंग लें। नवंबर से शुरू करें, फरवरी तक धन्नासेठ बनें।

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  • Shashikant

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