किसानों को बड़ी राहत! अब गांव-गांव में खुलेगा अनाज भंडारण केंद्र, होगा बड़ा फायदा!

भारत सरकार ने सहकारी क्षेत्र में अनाज भंडारण को बढ़ाने के लिए एक बड़ी योजना शुरू की है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना कहा जा रहा है। 31 मई 2023 को मंजूरी मिलने के बाद इसे प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया, और अब ये तेजी से आगे बढ़ रही है। इसका मकसद प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के जरिए गाँव-गाँव में गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर और प्रसंस्करण इकाइयाँ बनाना है। गाँव के किसान भाइयों के लिए ये योजना अनाज की बर्बादी रोकने, खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और फसलों का सही दाम दिलाने का रास्ता खोल रही है। चलिए, इसके लेटेस्ट अपडेट्स के साथ जानते हैं।

11 राज्यों में गोदाम तैयार, 500 और की नींव

इस योजना के तहत अब तक 11 राज्यों में 11 पैक्स के लिए गोदाम बन चुके हैं, जिनकी कुल भंडारण क्षमता 9,750 मीट्रिक टन है। महाराष्ट्र के अमरावती में 3,000 मीट्रिक टन का सबसे बड़ा गोदाम बना, जबकि त्रिपुरा और राजस्थान में 250-250 मीट्रिक टन के छोटे गोदाम तैयार हुए। ताजा अपडेट के मुताबिक, फरवरी 2024 में पीएम मोदी ने इन गोदामों का उद्घाटन किया और 500 और पैक्स के लिए नींव रखी। अब तक 575 पैक्स की पहचान हो चुकी है, और 2025 की शुरुआत तक कई और गोदाम शुरू होने की उम्मीद है। इनसे किसानों को फसल रखने की जगह मिलेगी, जिससे आपात बिक्री की मजबूरी खत्म होगी।

700 लाख टन का लक्ष्य, 1.25 लाख करोड़ का निवेश

लेटेस्ट जानकारी के अनुसार, सरकार अगले 5 साल (2029 तक) में 700 लाख टन भंडारण क्षमता बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है, जिसमें 1.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। फरवरी 2024 में पीएम ने कहा कि ये योजना देश में भंडारण की पुरानी समस्या को खत्म करेगी। गोदाम बनने से किसान अपनी फसल को सही वक्त पर बेच सकेंगे और मंडी में अच्छा दाम पा सकेंगे। साथ ही, पैक्स को खरीद केंद्र और उचित मूल्य की दुकानों (FPS) के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे ढुलाई का खर्चा बचेगा।

कर्नाटक में तेजी, बाकी राज्य भी जुटे

कर्नाटक इस योजना में सबसे आगे है। राज्य में 2028-29 तक 218 पैक्स बनाने का लक्ष्य था, लेकिन अब तक 128 पैक्स बन चुके हैं। बीदर जिले के एकम्बा में 1,000 मीट्रिक टन का गोदाम तैयार है। महाराष्ट्र में 258 और राजस्थान में 100 पैक्स की पहचान हुई है, और 2024 के अंत तक इनमें से कई में काम शुरू हो गया है। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्य भी तेजी से गोदाम बना रहे हैं। गाँव के किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही हर ब्लॉक में ऐसी सुविधाएँ होंगी।

2 लाख पैक्स और डिजिटाइजेशन का प्लान

सहकारिता मंत्रालय का लक्ष्य है कि 2027 तक हर गाँव में एक पैक्स हो। इसके लिए 2 लाख बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियाँ बनाने की योजना है। मार्च 2024 में अमित शाह ने कहा कि हर गाँव को इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। साथ ही, 18,000 पैक्स को कम्प्यूटरीकृत करने का प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है, जिसके लिए 2023-24 बजट में 2,516 करोड़ रुपये रखे गए। इससे पैक्स के काम में पारदर्शिता आएगी और किसानों को डिजिटल सुविधाएँ मिलेंगी।

योजना के फायदे और नई बातें

  • कम बर्बादी, ज्यादा कमाई: गोदामों से अनाज की बर्बादी रुकेगी, और किसान 70% तक का लोन लेकर अगली फसल की तैयारी कर सकेंगे।
  • MSP का ऑप्शन: 2024 में घोषणा हुई कि पैक्स में रखी फसल को MSP पर बेचने का विकल्प भी मिलेगा।
  • नौकरियाँ और स्किल: ताजा रिपोर्ट्स कहती हैं कि ये योजना गाँवों में रोजगार पैदा करेगी, लेकिन इसके लिए स्किल्ड लोगों की ट्रेनिंग पर जोर दिया जा रहा है।

क्या हैं चुनौतियाँ?

हालांकि योजना बड़ी है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं। गाँवों में बिजली, सड़क और पानी की कमी गोदाम चलाने में दिक्कत डाल सकती है। 2024 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि पैक्स की मैनेजमेंट में ट्रेनिंग की जरूरत है, वरना फायदा कम हो सकता है। साथ ही, ब्यूरोक्रेसी और राजनीतिक दखल भी रुकावट बन सकते हैं। फिर भी, सरकार इन समस्याओं को हल करने के लिए काम कर रही है।

गाँव के किसानों के लिए सलाह

अपने नजदीकी पैक्स से जुड़िए। आधार कार्ड और जमीन के कागजात साथ रखें। गोदाम तैयार होने पर फसल वहाँ जमा करें और जरूरत पड़े तो सस्ता कर्ज लें। 2025 में और पैक्स शुरू होंगे, तो अभी से तैयार रहिए। ये योजना आपकी मेहनत को सही दाम दिला सकती है। तो भाइयों, इस मौके को हाथ से न जाने दीजिए!

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Author

  • Rahul Maurya

    मेरा नाम राहुल है। मैं उत्तर प्रदेश से हूं और संभावना इंस्टीट्यूट से पत्रकारिता में शिक्षा प्राप्त की है। मैं krishitak.com पर लेखक हूं, जहां मैं खेती-किसानी, कृषि योजनाओं पर केंद्रित आर्टिकल लिखता हूं। अपनी रुचि और विशेषज्ञता के साथ, मैं पाठकों को लेटेस्ट और उपयोगी जानकारी प्रदान करने का प्रयास करता हूं।

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