उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अच्छी खबर है। पशुधन को खुरपका और मुंहपका (FMD) जैसे खतरनाक रोगों से बचाने के लिए सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं। पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने हाल ही में एक समीक्षा बैठक में 15 दिन का विशेष टीकाकरण अभियान चलाने का आदेश दिया है। इस अभियान में सभी पशुओं का टीकाकरण 100 फीसदी भारत पशुधन ऐप पर दर्ज होगा। साथ ही, नए पशुओं को टैग लगाकर उनका पंजीकरण भी जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। यह कदम किसानों के लिए पशुधन की सुरक्षा और उनकी आय बढ़ाने में मददगार साबित होगा।
खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव
खुरपका और मुंहपका रोग पशुओं, खासकर गाय, भैंस, भेड़, बकरी और सुअर में होने वाली एक संक्रामक बीमारी है। यह रोग दूध उत्पादन कम करने, पशुओं की ताकत घटाने और प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालता है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है। सरकार का लक्ष्य है कि इस रोग को 2025 तक नियंत्रित कर लिया जाए और 2030 तक पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। इसके लिए हर छह महीने में पशुओं का टीकाकरण जरूरी है। यूपी में पहले से ही हर साल सितंबर-अक्टूबर और मार्च-अप्रैल में टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। अब इस विशेष 15 दिन के अभियान से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी पशु टीकाकरण से छूटे नहीं।
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सेक्स-सॉर्टेड सीमेन और IVF प्रयोगशालाएँ
पशुधन की नस्ल सुधारने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार यूपी के 10 पशुधन प्रक्षेत्रों में सेक्स-सॉर्टेड सीमेन, भ्रूण प्रत्यारोपण (ET), और IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन) प्रयोगशालाएँ स्थापित करने की योजना बना रही है। ये प्रयोगशालाएँ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत चलेंगी। सेक्स-सॉर्टेड सीमेन से 85-90% मादा बछड़ों का जन्म संभव होगा, जिससे किसानों को ज्यादा दूध देने वाले पशु मिलेंगे। वहीं, IVF तकनीक से एक अच्छी नस्ल की गाय या भैंस से साल में 20-40 बछड़े पैदा किए जा सकते हैं, जो सामान्य स्थिति में सिर्फ एक ही संभव है। यह तकनीक किसानों की आय बढ़ाने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
यूपी के पशुधन प्रक्षेत्र कहाँ-कहाँ
उत्तर प्रदेश में 10 पशुधन प्रक्षेत्र हैं, जो पशु संवर्धन, चारा और बीज उत्पादन, और नस्ल सुधार के लिए काम करते हैं। ये प्रक्षेत्र हस्तिनापुर (मेरठ), हापुड़ (बाबूगढ़), सीतापुर (नीलगांव), बाराबंकी (निबलेट), वाराणसी (आराजीलाइन), जालौन (आटा), ललितपुर (सैदपुर), झांसी (भरारी), और लखीमपुर खीरी (मझरा) में हैं। इन प्रक्षेत्रों में देशी नस्लों जैसे साहिवाल और गिर के संरक्षण के साथ-साथ कृत्रिम गर्भाधान (AI) के जरिए नस्ल सुधार का काम भी होता है। ये केंद्र किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज और चारा उपलब्ध कराते हैं।
गोशालाओं का निरीक्षण और देशी नस्लों का संरक्षण
मंत्री धर्मपाल सिंह ने गोशालाओं के नियमित निरीक्षण के निर्देश दिए हैं, ताकि वहाँ पशुओं की देखभाल और सुविधाओं का जायजा लिया जा सके। साथ ही, देशी नस्लों जैसे साहिवाल, गिर, और हरियाणवी गायों के संरक्षण और सुधार पर जोर दिया गया है। कृत्रिम गर्भाधान के जरिए इन नस्लों को बेहतर बनाने की कोशिश हो रही है, जिससे किसानों को ज्यादा दूध और मजबूत पशु मिल सकें। गोशालाएँ भी इन नस्लों के संरक्षण में अहम भूमिका निभा रही हैं।
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डेयरी प्लांट्स का हस्तांतरण
सरकार गोरखपुर, कन्नौज, कानपुर, और अंबेडकरनगर के डेयरी प्लांट्स को नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर रही है। इससे इन प्लांट्स की कार्यक्षमता बढ़ेगी और किसानों को अपने दूध के लिए बेहतर बाजार और कीमत मिलेगी। साथ ही, विभाग को अपने बजट का 80 फीसदी हिस्सा दिसंबर तक खर्च करने का लक्ष्य दिया गया है, ताकि योजनाओं का लाभ जल्द से जल्द किसानों तक पहुंचे।
किसानों के लिए क्या करें
इस टीकाकरण अभियान का लाभ उठाने के लिए किसानों को अपने पशुओं का पंजीकरण भारत पशुधन ऐप पर करना होगा। यह ऐप पशुओं की पूरी जानकारी जैसे नस्ल, उम्र, और मालिक का विवरण रखता है। अगर आप सेक्स-सॉर्टेड सीमेन या IVF जैसी सुविधाओं का लाभ लेना चाहते हैं, तो नजदीकी पशुधन प्रक्षेत्र या पशु चिकित्सालय से संपर्क करें। गोशालाओं और डेयरी प्लांट्स से भी किसानों को सहायता मिल सकती है। यह समय है अपने पशुओं को रोगमुक्त और उत्पादक बनाने का, ताकि आपकी खेती और आय दोनों बढ़ें।
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