Okra Farming Tips: किसानों के लिए कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से भिंडी की खेती में कटुवा कीट से बचाव की महत्वपूर्ण सलाह दी गई है। गर्मियों में मई महीने में भिंडी की फसल किसानों की पहली पसंद है, लेकिन बढ़ता तापमान और कटुवा कीट फसल को भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञ डॉ. नूतन वर्मा ने किसानों को समय पर कटुवा कीट का नियंत्रण करने की सलाह दी है, ताकि फसल बर्बाद होने से बच सके।
कटुवा कीट का खतरा और नियंत्रण
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि कटुवा कीट भिंडी के पौधों के तने को काटकर उन्हें गिरा देता है, जिससे फसल को गंभीर नुकसान होता है। इसका समय पर नियंत्रण न करने से पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। उन्होंने सलाह दी कि कटुवा कीट से बचाव के लिए थिमैट 10 जी और कार्बोफ्यूरान 3 जी कीटनाशकों का उपयोग करें। ये कीटनाशक 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की मात्रा में मिट्टी में मिलाएँ। इससे कटुवा कीट का प्रकोप प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
हार्वेस्टिंग में सावधानी जरूरी
डॉ. नूतन वर्मा ने किसानों को कीटनाशकों के उपयोग के बाद सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि थिमैट 10 जी और कार्बोफ्यूरान 3 जी के छिड़काव के बाद भिंडी की कटाई कम से कम पाँच दिन बाद करें। इससे कीटनाशकों का असर कम हो जाएगा और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर कोई खतरा नहीं होगा। बिना इस अंतराल के कटाई करने से कीटनाशक मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
डॉ. वर्मा के अनुसार, गेहूँ की कटाई के बाद खाली खेतों में मई महीने में भिंडी की खेती किसानों के लिए मुनाफेदार साबित हो सकती है। गर्मियों में बढ़ता तापमान भिंडी की फसल के लिए उपयुक्त है, लेकिन कटुवा कीट जैसे रोग और कीटों का खतरा भी बढ़ जाता है। समय पर कीटनाशकों का उपयोग और सही देखभाल से बिहार के नियामतपुर के किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
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