मार्च में भिंडी की बुआई कैसे करें मेंड़, पलेवा या नाली, चुनें सही तरीका, पैसों से भर जाएगी तिजोरी

Okra Farming Tips: भाइयों, हमारे यहाँ भिंडी की सब्जी हर घर में पसंद की जाती है, और मार्च का महीना इसकी बुआई के लिए बढ़िया है। लेकिन सवाल ये है कि इसे मेंड़ पर बोएँ, पलेवा पर या नाली में, ताकि उत्पादन दमदार हो। भिंडी को गर्मी और हल्की नमी पसंद है, और सही तरीके से बोने से फल ढेर सारे लगते हैं। खेतों में मिट्टी और पानी के हिसाब से तरीका चुनना जरूरी है। आइए, अपनी सहज भाषा में समझें कि मार्च में भिंडी को कैसे बोएँ, ताकि पैदावार लहलहाए और जेब भरे।

मेंड़ पर बुआई: गर्मी में नमी का सहारा

मेंड़ पर भिंडी बोना तब फायदेमंद है, जब आपके खेत में पानी की निकासी अच्छी हो। अपने इलाके में मार्च की गर्मी शुरू हो जाती है, और मेंड़ ऊँची होने से जड़ों में जलभराव नहीं होता। खेत को जोतकर 2-3 फीट चौड़ी मेंड़ बनाएँ। प्रति बीघा 1-1.5 किलो बीज लें और मेंड़ के ऊपर 30 सेमी की दूरी पर 2-3 सेमी गहरा बो दें। गोबर की सड़ी खाद 4-5 टन पहले से डालें। मेंड़ पर नमी बनी रहती है, और गर्मी में पौधे तेजी से बढ़ते हैं। ड्रिप सिंचाई हो, तो और बढ़िया। ये तरीका भिंडी को हवा देता है और फल लंबे-चौड़े निकलते हैं।

पलेवा पर बुआई: आसान और सस्ता ढंग

पलेवा यानी खेत में हल्का पानी देकर फिर बुआई करना। ये तरीका तब बढ़िया है, जब मिट्टी रेतीली या हल्की हो। अपने आसपास खेत को पहले पानी दें, फिर सूखने पर जोत लें। भिंडी के बीज को 45 सेमी की कतार में 20-25 सेमी की दूरी पर बो दें। नीम की खली या वर्मीकम्पोस्ट 1-2 टन डालें, ताकि मिट्टी में ताकत आए। मार्च में पलेवा करने से बीज जल्दी अंकुरित होते हैं, और पौधे एकसमान बढ़ते हैं। ये ढंग सस्ता है और छोटे खेतों के लिए आसान है। इससे भिंडी की जड़ें मजबूत होती हैं, और फल ढेर सारे लगते हैं।

नाली में बुआई: पानी और पैदावार का दमदार जोड़

नाली में भिंडी बोना तब सही है, जब खेत में पानी की कमी न हो और मिट्टी भारी हो। खेतों में 2-3 फीट की दूरी पर 1 फीट चौड़ी नालियाँ बनाएँ। नाली में गोबर की खाद और मिट्टी मिलाएँ, फिर बीज को 30 सेमी की दूरी पर बो दें। मार्च में हर 5-7 दिन में नाली में पानी दें। ये तरीका भिंडी को लगातार नमी देता है, और फल भारी-भरकम निकलते हैं। अपने यहाँ ड्रिप या फव्वारा सिंचाई के साथ इसे आजमाएँ, तो पौधे लहलहाते हैं। नाली में खरपतवार भी कम उगते हैं, और उत्पादन दमदार होता है। ये थोड़ी मेहनत माँगता है, लेकिन फायदा बड़ा देता है।

सही तरीके का चयन और देखभाल का जुगाड़

अगर खेत ऊँचा और सूखा है, तो मेंड़ चुनें। रेतीली मिट्टी हो, तो पलेवा ठीक है। पानी ज्यादा हो, तो नाली बेस्ट है। बुआई के बाद नीम का पानी हफ्ते में एक बार छिड़कें, ये कीटों से बचाता है। गोबर का घोल (5 किलो 20 लीटर पानी में) हर 15 दिन में डालें। खरपतवार हाथ से हटाएँ। फूल आने पर पानी थोड़ा कम करें, वरना फल कम लगेंगे। अपने इलाके में मौसम और मिट्टी देखकर तरीका चुनें। ऐसा करने से भिंडी 45-50 दिन में फल देना शुरू करती है, और पैदावार तगड़ी होती है।

उत्पादन और फायदे का हिसाब

सही तरीके से बुआई करें, तो एक बीघे से 20-25 क्विंटल भिंडी निकल सकती है। बाजार में 20-30 रुपये किलो बिकती है, यानी 40-75 हज़ार रुपये की कमाई। बीज और खाद का खर्च 2-3 हज़ार रुपये पड़ता है। नाली में बोने से फल ज्यादा भारी होते हैं, तो मुनाफा बढ़ सकता है। खेतों में ये सब्जी जून तक बिक्री के लिए तैयार हो जाती है। हमारे यहाँ ये तरीके मेहनत को दमदार फल देते हैं। घर में सब्जी बचे, तो अचार भी बनता है। ये खेती जेब और सेहत दोनों को फायदा देती है।

भिंडी से खेत को चमकाएँ

अपने आसपास भिंडी की खेती इसलिए खास है, क्यूँकि ये आसान और फायदेमंद है। मार्च में सही तरीका चुनें, तो पैदावार दमदार होगी। घर में बहनें कहती हैं कि ताज़ा भिंडी का स्वाद लाजवाब होता है। तो भाइयों, मेंड़, पलेवा या नाली में से सही ढंग अपनाएँ, भिंडी बोएँ और खेत को चमकाएँ।

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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