Okra Farming Tips: भिंडी एक ऐसी सब्जी है, जिसकी खेती साल भर की जा सकती है। फरवरी-मार्च में इसकी पहली बुवाई होती है और मई से फल देना शुरू हो जाता है। मई का महीना गर्मी का होता है, इसलिए इस समय भिंडी की फसल को खास देखभाल की जरूरत है। अगर सही समय पर पानी और कीट-रोग से बचाव नहीं किया, तो फसल खराब हो सकती है और मेहनत पर पानी फिर सकता है।
भिंडी में लगने वाले रोग और बचाव
मई के महीने में भिंडी की फसल में मोजैक और पर्ण कुंचन (लीफ कर्ल) जैसे रोग सबसे ज्यादा परेशान करते हैं। ये दोनों रोग सफेद मक्खी की वजह से फैलते हैं। मोजैक रोग में भिंडी की पत्तियों पर छोटे-छोटे पीले धब्बे बन जाते हैं और पत्तियों की नसें पीली पड़ने लगती हैं। वहीं, पर्ण कुंचन रोग में पत्तियां सिकुड़कर गड्ढों जैसी दिखने लगती हैं। इन रोगों से फसल को बचाने के लिए सही समय पर सही दवा का छिड़काव जरूरी है।
किसान भाई 10 लीटर पानी में 3 ग्राम एसिटामिप्रिड या 0.3-0.5 मिलीलीटर कान्फीडोर-200 एस.एल. मिलाकर छिड़काव करें। ये छिड़काव हर 15 दिन में एक बार करना चाहिए। इसके अलावा, 2 ग्राम स्पाइरोमसीफेन को 1 लीटर पानी में घोलकर दूसरा छिड़काव करें। ये दवाएं मोजैक और पर्ण कुंचन रोग को रोकने में बहुत कारगर हैं। सही समय पर ये उपाय करने से फसल स्वस्थ रहती है और पैदावार बढ़ती है।
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भिंडी को नुकसान पहुंचाने वाले कीट
मई में भिंडी की फसल में फली तनाछेदक कीट बड़ी मुसीबत बनता है। ये कीट फलियों में छेद करके अंदर के बीजों को खराब कर देता है, जिससे फली खाने लायक नहीं रहती। कई बार ये कीट पौधे की कोमल टहनियों में भी छेद कर देता है, जिससे पौधा मुरझा जाता है। इस कीट से बचने के लिए 10 लीटर पानी में 2 ग्राम एमामेक्टिन बेन्जोएट या 1 मिलीलीटर स्पिनोसैड को 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
साथ ही, खेत में ट्राइकोडर्मा जैसे अंडा परजीवी डालने से इस कीट का प्रकोप काफी कम हो जाता है। इसके अलावा, पत्ती खाने वाले कीटों से बचाव के लिए 0.5 मिलीलीटर साइपरमेथ्रिन को 1 लीटर पानी में मिलाकर हर 15 दिन में छिड़काव करें। ये उपाय फली तनाछेदक और अन्य कीटों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
खेती में इन बातों का रखें ध्यान
मई की गर्मी में भिंडी की फसल को पानी की बहुत जरूरत होती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि हर 10-12 दिन में एक बार सिंचाई जरूर करें। इससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और फल अच्छे बनते हैं। साथ ही, खेत में खरपतवार न रहने दें, क्योंकि ये कीटों को बुलाने का काम करते हैं।
कीटनाशक छिड़काव के बाद भिंडी तोड़ते समय खास सावधानी बरतें। दवा छिड़कने के कम से कम 5 दिन बाद ही भिंडी की तुड़ाई करें। अगर इससे पहले तुड़ाई की, तो दवा का असर बाकी रह सकता है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। तुड़ाई के समय साफ-सफाई का भी ध्यान रखें, ताकि भिंडी की गुणवत्ता बनी रहे और बाजार में अच्छा दाम मिले।
क्यों जरूरी है सही देखभाल
भिंडी की खेती कम खर्च में अच्छा मुनाफा दे सकती है, बशर्ते सही समय पर सही कदम उठाए जाएं। मई में गर्मी और कीट-रोगों का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन सही सिंचाई और दवाओं के इस्तेमाल से फसल को बचाया जा सकता है। अगर फसल स्वस्थ रही, तो बाजार में भिंडी का दाम अच्छा मिलता है, क्योंकि गर्मी में इसकी मांग बढ़ जाती है।
मई में भिंडी की फसल को कीट और रोगों से बचाने के लिए ऊपर बताए गए उपायों को अपनाएं। नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करके अच्छे बीज और कीटनाशकों की जानकारी लें। सही समय पर सिंचाई और दवाओं का छिड़काव करें, ताकि फसल स्वस्थ रहे और पैदावार बढ़े। भिंडी की खेती न सिर्फ आसान है, बल्कि ये कम समय में अच्छी कमाई का जरिया बन सकती है।
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