Onion crop Purple Blotch Disease: प्याज भारत में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है, जिसे रबी, खरीफ और जायद—तीनों सीजन में उगाया जा सकता है। विशेषकर उत्तर भारत के किसान इसे रबी सीजन में बड़े पैमाने पर उगाते हैं। परंतु इस दौरान प्याज की फसल को कई रोगों का सामना करना पड़ता है, जिनमें पर्पल ब्लॉच रोग (Alternaria porri) एक प्रमुख समस्या है। यह रोग प्याज के पौधों की पत्तियों और तनों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, जिससे उपज और फसल की गुणवत्ता में भारी गिरावट आती है।
आइए, इस लेख में विस्तार से समझते हैं कि पर्पल ब्लॉच रोग (Onion crop Purple Blotch Disease) क्या है, इसे कैसे पहचाना जा सकता है, और इससे बचने या नियंत्रण पाने के प्रभावी उपाय क्या हैं।
पर्पल ब्लॉच रोग क्या है?
पर्पल ब्लॉच रोग प्याज के पौधों को प्रभावित करने वाला एक फंगल संक्रमण है, जो मुख्यतः Alternaria porri नामक कवक के कारण होता है। यह रोग हवा, संक्रमित पौधों के अवशेष, और नमी के कारण तेजी से फैलता है। बारिश के मौसम या अधिक सिंचाई की स्थिति में इसका प्रकोप बढ़ जाता है।
पर्पल ब्लॉच रोग के लक्षण
डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर के प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख, डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, इस रोग के प्रारंभिक लक्षण निम्नलिखित हैं:
- पत्तियों पर हल्के पीले धब्बे – शुरुआत में प्याज की पत्तियों पर छोटे, पानी से भरे हल्के पीले धब्बे बनते हैं।
- धब्बों का रंग बदलना – समय के साथ ये धब्बे भूरे या बैंगनी रंग में बदल जाते हैं और इनके चारों ओर पीले घेरे बन जाते हैं।
- पत्तियों का सूखना – गंभीर संक्रमण की स्थिति में पत्तियां पूरी तरह से सूखकर झुलसने लगती हैं।
- तनों का प्रभावित होना – रोगग्रस्त तने भी कमजोर हो जाते हैं, जिससे पौधे का समग्र विकास रुक जाता है।
- बल्ब का अवरुद्ध विकास – पत्तियों के समय से पहले सूखने के कारण प्याज के बल्बों का विकास रुक जाता है, जिससे उपज में भारी कमी होती है।
पर्पल ब्लॉच रोग के प्रसार के कारण
इस रोग के प्रसार में मुख्य योगदान देने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
- अत्यधिक नमी – बारिश, ओवरहेड सिंचाई, और पानी का जमाव इसके फैलाव को तेज करते हैं।
- संक्रमित पौधों के अवशेष – खेत में बची फसल के अवशेष संक्रमण के वाहक बनते हैं।
- हवा के माध्यम से फैलाव – यह कवक हवा के जरिए भी एक पौधे से दूसरे पौधे तक फैलता है।
- नाइट्रोजन का असंतुलित उपयोग – नाइट्रोजन की अधिकता से रोग का प्रकोप बढ़ सकता है।
पर्पल ब्लॉच रोग के दुष्प्रभाव
- प्याज की उपज में 30-40% तक की कमी हो सकती है।
- फसल की गुणवत्ता खराब होने के कारण बाजार मूल्य में गिरावट आती है।
- पौधे कमजोर होकर अन्य रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
जैविक नियंत्रण के उपाय
डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, पर्पल ब्लॉच रोग से बचाव के लिए जैविक उपाय बेहद प्रभावी हो सकते हैं।
1. ट्राइकोडर्मा का उपयोग
ट्राइकोडर्मा नामक जैविक एजेंट को खेत में रोगजनकों के खिलाफ उपयोग किया जा सकता है। यह पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है।
2. निमोल का छिड़काव
5% निमोल का छिड़काव करके रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
3. जैविक खाद का उपयोग
जैविक खाद का नियमित उपयोग फसल की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे यह रोग का सामना बेहतर तरीके से कर सकती है।
केमिकल नियंत्रण के उपाय
किसानों के लिए केमिकल उपाय भी इस रोग से निपटने में कारगर सिद्ध होते हैं।
1. मैनकोज़ेब 75 WP
मैनकोज़ेब का 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
2. प्रोपिकोनाज़ोल 25 EC
प्रोपिकोनाज़ोल का 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
3. क्लोरोथैलोनिल
क्लोरोथैलोनिल का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 10-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें।
पर्पल ब्लॉच रोग की रोकथाम के उपाय
- ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें – सुबह के समय ड्रिप सिंचाई से पानी का जमाव नहीं होता, जिससे रोग फैलने का खतरा कम हो जाता है।
- ओवरहेड सिंचाई से बचें – यह पत्तियों पर पानी जमा करती है, जिससे नमी बढ़ती है और रोग का प्रसार होता है।
- बीज उपचार – बुवाई से पहले बीजों को थायरम या कैप्टन (2-3 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें।
- संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें – नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित उपयोग करें।
- फसल चक्रीकरण अपनाएं – प्याज को अन्य फसलों के साथ बारी-बारी से उगाने से रोगजनकों की संख्या कम होती है।
- पानी का प्रबंधन – खेत में जल जमाव न होने दें।
प्याज में पर्पल ब्लॉच रोग एक गंभीर चुनौती है, लेकिन सही समय पर उठाए गए कदम इस समस्या से बचाव और नियंत्रण में मददगार हो सकते हैं। जैविक और केमिकल उपायों का संतुलित उपयोग, सिंचाई और उर्वरकों का उचित प्रबंधन, और फसल चक्रीकरण जैसी विधियां अपनाकर किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।
प्याज की अच्छी उपज और बेहतर गुणवत्ता के लिए इन उपायों को समय पर लागू करना न केवल फसल उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि किसानों को आर्थिक नुकसान से भी बचाता है।
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