Onion Farming Tips in Summer: हमारे किसान भाइयों, प्याज की खेती तो सालों से मुनाफे का सौदा रही है। गाँव हो या शहर, प्याज की माँग कभी कम नहीं होती। उत्तर प्रदेश के अमेठी जैसे इलाकों में किसान प्याज उगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। लेकिन बंपर पैदावार के लिए फसल की सही देखभाल बहुत जरूरी है। अगर आप गर्मियों में प्याज की खेती कर रहे हैं, तो कुछ देसी नुस्खे और सावधानियाँ आपके बहुत काम आएँगी। इनसे नुकसान नहीं होगा, फसल शानदार होगी, और जेब भी भरेगी। आइए, जानें कि प्याज की खेती को कैसे आसान और मुनाफेदार बनाएँ।
खेत की मिट्टी को बनाएँ तैयार
प्याज की खेती में सबसे पहला कदम है खेत को तैयार करना। जिस खेत में आप प्याज उगाना चाहते हैं, उसकी मिट्टी को पहले शोधित कर लें। मिट्टी में अगर कीटाणु या रोग होंगे, तो फसल शुरू से ही कमजोर पड़ेगी। इसके लिए खेत को अच्छे से जोत लें और उसमें गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। अगर मिट्टी भारी है, तो उसमें थोड़ा रेत मिलाएँ, ताकि पानी जमा न हो। अमेठी के किसान बताते हैं कि दोमट मिट्टी प्याज के लिए सबसे अच्छी होती है। मिट्टी तैयार करने के बाद उसे 2-3 दिन धूप में छोड़ दें, इससे हानिकारक कीटाणु मर जाएँगे।
अच्छे बीज का चयन करें
प्याज की खेती में बीज की क्वालिटी बहुत मायने रखती है। अमेठी के उद्यान निरीक्षक प्रमोद कुमार यादव सलाह देते हैं कि हमेशा प्रमाणित बीज ही लें। ये बीज आपको आचार्य नरेंद्र देव विश्वविद्यालय या स्थानीय कृषि केंद्रों पर मिल जाएँगे। कई बार सरकार अनुदान पर भी बीज देती है, तो इसका फायदा उठाएँ। बीज बोने से पहले उन्हें गोमूत्र में 2-3 घंटे भिगो लें। इससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और कीटों का खतरा कम हो जाता है। बीज को 6-8 इंच की दूरी पर पंक्तियों में बोएँ, ताकि पौधों को बढ़ने के लिए जगह मिले।
कीटों से बचाव के देसी नुस्खे
प्याज की फसल में कीट और रोगों का खतरा बना रहता है, खासकर गर्मियों में। लेकिन देसी उपायों से आप इन्हें आसानी से कंट्रोल कर सकते हैं। एक बढ़िया नुस्खा है छाछ और हल्दी का इस्तेमाल। दही से निकली छाछ में थोड़ी सी पीसी हुई हल्दी मिलाएँ और इस मिश्रण को पौधों पर छिड़कें। ये कीटाणुओं को खत्म करता है और पौधों को स्वस्थ रखता है। इसके अलावा, लहसुन और गुड़ का मिश्रण भी कमाल करता है। लहसुन को पीसकर पानी में मिलाएँ, उसमें थोड़ा गुड़ डालें और पौधों पर डालें। ये देसी दवा प्याज की ग्रोथ को बढ़ाती है और कीटों को दूर रखती है।
जैविक खाद से बढ़ाएँ पैदावार
प्याज की खेती में रासायनिक खाद से बचें और देसी जैविक खाद का इस्तेमाल करें। गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या जीवामृत इसके लिए सबसे अच्छे हैं। जीवामृत बनाने के लिए गोमूत्र, गोबर, गुड़ और चने का आटा मिलाकर 3-4 दिन तक रखें। फिर इसे पानी में मिलाकर हर 15 दिन में पौधों की जड़ों में डालें। अमेठी के किसान बताते हैं कि जैविक खाद से न सिर्फ़ फसल स्वस्थ रहती है, बल्कि बाजार में जैविक प्याज का दाम भी ज्यादा मिलता है। अगर पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ रही हों, तो मिट्टी में थोड़ा चूना मिलाएँ, इससे पौधे फिर से हरे-भरे हो जाएँगे।
सही समय पर सिंचाई और देखभाल
गर्मियों में प्याज की फसल को सही समय पर पानी देना बहुत जरूरी है। सुबह या शाम के समय हल्का पानी दें, ताकि मिट्टी नम रहे। ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए पानी का निकास ठीक रखें। जब पौधे 20-25 दिन के हो जाएँ, तो खेत में हल्की गुड़ाई करें। इससे खरपतवार निकल जाएँगे और मिट्टी में हवा का प्रवाह बढ़ेगा। पौधों को समय-समय पर चेक करते रहें। अगर कोई पौधा कमजोर दिखे, तो उसे हटा दें, ताकि बाकी पौधों को नुकसान न हो।
कटाई और बाजार में बिक्री
प्याज की फसल 90-120 दिन में तैयार हो जाती है। जब पत्तियाँ पीली पड़ने लगें और पौधे का ऊपरी हिस्सा सूखने लगे, तो समझ लें कि कटाई का समय आ गया है। कटाई सुबह जल्दी करें और प्याज को 2-3 दिन छाया में सुखाएँ। इसके बाद उन्हें साफ टोकरों में भरकर मंडी में बेचें। अमेठी के किसान बताते हैं कि साफ और अच्छे आकार के प्याज को बाजार में ज्यादा दाम मिलता है। स्थानीय मंडी के अलावा, आप बड़े शहरों जैसे लखनऊ या कानपुर की मंडियों में भी संपर्क कर सकते हैं।
कम लागत, ज्यादा मुनाफा
प्याज की खेती में एक एकड़ में 20-25 हज़ार रुपये का खर्च आता है, लेकिन अगर फसल अच्छी हुई, तो 1-2 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। एक एकड़ में 80-100 क्विंटल प्याज की पैदावार हो सकती है, और बाजार में 20-40 रुपये प्रति किलो का दाम मिलता है। अगर आप जैविक तरीके से खेती करें, तो दाम और ज्यादा मिल सकता है। अमेठी के किसानों की तरह, आप भी इन देसी नुस्खों को अपनाएँ और अपनी फसल को शानदार बनाएँ।
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